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दिल्ली में आप की हार से इंडिया ब्लॉक को सबक लेते हुए आगे देखना होगा

भाजपा से मुकाबला के लिए ब्लॉक नेतृत्व और कार्यप्रणाली में बदलाव जरुरी
नित्य चक्रवर्ती - 2025-02-11 11:41 UTC
दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की हार और भाजपा की जीत निश्चित रूप से विपक्षी इंडिया ब्लॉक के लिए झटका है, लेकिन इसका मतलब आप का अंत या इंडिया ब्लॉक के लिए अंतिम झटका नहीं है, जैसा कि राष्ट्रीय मीडिया और टीवी चैनलों के कुछ टिप्पणीकार इसे पेश कर रहे हैं। जिन लोगों ने दिल्ली के मतदाताओं के मूड का अध्ययन किया है, वे पहले से ही जानते थे कि 2025 के चुनावों में, भाजपा को हराकर सत्ता बरकरार रखना आप के लिए बहुत कठिन होगा, क्योंकि दिल्ली की सत्तारूढ़ पार्टी के दो कार्यकाल पूरे होने के बाद सत्ता विरोधी लहर थी। अंतिम निर्णायक बात यह रही कि मतदान से चार दिन पहले 1 फरवरी को घोषित 2025-26 के केंद्रीय बजट में आयकर में बड़ी छूट दी गयी और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की गयी। भाजपा के पक्ष में जनादेश दिल्ली के वेतनभोगी मध्यम वर्ग द्वारा लाया गया, जो दिल्ली के 1.56 करोड़ मतदाताओं में से अधिकांश हैं। उन्हें सीधे नकद लाभ मिला। निश्चित रूप से इसका कुछ दिनों बाद मतदान के दिन तत्काल प्रभाव पड़ा।

दिल्ली में मिली करारी हार के बावजूद आप एक राजनीतिक ताकत बनी रहेगी

स्थानीय और राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को जीवित रखने के लिए एक बड़ा जनाधार बरकरार
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-02-10 10:59 UTC
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार और भाजपा के हाथों सत्ता गंवाने के बावजूद, आम आदमी पार्टी (आप) एक राजनीतिक ताकत बनी रहेगी। आप का विशाल मतदाता समर्थन आधार बरकरार है और चुनाव परिणाम दर्शाते हैं कि भाजपा केवल 1.99 प्रतिशत वोटों के मामूली अंतर से जीत सकी है, जो आप की स्थानीय और राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं को जीवित रखेगा। आप और उसके सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के अनिश्चित राजनीतिक भविष्य, उनके अन्त की शुरुआत, मतदाताओं और भारतीय समुदाय के बीच उनकी राजनीतिक विश्वसनीयता में कमी और उनकी राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा के टूटने की भविष्यवाणी करने वाले राजनीतिक विश्लेषक शायद अतिशयोक्तिपूर्ण हैं।

निवेशकों को लुभाने के लिए ममता बेताब, चुनाव से पहले फिर ग्लोबल बिजनेस कॉन्फ्रेंस

अशोकनगर में पेट्रोलियम, गैस का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू करने का रास्ता साफ
रवींद्र नाथ सिन्हा - 2025-02-08 12:30 UTC
कोलकाता: 5 और 6 फरवरी को यहां आयोजित बंगाल ग्लोबल बिजनेस शिखर सम्मेलन (बीजीबीएस) के दो दिवसीय आठवें संस्करण ने मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी की बेताबी को उजागर किया है। उन्होंने विपक्ष के आरोपों और आम धारणा को खारिज करने की कोशिश की कि 2011 में शुरू हुए उनके शासन के दौरान औद्योगीकरण में कमी आयी है, जिनका आशय है कि भारी इंजीनियरिंग इकाइयों, एकीकृत इस्पात संयंत्रों, रसायनों और पेट्रो-रसायन परिसरों जैसे विनिर्माण उपक्रमों आदि में रोजगार पैदा करने वाले निवेशों की अनुपस्थिति। यह इस तथ्य के बावजूद कि राज्य सरकार ने 2015 से बीजीबीएस के सात संस्करण आयोजित किये हैं और दावा किया है कि राज्य को बड़ी संख्या में निवेश प्रस्ताव मिले हैं, जिनकी कुल राशि 19 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

बजट 2025-26 में भारी कर छूट का मोदी का दांव क्यों विफल होगा?

संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण के बिना ऐसे प्रस्ताव मांग को बढ़ावा नहीं दे सकते
नित्य चक्रवर्ती - 2025-02-05 10:55 UTC
2025-26 के केन्द्रीय बजट को संसद में पेश किये जाने के बाद देश के आयकरदाताओं को भारी राहत दिये जाने पर भाजपा नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रियों में जो उत्साह है, उसमें देश के उन अनुमानित एक करोड़ लोगों का भी योगदान हो सकता है, जिन्हें बजट प्रस्तावों से लाभ मिला है। लेकिन लोगों के उपभोक्ता व्यवहार पर इसका प्रभाव सीमित होगा और उतना बड़ा नहीं होगा, जितना कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित नीति निर्माता उनके होने का अनुमान लगा रहे हैं।

केन्द्रीय बजट 2025-26 देगा नरेन्द्र मोदी के कॉरपोरेट मित्रों को भारी लाभ

मध्यम वर्ग को आयकर में छूट से भाजपा को राजनीतिक लाभ की गारंटी नहीं
अरुण श्रीवास्तव - 2025-02-04 11:12 UTC
भगवा खेमा केन्द्रीय बजट 2025-26 को मध्यम वर्ग को देश की राजनीति में मजबूती से वापस लाने और भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास के रूप में पेश करने के लिए बेताब है, परन्तु अफसोस की बात है कि यह आधा सच भी नहीं है। इस उत्साह में झांकने से इसकी असली प्रकृति और सरकार की असली मंशा का पता चल जायेगा।

निम्न और मध्यम वर्ग को सिर्फ़ कर में छूट देना मांग को बढ़ाने के लिए पर्याप्त नहीं

एमएसएमई पर ध्यान केंद्रित, लेकिन गंभीर रोज़गार संकट से निपटने पर कोई ज़ोर नहीं
अंजन रॉय - 2025-02-03 10:59 UTC
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आठवें बजट के बारे में एकमात्र बड़ा विचार 12 लाख रुपये तक की आयकर छूट की घोषणा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह 7 लाख रुपये की छूट सीमा से बहुत बड़ी छलांग है। हालांकि इसमें एक राजनीतिक पेंच है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 से मिले मौजूदा उथल-पुथल के बने रहने के संकेत

जीडीपी वृद्धि दर में और गिरावट से कई चुनौतियाँ आएंगी
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-02-01 10:41 UTC
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 का मुख्य कथन यह है कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.3 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है, जो अगले वित्त वर्ष में देश के लिए सुस्त आर्थिक स्थिति का संकेत देता है। चूंकि भारत की जीडीपी वृद्धि दर पहले ही 2023-24 में 8.2 प्रतिशत से घटकर चालू वित्त वर्ष 2024-25 में चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर आ जाने की संभावना है, इसलिए देश के लिए आगे बहुत कठिन समय है।

आधुनिकीकरण और समुद्री सुरक्षा 2025-26 रक्षा बजट के मुख्य क्षेत्र होंगे

नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा हथियारों के निर्माण के स्वदेशीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता
गिरीश लिंगन्ना - 2025-01-31 11:04 UTC
भारत 2025-26 के केंद्रीय बजट की प्रस्तुति का इंतजार कर रहा है, और रक्षा क्षेत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। पिछले वर्ष रखी गयी नींव पर निर्माण को आगे बढ़ाते हुए, 2025-26 के बजट को आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण की गति को बनाये रखते हुए उभरती सुरक्षा चुनौतियों की जटिलताओं से पार पाने की आवश्यकता है। यह नाजुक संतुलन कार्य आने वाले वर्षों के लिए भारत की रक्षा क्षमताओं के प्रक्षेपवक्र को निर्धारित करेगा।

बजट 2025-26 के दो कामः मांग को बढ़ावा देना और अधिक नौकरियाँ पैदा करना

अति-धनवानों पर कर लगाकर गरीबों को अधिक धन देना ही एक मात्र उपाय
नित्य चक्रवर्ती - 2025-01-30 10:49 UTC
भारत सरकार 1 फरवरी 2025 को मोदी शासन के तीसरे कार्यकाल में अपना दूसरा बजट पेश करने वाली है, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के विघटनकारी व्यापार और टैरिफ कार्यक्रम के कारण व्यापार में वैश्विक अनिश्चितता के साथ-साथ जीडीपी वृद्धि में घरेलू मंदी का माहौल है।

दिल्ली में चुनाव प्रचार के आखिरी सप्ताह में बाजी पलटने के संकेत

पहले आक्रामक भाजपा रक्षात्मक हो गयी, अनजाने में ही जाल में फंसी
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-01-29 10:51 UTC
दिल्ली चुनाव प्रचार 5 फरवरी को होने वाले मतदान से पहले 3 फरवरी को समाप्त होने वाले अंतिम सप्ताह में प्रवेश कर गया है। चुनाव प्रचार की शुरुआत में भाजपा आक्रामक और आप के राजनीतिक कथानक पर हावी दिख रही थी, लेकिन अब जब चुनाव प्रचार अपने चरम पर पहुंच रहा है, तो भाजपा रक्षात्मक हो गयी है और अनजाने में अपने ही राजनीतिक जाल में फंस गयी है।