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हरियाणा की जीत के बाद फिर लौटा नरेंद्र मोदी का पुराना अंदाज

फिर वैसी ही बयानबाजी, अब एनडीए नहीं बल्कि फिर से भाजपा का शोर
के रवींद्रन - 2024-10-10 10:51
मंगलवार की रात मोदी ने अपने पुराने अंदाज में ही भाषण दिया। हरियाणा में भाजपा की सफलता के बाद प्रधानमंत्री के विजय भाषण से ऐसा लगा जैसे उन्होंने राष्ट्रीय चुनाव में जीत हासिल कर ली हो। उन्होंने वह सब कुछ कहा जो उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद कहने की योजना बनायी थी, लेकिन अपनी पार्टी के लिए कम जनादेश के कारण ऐसा नहीं कर सके थे। मंगलवार की रात का संबोधन राज्य विधानसभा चुनाव के दायरे से कहीं आगे निकल गया।

जम्मू-कश्मीर में नेशनल कान्फ्रेंस-कांग्रेस की जीत के साथ बदलाव की जमीन तैयार

उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नयी केन्द्र-शासित प्रदेश सरकार के सामने कठिन चुनौतियां
सुशील कुट्टी - 2024-10-09 06:33
भारतीय जनता पार्टी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव हार गयी। नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने जीत दर्ज की। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने घोषणा की कि उमर अब्दुल्ला अगले मुख्यमंत्री होंगे। घाटी ने नेशनल कान्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन के लिए भारी मतदान किया था। जम्मू के हिंदुओं ने भाजपा को अपना चेहरा बचाने वाला एक मौका दिया, लेकिन उस हद तक नहीं, जिसकी भाजपा को उम्मीद थी। कांग्रेस जम्मू क्षेत्र में एनसी-कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत अधिक संख्या में दर्ज कर सकती थी परन्तु इसमें उनसे चूक हो गयी।

भाजपा में समानांतर सत्ता केंद्र के रूप में उभर रहे हैं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी

मोदी-शाह जोड़ी गुट के खिलाफ खुलकर आ रहे उनके विरोध का अर्थ
हरिहर स्वरूप - 2024-10-07 11:10
क्या केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी महाराष्ट्र चुनाव से पहले भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं? केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री 20 सितंबर को आचार्य चाणक्य कौशल विकास योजना का शुभारंभ करने और पीएम विश्वकर्मा योजना की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महाराष्ट्र के वर्धा यात्रा में शामिल नहीं हुए। गडकरी पिछले महीने नागपुर में भाजपा की चुनाव पूर्व समीक्षा बैठक से भी दूर रहे, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भाग लिया था।

तिरुपति लड्डू पर चंद्रबाबू और पवन की नये तरह की रथयात्रा

सर्वोच्च न्यायलय की चेतावनी की आखिर किसे है परवाह?
सुशील कुट्टी - 2024-10-05 10:52
तिरुपति के लड्डू सर्वोच्च न्यायलय के आदेश पर नियुक्त जांचकर्ताओं की एक मिलीजुली टीम के मुंह में हैं। टीम में दो सीबीआई अधिकारी शामिल हैं। क्या इससे तिरुपति-तिरुमाला के भगवान वेंकटेश्वर को न्याय मिलने में तेज़ी आयेगी? टीम इसमें कितनी और कब तक सफल हो पायेगी इसपर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता, क्योंकि पिछले कुछ समय से सीबीआई की छवि बहुत खराब हो गयी है।

शरणार्थियों को लेकर केंद्र और मिजोरम सरकार के बीच गतिरोध जारी

चटगांव पहाड़ी इलाकों से आदिवासियों के आने से स्थिति जटिल
आशीष विश्वास - 2024-10-04 11:01
बांगलादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के चलते वहां के चटगांव पहाड़ी इलाकों से बड़ी संख्या में आदिवासी भागकर भारत आ रहे हैं, जिससे भारत सरकार और मिजोरम राज्य के अधिकारियों के लिए लगभग 40,000 शरणार्थियों को रखने का खर्च बढ़ रहा है। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान, अशांत चटगाव क्षेत्रों से पहले की तुलना में बहुत अधिक आदिवासी भारत में आ रहे हैं, जो बांग्लादेश में अभी भी व्याप्त तनाव का एक निश्चित संकेत है, जिससे भारत के सीमावर्ती राज्य में आधिकारिक चिंताएँ बढ़ गयी हैं।

भारत के विरुद्ध एक खेल खेल रहे हैं बांगलादेश के डॉ. मुहम्मद यूनुस

नरेन्द्र मोदी सरकार को काफी सतर्क और सक्रिय रहने की आवश्यकता
नित्य चक्रवर्ती - 2024-10-03 10:53
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर, यानी संयुक्त राष्ट्र में, बांग्लादेश और भारत के बीच धारणा की पहली लड़ाई में, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ़ बिना किसी आमने-सामने की बैठक के स्पष्ट जीत हासिल की। डॉ. यूनुस अपनी पहली प्रमुख वैश्विक उपस्थिति में भारत पर बढ़त हासिल करने के लिए दृढ़ थे और उन्होंने ऐसा किया।
गाँधीजी की जन्मतिथि 2 अक्तूबर के अवसर पर विशेष

महात्मा गांधी की समाज व्यवस्था का आधार है धर्मनिरपेक्षता

सभी भारतीयों को उनकी परिभाषा मान लेनी चाहिए
एल.एस. हरदेनिया - 2024-10-01 11:20
इस समय सम्पूर्ण देश में इस बात पर बहस जारी है कि सेक्युलरिज्म (धर्मनिरपेक्षता) भारतीय मूल्य है या यूरोपीय है। इस बात पर बहस तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा प्रारंभ की गयी है। परंतु जिस धर्मनिरपेक्षता को हम मानते हैं, जिसे इस देश की बहुसंख्यक जनता मानती है वह पूरी तरह से भारतीय है। हम धर्मनिरपेक्षता की उस परिभाषा को मानते हैं जो बापू ने की है। उनका धर्मनिरपेक्षता या सेक्युलरिज्म के प्रति जो विचार था वही हमारा विचार है।

तिरुपति लड्डू विवाद में राजनीतिक और धार्मिक आयाम

सर्वोच्च न्यायालय को इस मुद्दे को सदा के लिए सुलझाना चाहिए
कल्याणी शंकर - 2024-10-01 10:44
जब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा बेचे जाने वाले श्रीवारी लड्डू जैसी हानिरहित मिठाई को लेकर विवाद और संदेह पैदा होता है, तो यह यहीं नहीं रुकता। पिछले हफ़्ते यह और भी आगे बढ़ गया और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू के लिए अपने पूर्ववर्ती जगन मोहन रेड्डी को मात देने का एक राजनीतिक हथियार बन गया। कांग्रेस और भाजपा जैसी अन्य राजनीतिक पार्टियाँ इसे अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक मुद्दा मानते हैं। कुछ अन्य इसे भोजन की गुणवत्ता का मुद्दा मानते हैं।

स्टेट बैंक का बड़ी डिफॉल्टर कंपनी में इक्विटी खरीदना आपत्तिजनक

सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंक ने 93 प्रतिशत ऋण माफ कर दिया
सी एच वेंकटाचलम - 2024-09-30 10:30
कॉरपोरेट पर्यवेक्षकों को आश्चर्यचकित करने वाले एक कदम में, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) डिफॉल्टर सुप्रीम इंफ्रास्ट्रक्चर इंडिया लिमिटेड (एसआईआईएल) के ऋण पुनर्समायोजन में दोहरी भूमिका निभायेगा। यह घटनाक्रम भारत के कॉर्पोरेट ऋण समाधान परिदृश्य में एक अभूतपूर्व कदम है, क्योंकि देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक पूर्व का ऋण वापस नहीं करने वाली कंपनी एसआईआईएल का प्राथमिक ऋणदाता होने के बाद अब इक्विटी शेयरधारक बनने की ओर बढ़ रहा है।

जम्मू-कश्मीर चुनाव के महत्वपूर्ण तीसरे चरण में भाजपा की नीतियों की अग्निपरीक्षा

अनुच्छेद 370 और राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दों पर बढ़ी कांग्रेस की मुश्किलें
डॉ. ज्ञान पाठक - 2024-09-27 11:09
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भाग लेने वाले सभी राजनीतिक दलों के चुनाव अभियान निस्संदेह मुख्यतः भारतीय संविधान के निरस्त अनुच्छेद 370 की बहाली और इस केंद्र शासित प्रदेश का खोया हुआ राज्य का दर्जा वापस दिलाने के मुद्दों के आसपास घुम रहे हैं। चुनावी लड़ाई दो राष्ट्रीय दलों - भाजपा और कांग्रेस, दो क्षेत्रीय दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और एक नये प्रवेशी इंजीनियर रशीद की अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी), जिसने भाजपा के 'नये कश्मीर' एजंडे को हराने की कसम खायी है, के लिए जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक प्रासंगिकता को फिर से स्थापित करने के संघर्ष में बदल रही है। इनमें बड़ी संख्या में कथित तौर पर भाजपा के छद्म उम्मीदवार और जमात-ए-इस्लामी द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल हैं।