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करतारपुर एक अच्छी पहल

आशंकाओं में लिपटा उम्मीदों का ऐतिहासिक गलियारा
अनिल जैन - 2019-11-11 17:14
नौ नवंबर 1989 को पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी को बांटने वाली बर्लिन की दीवार गिराने की शुरुआत हुई थी। 30 साल बाद 9 नवंबर को ही पाकिस्तान और भारत के बीच बना करतारपुर गलियारा भारत के सिक्ख श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। दुनिया के दो महाद्वीपों में घटी इन दो ऐतिहासिक घटनाओं के बीच सिर्फ अंतर 30 साल का ही नहीं हैं बल्कि और भी कई सारें फर्क हैं। मगर सबसे मोटा फर्क यह है कि जर्मनी की उस घटना से दो देशों के फिर से एक होने की शुरुआत हुई थीे। पर करतारपुर गलियारा खुलने से वैसा कुछ नहीं होने जा रहा। इस गलियारे से सिर्फ भारत के सिख श्रद्धालु पाकिस्तान स्थित अपने सबसे बडे आस्था स्थल पर मत्था टेकने जा सकेंगे। इसके बावजूद इस घटना के ऐतिहासिक महत्व को नकारा नहीं जा सकता।

अयोध्या पर सुप्रीम फैसला

क्या अब काशी और मथुरा विवाद को खोला जाएगा?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-11-09 11:24
अयोध्या मसले पर सुप्रीम फैसला आ गया है और इसके साथ करीब पौने दो साल पुराना विवाद समाप्त हो गया है। ज्ञात इतिहास में पहला विवाद 1850 के दशक में शुरू हुआ था। 1880 के दशक में एक अदालती आदेश ने वह विवाद समाप्त कर विवादित स्थल के एक हिस्से पर हिन्दुओं को दूसरे हिस्से पर मुसलमानों को क्रमशः पूजा करने और नमाज पढ़ने का अधिकार दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले मे उस अदालती फैसले की प्रतिध्वनि सुनाई पड़ती है।

नागरिकों के निजता अधिकार पर मोदी सरकार की दो मुही बात

उसके द्वारा व्हाट्सएप की आलोचना का कोई मतलब नहीं
के रवीन्द्रन - 2019-11-07 12:28
कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारतीयों की गोपनीयता भंग करने के लिए व्हाट्सएप को फटकार लगाई है। यह शैतान द्वारा भगवान की शपथ खाने की तरह है।

कमलनाथ ने केन्द्र के खिलाफ धरना की धमकी दी

किसानों की मांग पर मुख्य फोकस
एल. एस. हरदेनिया - 2019-11-06 09:38
भोपालः अगर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली में अपने सहयोगीें मंत्रियों के साथ एक दिन का विरोध प्रदर्शन करने की धमकी पर अमल कर देते हैं, तो यह केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ देगा।

चिंता और अनर्गल प्रलाप के बीच बढ़ती आबादी की हकीकत

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की नाकामी से ध्यान हटाने का उपक्रम
अनिल जैन - 2019-11-05 11:17
बढती जनसंख्या एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। हाल में ही भाजपा की असम सरकार ने ऐलान किया है कि असम में 1 जनवरी, 2020 से उन लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, जिनकी दो से ज्यादा संतान हैं। इसके बाद बहस चल पडी है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को सख्त कानून बनाना चाहिए। दो राय नहीं कि तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों के लिए भी चिंता का सबब है। जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, उसके लिए जीवन की बुनियादी सुविधाएं और संसाधन जुटाना तथा रोजगार के अवसर पैदा करना चुनौती साबित हो रहा है।

प्रदूषण के गुनाहगार

जिम्मेदारी तो तय होनी ही चाहिए
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-11-04 10:25
पिछले कई सालों से प्रदूषण दिल्ली की एक बहुत बड़ी समस्या रही है। इसे हल करने की कोशिश में सुप्रीम कोर्ट ने तो एक बार डीजल से चलने वाले सार्वजनिक वाहनों को पूरी तरह दिल्ली में बंद भी करवा दिया था। सरकारी स्तर पर भी पेड़ लगाने का काम शुरू हुआ था और आज दिल्ली पहले से ज्यादा हरी भरी है। लेकिन उन प्रयासों के बावजूद प्रदूषण का मर्ज बद से बदतर होता जा रहा है। पिछले कुछ सालों से प्रदूषण ने यहां मारक रूप अख्तियार कर लिया है और इसके कारण कितने लोग मर रहे हैं, उसका सही आंकड़ा तक सरकार के पास नहीं है।

भाजपा का विधान परिषद के गठन की योजना का विरोध

विधायक आवास के निर्माण पर भी विवाद
एल एस हरदेनिया - 2019-11-02 16:08
भोपालः झाबुआ विधानसभा उपचुनाव में भारी जीत दर्ज करने के बाद कमलनाथ सरकार ने राज्य में विधान परिषद के गठन के लिए कदम उठाया है। कांग्रेस ने अपने वचन पत्र (घोषणापत्र) में राज्य में उच्च सदन का गठन करने का वादा किया था। जैसा कि ऐसा करने की बात ज्ञात हो गई, भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल के रूप में इसे दुर्लभ राज्य संसाधनों की बर्बादी करार दिया, इस कदम को पार्टी में असंतुष्ट तत्वों को खुश करने का उद्देश्य बताया। मकसद सरकार को स्थिरता देना है जो बहुमत के लिए सुनिश्चित नहीं है।

कश्मीर में यूरोपीय सांसदों का क्या काम?

अनिल जैन - 2019-11-01 16:01
वैसे तो कश्मीर तब से ही भारत का अभिन्न अंग है, जब से उसका भारत में विलय हुआ है, लेकिन 5 अगस्त, 2019 के बाद से वह ऐसा और इतना ‘अभिन्न अंग’ हो गया है कि वहां केंद्र सरकार की मर्जी के बगैर भारतीय संसद के सदस्य नहीं जा सकते। जो जाने की कोशिश करते हैं, उन्हें श्रीनगर के हवाई अड्डे से बाहर नहीं निकलने दिया जाता और वहीं से वापस दिल्ली भेज दिया जाता है। वहां संसद के उच्च सदन में विपक्ष के नेता और उस सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री भी नहीं जा सकते। उन्हें वहां जाने के अपने अधिकार के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगानी पडती है। सुप्रीम कोर्ट उन्हें जाने की अनुमति भी देता भी है तो तमाम तरह की शर्तों के साथ। वहां विदेशी पत्रकारों को जाने की तो कतई अनुमति नहीं है। नई दिल्ली स्थित विभिन्न देशों के राजनयिक भी वहां नहीं जा सकते। लेकिन यूरोपीय देशों में कार्यरत एक स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) से जुड़ी एक इंटरनेशनल बिजनेस ब्रोकर की सिफारिश पर यूरोपीय संसद के 27 सदस्यों को भारत सरकार खुशी-खुशी वहां जाने देती है। हैरानी की बात यह कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई दिल्ली में उन विदेशी सांसदों का खैरमकदम करते हैं।
मध्यप्रदेश का स्थापना दिवस - 1 नवम्बर

मेहनती लोगों का मध्यप्रदेश नई उड़ान क्यों नहीं भर सकता?

कमल नाथ (मुख्य मंत्री) - 2019-10-31 15:56
मध्यप्रदेश एक लंबा सफर तय कर चुका है। यह एक शानदार राज्य है। सिर्फ इसलिए नहीं कि यहाँ शांतिपूर्ण सांस्कृतिक विविधता है, मोहक जैव-विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य है या लुभावने स्मारक है। यह अपने शांतिप्रिय और मेहनती लोगों के कारण अद्वितीय है। सर्वधर्म समभाव मध्यप्रदेश की पहचान है।

उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में मायावती का सपना चकनाचूर

उपेन्द्र प्रसाद - 2019-10-31 08:50
उत्तर प्रदेश में 11 विधानसभाओं के उपचुनाव भाजपा, सपा और बसपा के लिए अपने अपने कारणों से महत्वपूर्ण थे। भारतीय जनता पार्टी को यह दिखाना था कि उत्तर प्रदेश के मतदाताओं पर अभी भी उसका सिक्का चलता है। इसे साबित करने में वह सफल रही। 11 में से 7 सीटों पर तो उसके अपने उम्मीदवारों की जीत हुई, जबकि एक अन्य सीट पर उसका सहयोगी अपना दल सफल हुआ। समाजवादी पार्टी को यह दिखाना था कि लोकसभा चुनाव में लगे झटके से वह उबर रही है। यह दिखाने में वह सफल भी रही। उसने आजमगढ़ की अपनी सीट तो बचाई ही, साथ ही साथ भाजपा और बसपा की एक-एक सीट छीन भी ली।