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आतंकवाद पर अमेरिका को नीतियां बदलना जरूरी

ओ.पी. पाल - 2010-07-25 11:54
भारत में 26/11 आतंकी हमले को लेकर भले ही अमेरिका पाकिस्तान पर दबाव बनाने की बात करता हो, लेकिन पाकिस्तान या अफगानिस्तान के मामले में जिस प्रकार की अमेरिकी नीतियां बनाई जा रही हैं, वह आतंकवाद से निपटने में नाकाफी हैं और नही मौजूदा नीतियों से अमेरिका तालिबान को समाप्त कर पाएगा? दरअसल पाकिस्तान को अपने साथ रखना इसलिए भी अमेरिका की मजबूरी है कि उसे इस बात का डर है कि कहीं पाकिस्तान पूरी तरह चीन की गोद में न चला जाए। यही कारण है कि अमेरिका यह सब जानते हुए भी कि पाकिस्तान आतंकवाद और तालिबानी संगठन अलकायदा जैसे कट्टरपंथी संगठनों का समर्थन और उनके लिए मददगार है, फिर भी अफगान में जारी अपने संघर्ष को दृष्टिगत रखते हुए पाकिस्तान को आर्थिक और हथियारों जैसी सहायता को लगातार बढ़ा रहा है।

अफगानिस्तान सम्मेलन एवं क्लिंटन की पाक यात्रा

दक्षिण एशिया में शांति के लिए पाकिस्तान का बदलना आवश्यक
अवधेश कुमार - 2010-07-24 12:24
लगभग एक सप्ताह तक दक्षिण एशिया भारी कूटनीतिक हलचलों का क्षेत्र बना रहा। अफगानिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, उसके पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का पाकिस्तान दौरा, इसके पहले भारतीय विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा की पाकिस्तान यात्रा एवं उसके बाद पाकिस्तानी नेताओं के शांति प्रयासों पर पानी फेरने वाले वक्तव्यों के कारण यह क्षेत्र लगातार सुर्खियों में रहा है। जाहिर है, इन सारी घटनाओं का कुछ न कुछ परिणाम आना चाहिए।

अमेरिकी कॉर्पोरेट के सामने विश्वसनीयता का संकट

विशेषज्ञ चाहते हैं ज्यादा सरकारी हस्तक्षेप
नन्तु बनर्जी - 2010-07-12 13:04
वाशिंगटनः अमेरिका में पूंजीवादी व्यवस्था कभी भी लोगों की आलोचना का इतना बड़ा शिकार नहीं थी, जितना वह आज है। अमेरिका तो मुक्त बाजार की अर्थव्यवस्था का स्वर्ग रहा है। आज ओबामा प्रशासन अपने देश के शिक्षाविदों, आर्थिक एवं राजनैतिक चिंतको के भारी दबाव का सामना कर रहे हैं और उनपर दबाव है कि राज्य आर्थिक मामलों में ज्यादा से ज्यादा हस्तक्षेप करे ताकि सटौरिए, लालची बैंकर लेखापाल और कॉर्पारेट एक्जक्यूटिव्स पर लगाम लग सके।

विश्व जनसंख्या दिवस 2010- हरेक की गणना आवश्यक

वी मोहन राव - 2010-07-12 08:03
हरेक की गणना आवश्यक है- यह विश्व जनसंख्या दिवस, 2010 का ध्येयवाक्य है जो ग्यारह जुलाई को है। यह एक ऐसा वार्षिक समारोह है जो विश्व जनसंख्या के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष का ध्येयवाक्य लोगों को आधिकारिक जनगणना या जनसंख्या पर आंकड़े जुटाए जाने वाली अन्य प्रकियाओं में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करने वाला है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने सन् 1989 में इस दिवस का शुभारंभ किया था जिसका लक्ष्य परिवार नियोजन का महत्व, महिला-पुरूष समानता, गरीबी, मातृत्व स्वास्थ्य, यौन एवं प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य और मानवाधिकार जैसे जनसंख्या संबंधी मुद्दों के बारे में लोगों की जागरूकता में वृद्धि करना था। इन सभी तत्वों का विश्व के विकास एवं पर्यावरण पर गंभीर असर पड़ता है।

ट्राईफेड - जनजातियों का आर्थिक सशक्तिकरण

विशेष संवाददाता - 2010-07-07 12:03
जनजातीय दस्तकारों के उत्पादों और कौशल, खासतौर पर हस्तशिल्प को प्रोत्साहन देने के लिए तथा अंतत: टिकाऊ बाजारों के सृजन के जरिए उनकी आय बढा़ने के उद्देश्य से भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (ट्राईफेड) पिछले कुछ वर्षों से अपनी गतिविधियों का निरंतर विस्तार कर रहा है।

भारत और स्लोवेनिया ने पीएसई प्रबंधन के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए

विशेष संवाददाता - 2010-07-07 11:57
नई दिल्ली: भारत सरकार के सार्वजनिक उद्यम विभाग और स्लोवेनिया के अंतर्राष्ट्रीय उद्यमी प्रोत्साहन केन्द्र, ल्जुब्लजाना ने आज एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग की क्षमता बढ़ाने के लिए यह सहमति पत्र तैयार किया गया है। सार्वजनिक उद्यम विभाग के सचिव श्री भास्कर चटर्जी और स्लोवेनिया के उच्च शिक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उप मंत्री डॉ. जोस़फ ग्योरकोश ने नई दिल्ली में इस सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए। केन्द्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम राज्य मंत्री श्री अरूण यादव भी इस अवसर पर मौजूद थे।

समूह 20 के दुविधाग्रस्त नेता दुनिया को संकट से निजात नहीं दिला सकते

अवधेश कुमार - 2010-07-03 09:35
यह अब एक परंपरा की तरह कायम हो गया है। जहां भी दुनिया के प्रमुख देश विश्व अर्थव्यवस्था पर विचार-विमर्श करने या कुछ निर्णय करने के लिए एकत्रित होते हैं, वहां आयोजन के समानांतर विरोध प्रदर्शन चलते रहते हैं। धीरे-धीरे ये विरोध प्रदर्शन उग्र होते जा रहे हैं। पिछले साल लंदन में हुए समूह आठ एवं समूह 20 सम्मेलन के दौरान जितना उग्र प्रदर्शन हुआ उसे भुलाया नहीं जा सकता। अभी 26-27 जून को टोरंटो में विश्व की आर्थिक महाशक्तियों के संगठन समूह आठ एवं उभरती हुई नई आर्थिक शक्तियों के देश समूह 20 के संयुक्त सम्मेलन के बाहर प्रदर्शनकारियों ने जैसा आक्रामक विरोध किया, वह भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है। उतनी हिसा, तोड़फोड़ और आगजनी की कल्पना कनाडा सरकार को भी नहीं थी। कुछ लोगों को इस शर्त्त पर प्रदर्शन की अनुमति दी गई थी कि वे शांतिपूर्ण तरीका अपनाएंगे, किंतु ऐसा नहीं हुआ।

अमेरिकी राजनीति में भारतीयों की संख्या बढ़ी

बढ़ता आर्थिक प्रभुत्व एक बड़ी उपलब्धि
कल्याणी शंकर - 2010-07-02 10:34
वाशिंगटनः साउथ कैरोलिना के गवर्नर पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी प्राप्त करने की होड़ में निक्की हैली और भी आगे बढ़ गई हैं। इसके साथ अब लोगों की नजर भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के अमेरिकी राजनीति में बढ़ती पैठ पर नजर है। अगर निक्की नवंबर में होने वाले गवर्नर का चुनाव जीत जाती हैं, तो वह न केवल साउथ कैरालिना की पहली महिला गवर्नर होंगी, बल्कि अल्पसंख्यक रेस की पहली गवर्नर भी होंगी। उसके बाद 38 वर्षीय निक्की बाबी जिंदल के बाद अमेरिका के किसी राज्य की गवर्नर बनने वाली दूसरी भारतीय अमेरिकी होगी। बाबी जिंदल 39 साल के हैं और वे लुइसियाना के गवर्नर हैं।

भारत-दक्षिण अफ्रीका व्यापार

मनीष देसाई - 2010-06-30 13:17
दक्षिण अफ्रीका 1946 के पहले भारत का प्रमुख व्यापार सहयोगी थी और तब भारत के कुल निर्यात का 5 प्रतिशत भाग इसी देश को होता था । परन्तु दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति अपनाए जाने के बाद भारत पहला देश था जिसने 1949 में उसके साथ व्यापार संबंध समाप्त कर दिये । बाद में उस पर राजनयिक व्यापारिक, सांस्कृतिक और खेलकूद के सभी तरह के संबंधों पर रोक लगा दी । भारत दक्षिण अफ्रीका में सरकार के रंगभेद युग का सबसे मुखर आलोचक बना रहा । अपनी इसी नीति के कारण दक्षिण अफ्रीका और अन्य अफ्रीकी देशों में भारत के प्रति भारी सद्भावना देखी जाती रही।

जी-20 सम्मलेन से बढ़ी भारत की साख!

ओ.पी. पाल - 2010-06-29 10:08
भारत की यह बड़ी सफलता मानी जा रही है कि कनाडा के टोरटों में संपन्न हुए जी-20 सम्मेलन में जा यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था की चर्चा हुई तो वैश्विक मंदी के दौरान जा अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती नजर आई तो ऐसे में भारत ने अर्थव्यवस्था का संतुलन बनाने के लिए जो उपाय किये गये, जिसके लिए सम्मेलन में भारत की सरहाना हुई। वहीं इस सम्मेलन में भारत व कनाड़ा के बीच असैन्य परमाणु करार भी एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।