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धर्मनिरपेक्षता और संघवाद पर हमले का वर्ष रहा 2022
इसी शनिवार को समाप्त हो रहे वर्ष 2022 पर एक नज़र डालने से पता चलता है कि यह एक ऐसा वर्ष रहा है जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2020 और 2021 में जिस गहरे गर्त में गिर गयी थी, उससे बाहर निकलने के लिए संघर्ष करती रही। बढ़ती महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, औद्योगिक गतिरोध और आय और संपत्ति में लगातार बढ़ती असमानताएँ इसके स्पष्ट लक्षण थे।
सर्वोच्च न्यायालय ने देखा एक साल में तीन मुख्य न्यायाधीश
न्यायिक शिक्षाविद सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों के कार्यकाल और उन दौरान सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णयों की गुणवत्ता के बीच संबंध, यदि कोई हो तो, यदि स्पष्ट करेंगे तो अच्छा ही करेंगे।वर्ष 2022 इस तरह के किसी भी अध्ययन के लिए एक समृद्ध संसाधन होगा क्योंकि इसमें तीन अलग-अलग मुख्य न्यायाधीशों को देखा गया और दिलचस्प बात यह कि तीनों ने ऐतिहासिक फैसले दिये, जो सभी कार्यपालिका और उसकी प्रतिबद्धता पर असर के मामले में एक दूसरे से अलग थे।
चुनौतियों से भरा होगा 2023 का विश्व और भारत
वर्ष 2023 के गर्भ में क्या है? यह अच्छा होगा या बुरा? पिछले तीन वर्षों से, दुनिया ने एक अभूतपूर्व महामारी - कोविड - का सामना किया है जिसने दुनिया को तबाह कर दिया है। क्रिस्टल बॉल गेजर्स अगले साल बेहतर परिदृश्य की उम्मीद कर रहे हैं।वे उम्मीद करते हैं कि अर्थव्यवस्था की सेहत बहाल हो जायेगी और यूक्रेन में युद्ध की स्थिति के भी हल होने की उम्मीद है।
भारत की समुद्री सुरक्षा के लिए नौसेना के विस्तार की आवश्यकता
भारतीय नौसेना को मजबूत करने के लिए भारत को आने वाले वर्षों में तेजी से पूंजीगत बजट को बढ़ाना होगा, अपने बेड़े को विस्तारित करना होगा, और आधुनिकीकरण की गति तेज करनी होगी ताकि आकार में दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना शक्ति, चीन कीपीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) से हिंद महासागर तथा प्रशांत क्षेत्र में बढ़ते खतरों का मुकाबला किया जा सके। सरकार को इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि पीएलएएन भारतीय नौसेना से चार गुना बड़ा और मजबूत है।यह सच है कि इस वित्तीय वर्ष में पहली बार भारतीय नौसेना का पूंजीगत व्यय लक्ष्य 45 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है, परन्तु आगे भी इसे बढ़ाने की आवश्यकता है।