Loading...
 
Skip to main content

View Articles

प्रियंका का मोदी पर सीधा हमला

एसपी और बीएसपी परेशान
प्रदीप कपूर - 2020-01-04 12:29
लखनऊः उत्तर प्रदेश में विपक्षी स्पेस में जिस तरह से कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है, उसने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती को परेशान कर दिया है। प्रियंका राज्य में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के दौरान नागरिकता संशोधन कानून और अत्याचार के मुद्दे पर मोदी सरकार और योगी सरकार की आलोचना करने में अत्यधिक आक्रामकता दिखा रही हैं।

भारत को लग रहा है तेल कीमतों का झटका

अब सारी उम्मीद बाजार की स्थिरता पर
के रवीन्द्रन - 2020-01-03 15:36
वैश्विक तेल की कीमतों में उछाल भारत के लिए इससे ज्यादा बुरे समय में नहीं आ सकता था। इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज वायदा बाजार में बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड पिछले सप्ताह के मुकाबले 0.22 प्रतिशत बढ़कर सप्ताह की शुरुआत में 67.02 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

पत्थलगड़ी मुकदमे को वापस लेकर हेमंत ने प्रशंसनीय काम किया

उद्धव को उनसे सबक लेकर भीमा-कोरेगांव के बंदियों को रिहा करना चाहिए
अरुण श्रीवास्तव - 2020-01-03 15:33
हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद संभालने के तुरंत बाद पत्थलगड़ी राजद्रोह के मुकदमे को वापस लेने का फैसला किया, जबकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कुछ समय तक पद पर रहने के बाद भी कोरेगांव राजद्रोह के मामले में इस प्रक्रिया को वापस लेने की पहल नहीं की है।

सीएए और एनआरसी हिन्दू राष्ट्र के लिए उठाए गए कदम हैं

संघ का मानना है कि मुस्लिम भारत के प्रति वफादार हो ही नहीं सकते
एल एस हरदेनिया - 2020-01-01 14:01
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) व एनआरसी सच पूछा जाए तो देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने की दिशा में उठाए गए कदम हैं। आरएसएस, जिसके दो तपे-तपाए स्वयंसेवक, देश के दो शीर्षस्थ पदों - प्रधानमंत्री व गृहमंत्री - पर विराजमान हैं संघ के राजनीतिक दर्शन के क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध हैं।

नये साल की चुनौतियां

लोकतंत्र और अर्थतंत्र पर मंडराते रहेंगे खतरे
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-12-31 08:39
भारी उथल पुथल के साथ वर्ष 2019 बीत गया और अपने पीछे अनेक अनुत्तरित सवालों को छोड़ गया है। अब देखना होगा की इन सवालों के क्या जवाब भविष्य में छिपे हुए हैं। पिछला साल इस सदी के दूसरे दशक का अंतिम साल था। लिहाजा अब हम तीसरे दशक में प्रवेश कर रहे हैं और यह दशक आजाद भारत के इतिहास का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दशक साबित हो सकता है। उस दशक में क्या कुछ होने वाला है उसकी झांकी इस नये साल में ही दिखाई पड़ जाएगी।

संविधान पर नफरती विचारधारा के हमलों का साल

अर्थव्यवस्था के चौपट होने के लिए भी यह साल याद किया जाएगा
अनिल जैन - 2019-12-30 08:30
वर्ष 2019 को किस खास बात के लिए याद किया जाएगा या इस वर्ष की कौन सी ऐसी बात है जिसकी यादें भारतीय इतिहास में दर्ज हो जाएंगी? यह सवाल जब आज से कुछ सालों के बाद पूछा जाएगा तो जो लोग इस देश से, देश के संविधान से, इस देश की विविधताओं से, इस देश की आजादी के संघर्ष का नेतृत्व करने और कुर्बानी देने वालों से प्यार करते हैं, उनके लिए इस सवाल का जवाब देना बहुत आसान होगा। ऐसे सभी लोगों का यही जवाब होगा कि यह साल भारतीय संविधान पर एक नफरतभरी विचारधारा के क्रूर आक्रमण का साल था। इस आक्रमण से भारतीय संविधान और हमारे स्वाधीनता आंदोलन के तमाम उदात्त मूल्य बुरी तरह लहूलुहान हुए हैं। यही नहीं, यह साल भारतीय अर्थव्यवस्था के अभूतपूर्व रूप से चैपट होने के तौर पर भी याद किया जाएगा। इस साल को चुनाव आयोग, रिजर्व बैंक, न्यायपालिका जैसी संवैधानिक संस्थाओं के सरकार के समक्ष समर्पण के लिए तो खास तौर पर याद किया जाएगा।

झारखंड में हार और उसके बाद

दिल्ली में भी एक हारती हुई लड़ाई लड़ रही है भाजपा
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-12-28 12:17
2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जब भारतीय जनता पार्टी एक के बाद एक तीन विधानसभा चुनाव जीत चुकी थी और जम्मू और कश्मीर में भी उसने बेहद अच्छा प्रदर्शन किया था, तो दिल्ली ने उसके विजयी घोड़े को रोक दिया था। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में मात्र तीन पर ही जीत हासिल कर सकी थी जबकि शेष 70 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर ली थी। इस बार तो भाजपा 2019 के बाद एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही है। हरियाणा में वह बहुमत के आंकड़े को नहीं छू सकी, जबकि वहां उसके विरोधी बुरी तरह विभाजित थे और कांग्रेस भी अन्दरूनी गुटबाजी से ग्रस्त थी। किसी तरह भाजपा ने अपने नेतृत्व में वहां सरकार बना ली, लेकिन उसके कारण उसे अपने नये सहयोगी को भी सत्ता में भागीदारी देनी पड़ रही है। महाराष्ट्र में भी भाजपा को हार का ही सामना करना पड़ा, क्योंकि शिवसेना से गठबंधन के बावजूद उसे मात्र 105 सीटें ही मिल पाईं, जबकि अकेले लड़ने पर उसे 2014 में 122 सीटें मिल गई थीं। झटका देते हुए शिवसेना ने उसे छोड़ दिया और भाजपा आज वहां विपक्ष में है।

कांग्रेस के भोपाल मार्च ने धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एक किया

वाम नेता, लेखक और सिविल सोसाइटी ने पूरा समर्थन जताया
एल एस हरदेनिया - 2019-12-27 09:53
भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने मंत्रियों और पार्टी सहयोगियों के सक्रिय सहयोग से नागरिकता संशोधन अधिनियम और एनआरसी के खिलाफ एक बड़ा प्रदर्शन किया। इस शो की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता वाम दल सीपीआई और सीपीएम, और प्रगतिशील लेखक संघ, अखिल भारतीय धर्मनिरपेक्ष मंच और कई स्वतंत्र प्रगतिशील वामपंथी बुद्धिजीवियों सहित कई धर्मनिरपेक्ष संगठनों द्वारा इसका समर्थन किया जाना था।

झारखंड में अहंकार और नफरत का एजेंडा खंड-खंड

धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश काम नहीं आई
अनिल जैन - 2019-12-26 10:29
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम एग्जिट पोल के अनुमान बता रहे थे विधानसभा त्रिशंकु रहेगी और भाजपा सबसे बडी पार्टी के रूप में उभरेगी। संभवतः यही अंदाजा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भी था। इसी आधार पर उम्मीद जताई जा रही थी कि जिस तरह पिछले दिनों हरियाणा में और उससे पहले गोवा में भाजपा ने सरकार बनाई थी, उसी तरह झारखंड में भी उसकी सरकार बन जाएगी। इसीलिए पार्टी की ओर से ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) और झारखंड विकास मोर्चा के नेताओं से बातचीत शुरू हो गई थी। झारखंड के लिए भाजपा के केंद्रीय प्रभारी ओम माथुर और कुछ अन्य नेता भी मतगणना वाले दिन सुबह ही रांची पहुंच गए थे। मतगणना के दौरान शुरुआती दौर में टेलीविजन चैनलों पर भाजपा के तमाम प्रवक्ता कह भी रहे थे कि सबसे बडे दल के रूप में राज्यपाल की ओर से सबसे पहले सरकार बनाने का न्योता भाजपा को ही दिया जाएगा। लेकिन जब दोपहर बाद तस्वीर साफ हो गई और यह भी साफ हो गया कि झारखंड के मतदाताओं ने सूबे की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस कडाके की सर्दी में आधी रात तक जागने या तडके नींद से उठने की तकलीफ नहीं दी है। यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा जेएमएम, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत से ज्यादा सीटें मिल गईं और विधानसभा में अकेले सबसे बडा दल भी जेएमएम ही रहा।

कहाँ गया भाजपा का वसुधैव कुटुम्बकम

भूपेन्द्र गुप्ता - 2019-12-26 09:38
भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के प्रतिनिधि श्लोक 'वसुधैव कुटुम्बकम' को हमेशा आदर के साथ दोहराया जाता रहा है। भारतीय संस्कृति और धर्म दर्शन की इससे अच्छी अभिव्यक्ति संभव नहीं है।
अयं निजः परो वैति गणना लघुचेतसाम्
उदारचरितानांतु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥