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बसपा को पुनर्जीवित करने के प्रयास में मायावती ने अपने परिवार का रुख किया

बसपा सुप्रीमो ने नए नेताओं को सोशल मीडिया पर उपस्थिति बढ़ाने का दिया निर्देश
प्रदीप कपूर - 2022-03-30 12:07
लखनऊः यूपी विधानसभा चुनाव में अपमानजनक प्रदर्शन के बाद, मायावती 2024 के लोकसभा चुनावों पर नजर गड़ाए हुए पार्टी संगठन को नया रूप दे रही हैं। 27 मार्च को हुई समीक्षा बैठक के बाद बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने अपने भाई आनंद को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश को शक्तिशाली राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया।

पश्चिम बंगाल में माफिया प्रेरित हिंसा का एक लंबा राजनीतिक इतिहास है

काले धन को लेकर तृणमूल नेताओं और कार्यकर्ताओं की लड़ाई
आशीष विश्वास - 2022-03-29 10:54
माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय का बंगाल पुलिस के बजाय केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को बीरभूम हत्याकांड की जांच करने की शक्ति सौंपने का निर्णय सराहनीय है। न्यायालय का यह आग्रह भी अपवादनीय है कि उचित कानूनी प्रक्रिया में लोगों का विश्वास बहाल किया जाना चाहिए - विशेष रूप से कुशासन वाले राज्य में!

आने वाले समय में राष्ट्रीय स्तर की पार्टियों की तादाद बढ़ जाएगी

बसपा का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिन सकता है
अनिल जैन - 2022-03-28 14:54
भारत में इस समय आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय स्तर के मान्यता प्राप्त कुल सात राजनीतिक दल हैं, लेकिन आने वाले समय में इनकी संख्या में इजाफा हो सकता है। हाल ही में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनने की दौड़ में मंजिल के काफी करीब पहुंच गई है और अगर उसके लिए सब कुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक उसे राष्ट्रीय स्तर की पार्टी का दर्जा हासिल हो जाएगा। इस दौड़ में उसके पीछे जनता दल (यू) है जिसे अगले साल यह दर्जा हासिल हो सकता है।

संविधान को फिर से लिखने के लिए भाजपा के आह्वान में लोकतंत्र के लिए अशुभ स्वर हैं

संघ परिवार सावरकर की हिंदुत्व की अवधारणा को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है
कृष्णा झा - 2022-03-26 09:58
नई सदी के तीसरे दशक की शुरुआत के साथ देश के इतिहास को बिना किसी ऐतिहासिकता के, आश्चर्यजनक रूप से विकृत करने का एक जबरदस्त प्रयास है। नवीनतम संकेतक संविधान को फिर से लिखने का आह्वान है। इस आह्वान में निहित भाजपा सरकार की कोशिश है कि लोगों को केवल वही याद दिलाया जाए जो वीडी सावरकर ने 1923 की शुरुआत में अपने मोनोग्राफ में लिखा था, ‘‘.. पूरा भारत हिंदुओं के लिए इस तथ्य के कारण है कि वे अकेले हैं, मुस्लिम या ईसाई नहीं, जो इस क्षेत्र को पवित्र नहीं मानते हैं।” उन्होंने आगे लिखा, ‘‘सभी हिंदू दावा करते हैं कि उनकी रगों में शक्तिशाली जाति का खून है, जो वैदिक पिता, सिंधु के साथ शामिल और उनके वंशज हैं।’’ इसे सारांशित करते हुए उन्होंने लिखा, ‘‘हम हिंदू एक हैं क्योंकि हम एक राष्ट्र हैं, एक जाति हैं और एक समान संस्कृति (संस्कृति) के मालिक हैं।’’ उन्होंने कभी भी बहुलता में एकता की हमारी सबसे खूबसूरत सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख नहीं किया।

गीता पर गुजरात सरकार का फैसला असंवैधानिक है

हिंदुत्व पर एक वैकल्पिक दृष्टि के लिए वाम और लोकतांत्रिक ताकतों को लड़ना होगा
प्रकाश कारत - 2022-03-25 12:00
गुजरात के शिक्षा मंत्री द्वारा घोषणा कि शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से कक्षा 6 से कक्षा 12 के छात्रों के लिए पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में भागवत गीता को स्कूलों में पढ़ाया जाएगा, राज्य के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत का उल्लंघन है।

अरविंद केजरीवाल युवा हैं, उनके पास समय है, उन्हें 2029 के लिए काम करना चाहिए

गुजरात और हिमाचल में आप की नींव से कांग्रेस के चिंतित होने के कारण
कल्याणी शंकर - 2022-03-24 15:29
क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस पार्टी या दोनों के लिए चुनौती बनकर उभरेंगे? इसमें कोई शक नहीं कि पंजाब जीतने से उन्हें अपनी आम आदमी पार्टी के पंख दूसरे राज्यों में फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, लेकिन क्या वह अपनी महत्वाकांक्षा हासिल कर सकते हैं? यह मुश्किल हो सकता है क्योंकि अन्य क्षेत्रीय क्षत्रपों की अपनी जागीर पर उसकी वृद्धि को रोकने के लिए एक मजबूत पकड़ है।

गणेश शंकर विद्यार्थी की शहादत

दंगा रुकवाने के लिए उन्होंने मृत्यु का वरण कर लिया
एल. एस. हरदेनिया - 2022-03-23 09:42
कौन भूल सकता है कानपुर के उस भीषण नर-संहारकारी हिन्दू मुस्लिम दंगे को? बीसियों मंदिर और मस्जिदें तोड़ी और जलाई गइंर्, हजारों मकान और दुकानें लुटीं और भस्मीभूत हुईं। लगभग 75 लाख की सम्पत्ति स्वाहा हो गई, करीब 500 से भी ऊपर आदमी मरे और हजारों घायल हुए। कितनी माताओं के लाल, काल के गाल में समा गए, कितनी युवतियों की माँग का सिन्दूर धुल गया, हाथ की चूड़ियाँ फूट गईं, कितने फूल से कोमल और गुलाब से आकर्षक नवजात शिशु और बच्चे मूली-गाजर की तरह काट डाले गये और कितने मातृ-पितृहीन होकर निराश्रित और निःसहाय बन गए। कितने लखपति, भिखारी बन गये। ऐसा भंयकर, ऐसा सर्वनाशकारी, ऐसा आतंकपूर्ण था कानपुर का वह दंगा! परंतु यह सब होते हुए भी इसका नाम चिरस्थायी न होता, यदि गणेशशंकर विद्यार्थी आत्माहुति देकर, हिन्दू-मुसलमानों के लिए एक महान और सर्वथा अनुकरणीय आदर्श उपस्थित न कर जाते।

चिकित्सा नैतिकता को वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर अद्यतन किया जाना चाहिए

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने बड़ी जल्दबाजी में लिया चरक पर फैसला
डॉ अरुण मित्रा - 2022-03-22 11:18
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड (यूजीएमईबी) ने 17 फरवरी 2022 को आयोजित अपनी वीडियो कॉन्फ्रेंस मीटिंग में डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज करते समय चिकित्सा नैतिकता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए हिप्पोक्रेटिक शपथ को बदलने का फैसला किया है। इसकी जगह चरक शपथ लेगी। चरक हमारे देश के चिकित्सा के इतिहास में एक महान व्यक्ति हैं। प्राचीन भारत के चिकित्सा के इतिहास को याद करते हुए दो नाम हैं जिन्हें श्रद्धा के साथ लिया जाता है। चरक 300 ईसा पूर्व में एक चिकित्सक थे और सुश्रुत 600 ईस्वी में एक सर्जन थे।

वाम दलों को राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजों से उचित सबक लेना होगा

धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक विकल्प बनाने का सही समय
बिनय विश्वम - 2022-03-21 11:20
केंद्र में दक्षिणपंथी सरकार का नेतृत्व करने वाली पार्टी हाल ही में हुए चुनावों में पांच में से चार राज्यों में विजयी हुई है। वह पार्टी अपनी निर्विवाद फासीवादी विशेषताओं के साथ अपने युद्धाभ्यास कौशल के लिए भी जानी जाती है। उन्होंने विभिन्न माध्यमों से चुनाव मशीनरी के प्रबंधन में विशेषज्ञता साबित की है। चुनावों में कॉरपोरेट्स द्वारा भारी मात्रा में संसाधनों का इस्तेमाल किया गया। लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर विजय प्राप्त करने के लिए सत्ताधारी दल द्वारा इसका चालाकी से उपयोग किया गया। चुनाव अधिक से अधिक एक बड़े धन का मामला बनता जा रहा है, जहां काला और सफेद दोनों धन बहते हैं।

हिटलर से प्रेरित है ‘कश्मीर फाइल्स’ की सरकारी मार्केटिंग

नाजी सरकार की ओर से ऐसी फिल्मों को पुरस्कृत भी किया जाता था
अनिल जैन - 2022-03-19 09:42
देश बदल नहीं रहा है बल्कि बहुत कुछ बदल चुका है! एक वह समय था जब भारत के प्रधानमंत्री अपने समय के फिल्मकारों को ‘हकीकत’, ‘प्यासा’, ‘नया दौर’ जैसी फिल्में बनाने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे और आज वह समय आ गया है जब मौजूदा प्रधानमंत्री एक यौन कुंठित और तीसरे दर्जे के फिल्मकार की अधूरा सच और तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर बनाई गई बदअमनी फैलाने वाली फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ की मार्केटिंग कर रहे हैं। यह विडंबना तब के और अब के प्रधानमंत्री के बीच उनकी औपचारिक पढ़ाई-लिखाई के फर्क के साथ ही उनके बौद्धिक स्तर और उनके इरादों के फर्क को भी रेखांकित करती है।