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पिछले दो दशकों में कांग्रेस की राजनीति में प्रियंका गांधी का उदय और विकास

लोकसभा में उनके भविष्य के प्रदर्शन पर पार्टी की पैनी नजर रहेगी
हरिहर स्वरूप - 2024-06-27 10:41
आखिरकार दो दशकों के ‘वह करेंगी, वह नहीं करेंगी’ के बाद प्रियंका गांधी अब चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं। वह केरल के वायनाड से लोकसभा उपचुनाव लड़ेंगी। यह वह सीट है जिसे उनके भाई राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में रायबरेली सीट पर कब्जा करने के लिए खाली किया है।

18वीं लोक सभा में इंडिया ब्लॉक में नये सहयोगियों को जोड़ने की गुंजाइश

प्रधानमंत्री अंकुश में, लेकिन विपक्ष को उनकी नीतियों के खिलाफ़ कड़ा संघर्ष जारी रखना होगा
नित्य चक्रवर्ती - 2024-06-26 10:30
24 जून को 18वीं लोक सभा का प्रथम सत्र शुरू हुआ, जिसमें तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी और एनडीए गठबंधन का नेतृत्व कर रही उनकी पार्टी भाजपा के लिए दो अशुभ संकेत मिले। पहला, देश के सभी क्षेत्रों के लाखों छात्रों से जुड़ी नीट परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक होने का बड़ा घोटाला और दूसरा अयोध्या में नये मंदिर की छत से पानी का रिसाव, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने इस साल 22 जनवरी को किया था। राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने उसी दिन शिकायत की, जिस दिन प्रधानमंत्री अपने भाजपा संसद सदस्यों को नयी सरकार के कार्यक्रम के बारे में संबोधित कर रहे थे।

कांग्रेस की दक्षिण रणनीति से जुड़ा है वायनाड से प्रियंका का चुनाव लड़ना

पार्टी हाईकमान और केपीसीसी का पूरा ध्यान 2026 में केरल विधानसभा चुनाव पर
कल्याणी शंकर - 2024-06-25 11:00
कांग्रेस पार्टी ने अटकलों और प्रत्याशाओं की झड़ी के बीच वायनाड लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को मैदान में उतारकर एक रणनीतिक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह सीट उनके भाई राहुल गांधी द्वारा रायबरेली को बरकरार रखने और वायनाड से हटने के फैसले के बाद खाली हुई है। दोनों ही सीटों पर उन्होंने लोक सभा आम चुनाव में जीत हासिल की थी। अगर कांग्रेस की यह रणनीति सफल होती है, तो यह प्रियंका, उनकी पार्टी और भारतीय राजनीति के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। इसने जनता और राजनीतिक वर्ग के बीच उत्साह और संदेह को जन्म दिया है।

केजरीवाल को जमानत मामले में प्रवर्तन निदेशालय की सफलता क्षणिक

तकनीकी पहलुओं पर अनावश्यक बल ठोस सुबूतों की कमी को नहीं छिपा सकता
के रवींद्रन - 2024-06-24 10:45
प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल के जमानत पर बाहर आने के जश्न में बाधा डालने में कामयाबी हासिल की है, जबकि न्यायालय के आदेश पर वह अपना हाथ भी नहीं डाल सकता था। फिर उच्च न्यायालय ने कुछ प्रक्रियागत मुद्दों के आधार पर इस पर अस्थायी रोक लगा दी है। लेकिन यह उसकी कोई बड़ी जीत नहीं हो सकती है, क्योंकि यह रोक केवल तब तक लागू रहेगी, जब तक कि ईडी की चुनौती पर सुनवाई नहीं हो जाती और न्यायालय द्वारा अगले 2-3 दिनों में इसका निपटारा नहीं कर दिया जाता।

केरल से प्रियंका गांधी के चुनावी पदार्पण का महत्व

क्या विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ को फायदा होगा?
पी. श्रीकुमारन - 2024-06-22 10:35
तिरुवनंतपुरम: केरल में इन दिनों कांग्रेस नेताओं के चेहरे और उनकी आंखों में चमक साफ देखी जा सकती है। उत्साह का भाव स्वाभाविक है। पार्टी ने हाल ही में लोकसभा चुनावों में राज्य की 20 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत हासिल कर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है।

मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए अब 'नीट' में बदलाव का समय

उच्च शिक्षा पाठ्यक्रमों में प्रवेश की पूरी प्रक्रिया की समीक्षा करें
डॉ. अरुण मित्रा - 2024-06-21 10:58
मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में अनियमितताओं ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं। पहला यह कि परीक्षा में शामिल हुए 23,33,297 छात्रों में से रिकॉर्ड 67 छात्रों ने 720 का पूर्ण स्कोर प्राप्त किया। 2020 से अब तक इस परीक्षा में तीन से अधिक छात्रों को पूरे अंक नहीं मिले हैं। दूसरा, कई उम्मीदवारों ने बताया कि उन्हें समय पर प्रश्न पत्र नहीं दिये गये या गलत प्रश्न पत्र थमा दिये गये। तीसरा, कुछ छात्रों की ऑप्टिकल मार्क्स रिकॉग्निशन (ओएमआर) शीट फाड़ दी गयी और उनके परिणाम में देरी हुई। चौथा, सैकड़ों अभ्यर्थियों की कोई गलती न होने पर भी उनके परिणाम रोक दिये गये। ऐसी अनियमितताओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, क्योंकि इससे अभ्यर्थी अत्यधिक मानसिक तनाव में आ जाते हैं और हजारों अभ्यर्थी एक से अधिक बार परीक्षा देते हैं। ये अभ्यर्थी तनाव सहन नहीं कर पाते और कई तो आत्महत्या करने जैसा चरम कदम उठा लेते हैं।

पश्चिम के देश चीन के सामने खा रहे हैं झटके

अमेरिका और यूरोप ने पाया कि जमाना बदल गया है
अंजन रॉय - 2024-06-20 11:54
यूनाइटेड किंगडम दुविधा का सामना कर रहा है। यह फिलहाल अपने सैन्य सेवा कर्मियों के लिए किंग चार्ल्स की छाप वाले रेजिमेंटल बैज जारी करने में सक्षम नहीं है। कारण: चीनी आपूर्ति। ब्रिटेन टोपी पर पहने जाने वाले बैज जारी करता है, जिस पर उनके संप्रभु की छाप होती है, जो दर्शाता है कि वे किस रेजिमेंट से संबंधित हैं। अधिकारियों को कढ़ाई वाले कपड़े के बैज दिये जाते हैं और रैंक को धातु के बैज दिये जाते हैं। इनकी आपूर्ति एक देशी ब्रिटिश फर्म द्वारा की जाती है।

चंद्रबाबू नायडू की मोदी की एनडीए सरकार में स्थिति महत्वपूर्ण

किंगमेकर नायडू फिर से मुख्यमंत्री के रूप में बने आंध्र के सीईओ
कल्याणी शंकर - 2024-06-20 11:50
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में नर चंद्रबाबू नायडू का शपथ ग्रहण नायडू के लिए व्यक्तिगत रूप से, तथा उनकी पार्टी और भारतीय राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण घटना थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य शीर्ष भाजपा नेताओं ने 74 वर्षीय राजनेता को चौथी बार शपथ लेते हुए देखा, जो एक महत्वपूर्ण राजनीतिक वापसी का प्रतीक है। दो दशकों से अधिक समय तक राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में हाशिए पर रहने के बावजूद, नायडू आभारी हैं। उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि किसी राजनेता को तब तक कम नहीं आंकना चाहिए जब तक कि वह खेल से बाहर न हो जाये।

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी पर संघ के सीधे हमले का क्या होगा परिणाम

सत्तासीन को अहंकारी नहीं होना चाहिए, पर क्या भाजपा नेता सलाह मानेंगे
एल.एस. हरदेनिया - 2024-06-18 14:49
इस समय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पदाधिकारी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व पर जबरदस्त हमला कर रहे हैं। संघ का आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व अत्यधिक आत्मविश्वासी और अहंकारी हो गया है। यह आरोप संघ के मुखपत्र आर्गनाइज़र में संघ के प्रमुख चिंतक श्री रतन शारदा द्वारा लगाया गया है। उनका आरोप है कि यदि नेतृत्व अहंकारी नहीं होता और अति आत्मविश्वासी नहीं होता तो भाजपा की झोली में लोकसभा की 400 सीटें आ जातीं।

ग्रामीण भारत के संकट को नजरअंदाज करना प्रधान मंत्री मोदी को महंगा पड़ा

बहुत मुश्किल में हैं गांव के लोग, राहत का इंतजार करने की स्थिति में भी नहीं
डॉ. सोमा मारला - 2024-06-15 11:39
ग्रामीण भारत ने भारतीय जनता पार्टी को लोकसभा में 240 सीटों तक सीमित कर दिया। अगर "एनडीए सहयोगी" न होते, तो नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री भी नहीं बन पाते। भाजपा अब संसद में साधारण बहुमत के लिए अपने सहयोगियों पर निर्भर है। भाजपा ने 2024 में अपने एक तिहाई ग्रामीण संसदीय क्षेत्रों को खो दिया, जो तीव्र ग्रामीण संकट को दर्शाता है। एमएसपी, अग्निवीर और उच्च बेरोजगारी, इन सभी ने भाजपा के चुनावी संकट में योगदान दिया।