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कांग्रेस में चापलूसी और निकम्मेपन का घुन

राहुल का नुस्खा और इलाज

नब्ज पकड़ी पर नीयत ठीक हो तो बात बने
ज्ञान पाठक - 2007-11-22 16:26 UTC
काग्रेस की बीमारी क्या है? संगठन में क्या - क्या परिवर्तन करने की आवश्यकता है? पार्टी को जीवंत कैसे बनाया जाये?... आदि - आदि। ऐसे सवाल नये नहीं हैं। नया है तो यह कि अब राहुल गांधी को मैदान में उतारा गया है और उन्होंने कुछ बातें भी कहीं, नुस्खा भी बताया। लेकिन...
राहुल ने पकड़ी यूपी कांग्रेस की असल बीमारी

लेकिन इलाज का सवाल

मुर्दा हो चुकी कांग्रेस क्या जिंदा भी हो सकेगी
हिसाम सिद्दीकी - 2007-11-21 12:57 UTC
आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी राहुल गांधी उत्तर प्रदेश कांग्रेस की असल बीमारी समझ चुके है। यह अंदाजा उन्हीं की बातों से पिछले दिनो लखनऊ में उस वक्त लगा जब वह मीडिया से मुखातिब हुए। पार्टी का मर्ज जानकर उन्होंने यह तो जाहिर कर दिया कि वह एक सियासी डाक्टर बन चुके है, लेंकिन अस्ल सवाल यह है कि क्या वह इतने माहिर हैं।
अप्रत्याशित विदेशी धनागम से भारत को खतरा

भोजन की घटती उपलब्धता

वित्त मंत्री को ऐसे आर्थिक विकास पर गर्व
ज्ञान पाठक - 2007-11-12 18:53 UTC
भारत के वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने देश के आर्थिक विकास की एक तस्वीर पेश करते हुए देश के आर्थिक संपादकों के एक सम्मेलन में कहा कि उन्हें और उनकी सरकार को गर्व है। उन्होंने कहा कि ऐसा गर्व क्षमा योग्य है। लेकिन क्या भारत की जनता उन्हें क्षमा कर सकेगी विशेषकर वे जिनके लिए भोजन की उपलब्धता घटी है? उन्होंने देश की विकास दर सकल घरेलू उत्पाद का 9.4 प्रतिशत बताया लेकिन यह भी स्वीकार किया कि प्रति व्यक्ति भोजन की उपलब्धता कम होती जा रही है। सवाल है कि ऐसे विकास का हमारी आम जनता क्या करेगी?

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यह धोखा है कामरेड

जनविरोधी नीतियों के साथ भी और विरोध में भी !
System Administrator - 2007-11-11 06:41 UTC
सोचने के लिए मजबूर करने वाली बात यह है कि केन्द्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की जो सरकार चल रही है वह तो वामपंथी राजनीतिक पार्टियों के समर्थन पर ही चल रही है। यदि वामपंथी राजनीतिक पार्टियों को यह ज्ञान है कि सरकार की नीतियां “जन विरोधी और श्रमिक विरोधी” हैं तो वे ऐसी सरकार को समर्थन ही क्यों दे रहे हैं।
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विशेष आर्थिक क्षेत्र की नयी यो

सरकार की अधिनायकवादी प्रवृत्ति और चीखते-चिल्लाते लोग
System Administrator - 2007-11-11 06:20 UTC
मामला काफी गंभीर है और सरकार की प्रियोक्ति अलंकार वाली भाषा पर भरोसा करना ऐसे समय में उचित नहीं होगा। उद्योग और कृषि दोनों क्षेत्रों को अधिकांश लोगों को नुकसान से बचाने का इंतजाम और आगे की विकास की योजनाएं साथ-साथ चलनी चाहिए, एक दूसरे की कीमत पर नहीं। विकृति लाने के अथक प्रयासों के मुकाबले अथक विरोध ही एक रास्ता बचा है तथा चिकनी चुपड़ी बातों में आकर खूंटा वहीं नहीं गड़ने देना चाहिए जहां सरकार चाहती है। पहले चीखते-चिल्लाते लोगों के दुख जरुर सुन लें
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ठेकेदार की धमकी से उठा बवंडर

झारखंड में कोड़ा का राज चलेगा
System Administrator - 2007-11-11 05:41 UTC
झारखंड की राजनीति में ‘कोड़ा’? यह कोई नयी बात नहीं, फर्क सिर्फ इतना है कि उसका स्वरुप बदला हुआ होगा। पहले सत्ता में बने रहने और निर्बाध लूट-खसोट जारी रखे रहने के लिए धमकियों का कोड़ा चलता था पर अब वहां की राजनीति में मधु कोड़ा ही चलेगा और वह भी मुख्य मंत्री के रुप में।
ज्ञान पाठक के अभिलेखागार से

भूल-भुलैयों का मजा भी लीजिए

प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह के साथ
System Administrator - 2007-11-11 05:30 UTC
सबकी जिंदगी मजे में कटे। डा. मनमोहन सिंह जी की तो कट गयी। उनके साथ सबकी जिंदगी मजे में कट सकती है। उनके साथ गर्दन तक बड़े प्यार से कट जाती है। उनके साथ तो हल्ला हंगामा से भी बचकर साफ निकल जाना आसान हो जाता है। पुरानी कहावत है – जैसा देवता वैसी पूजा। उसमें डाक्टर साहब को महारत हासिल है। हर तरह के देवता को वे मजे में रखना जानते हैं।
ज्ञान पाठक के अभिलेखागार से

राजस्थान में गुज्जर आन्दोलन

System Administrator - 2007-10-20 07:31 UTC
राजस्थान में गुज्जर आन्दोलन के चलते राज्य सुलग रहा है। राज्य के 30 में से 26 जिलों में हिंसा और उपद्रव का वातावरण है। आन्दोलन के तीसरे दिन तक पुलिस फायरिंग और भीड़ की हिंसा में 20 लोग मारे जा चुके हैं और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हैं।

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प्रधान मंत्री ने डलवायी नकेल

System Administrator - 2007-10-20 07:26 UTC
भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष अनिल काकोदकर, जो कल तक इस समझौते को भारत के लिए नुकसानदेह बता रहे थे, अचानक बदल गये और कहने लग गये हैं कि वे अंतिम प्रारुप से संतुष्ट हैं।

ज्ञान पाठक के अभिलेखागार से

बदलता मौसम और ...

System Administrator - 2007-10-20 07:21 UTC
दुनिया के बदलते मौसम को रोकने के लिए ग्रुप-8 देशों की बैठक में फिर एक बार अपने पुराने संकल्प और आह्वान को दोहराया। इसका सभी ओर स्वागत हुआ है। विश्व बैंक ने भी इसका स्वागत किया है क्योंकि यह भी तो उन्हीं देशों के कब्जे में रहने वाली संस्था है। सबों ने कहा कि