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उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों ने लखीमपुर हत्याकांड को बनाया चुनावी मुद्दा

अखिलेश, प्रियंका, मायावती ने 2022 विधान सभा चुनाव के लिए शुरू किया अभियान
प्रदीप कपूर - 2021-10-14 10:18
लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए तैयार है, जिसमें तीन महत्वपूर्ण विपक्षी नेता समाजवादी पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बसपा की मायावती और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है।

मोहन भागवत नए हिंदू युवाओं को समझने में उलझे

संघ परिवार नई पीढ़ी की आकांक्षा का मॉडल नहीं हैं
अरुण श्रीवास्तव - 2021-10-13 11:05
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदू माता-पिता, हिंदू परिवारों को अपने बच्चों को धर्म और परंपराओं के लिए गर्व के मूल्य नहीं देने के लिए दोषी ठहराया है। वे गलत नहीं हैं। हाल के दिनों में हिंदू माता-पिता ने अपने बच्चों पर नियंत्रण खो दिया है क्योंकि वे अपने राजनीतिक मित्रों और मालिकों को अपने बाप की तुलना में ज्यादा महत्व देते हैं। अतीत में माता-पिता के शब्द गीता और रामायण के शब्दों की तरह होते थे।

लखीमपुर खीरी नरसंहार और उसके बाद

मंत्री अजय मिश्र का इस्तीफा नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-10-12 10:26
उत्तर प्रदेश के लखीमरपुर खीरी में किसानों के हुए नरसंहार के एक सप्ताह से भी ज्यादा हो गए हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन ने अबतक जो कार्रवाई की है, वह अपर्याप्त है। हालांकि आशीष मिश्र, जिसे हत्या कांड का मुख्य अभियुक्त बताया जा रहा है, को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी भी बहुत विलंब से हुई है और पुलिस द्वारा हुई विलंबित कार्रवाई का ही यह नतीजा है कि जब उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया, तो उसके पास करीब 10 लोगों द्वारा तैयार किए गए विडियो थे, जिनमें उसे निर्दोष बताया जा रहा था। उस विडियो में लोग दावा कर रहे थे कि वारदात के समय वह उनके पास था। जाहिर है, उसे जो समय मिला, उसका इस्तेमाल उसने अपने पक्ष में सबूत तैयार करने में लगाया। सहज अंदाज लगाया जा सकता है कि उसने यथासंभव कोशिश की होगी कि उसके खिलाफ जो सबूत है, उसे नष्ट कर दिया जाय।

दूसरे क्षेत्रीय नेताओं से जरा भी अलग नहीं हैं अरविंद केजरीवाल

केजरीवाल ही पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक बने हुए हैं
अनिल जैन - 2021-10-11 10:36
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रशासन के मामले में निश्चित ही दूसरी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों से थोडा अलग हैं, लेकिन पार्टी चलाने के मामले में उनमें और अन्य क्षेत्रीय दलों के नेताओं में रत्तीभर का फर्क नहीं है। जिस तरह देश की तमाम क्षेत्रीय या प्रादेशिक पार्टियों में उनके संस्थापक नेता ही हमेशा अध्यक्ष रहते हैं और उनके सक्रिय राजनीति से अलग हो जाने या उनकी मृत्यु के बाद अध्यक्ष पद कारोबारी संस्थान की मिल्कियत की तरह उनके बेटे या बेटी को हस्तांतरित हो जाता है, उसी तरह आम आदमी पार्टी में भी पहले दिन से ही अरविंद केजरीवाल संयोजक बने हुए हैं और संभवतया आजीवन बने रहेंगे। पिछले दिनों उन्हें तीसरी बार पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक चुना गया है।

उपचुनाव के लिए ओबीसी उम्मीदवारों पर बीजेपी, कांग्रेस की तकरार

मध्य प्रदेश को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अच्छा प्रतिनिधित्व मिल रहा है
एल. एस. हरदेनिया - 2021-10-09 09:31
भोपालः एक संसदीय और तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं। भाजपा में विद्रोह का खतरा मुख्य रूप से इसलिए है क्योंकि भाजपा ने दो विधानसभा क्षेत्रों में दलबदलुओं को प्रायोजित किया है। एक निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा ने ऐसे उम्मीदवार को नामित करने का फैसला किया है जो कुछ दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुआ था।

प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को दिया बड़ा मनोबल

योगी आदित्यनाथ को पार्टी के वरिष्ठ सहयोगियों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है
प्रदीप कपूर - 2021-10-08 09:40
लखनऊः कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने लखीमपुर खीरी में हुए हत्याकांड को समझदारी से संभालते हुए अन्य विपक्षी नेताओं पर निशाना साधा। गौरतलब हो कि लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या हुई थी। हत्या में केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्र की गाड़ी का इस्तेमाल हुआ था।

असम बेदखली, दण्ड से मुक्ति और विस्थापन की कहानी है

भाजपा सरकार कानून के शासन का घोर उल्लंघन कर रही है
अत्रेय बनर्जी और शारदा राजामी - 2021-10-07 11:11
अपनी पुस्तक ‘द वेज ऑफ इम्पुनिटी’ में मानवाधिकार कार्यकर्ता के.जी. कन्नाबिरन ने सत्ता, कानून और क्रूरता के अंतर्संबंध पर लिखा, अपने ही लोगों के खिलाफ क्रूरता को वैध बनाने और लागू करने में उत्तर-औपनिवेशिक राज्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया। जैसा कि कन्नबीरन बताते हैं, इस तरह की क्रूरता को सामूहिक राज्य कार्रवाई के माध्यम से नियमित किया जाता है, जिसमें विधायिका और न्यायपालिका की मौन स्वीकृति शामिल होती है, जबकि कार्यपालिका द्वारा लागू किया जाता है। सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर राज्य द्वारा प्रायोजित नरसंहार उचित हैरू अस्पष्ट शब्द जो पर्याप्त विवेक की अनुमति देते हैं।

लखीमपुर खीरी नरंसहार

एक हारती हुई लड़ाई लड़ रही है मोदी सरकार
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-10-06 09:53
भाजपा नेताओ के सत्ता-उन्माद ने लखीमपुर खीरी में 8 लोगो की जान ले ली। उनमें से 4 तो भाजपा के ही थे। जिस तरह से किसानो पर लखीमपुरी खेरी में मोटर वाहन से किया गया हमला भाजपा के लिए भी घातक साबित हुआ है, उसी तरह किसान आंदोलन के खिलाफ भाजपा द्वारा अपनाया जा रहा रवैया खुद उसके लिए घातक साबित होगा। करीब साल भर से किसान जनविरोधी तीन कृषक कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार अपनी बात पर अडिग है। सरकार को बार बार बताया जा रहा है कि किस तरह ये कानून न केवल किसानों के खिलाफ है, बल्कि देश के एक आम आदमी के खिलाफ भी है, लेकिन मोदी सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है और कह रही है कि ये कानून देश के हित में है।

लखीमपुर खीरी में किसानों की हत्या से योगी आदित्यनाथ को बड़ा झटका

उत्तर प्रदेश में बीजेपी पर हमला करने के लिए विपक्षी दलों को नया हथियार
प्रदीप कपूर - 2021-10-05 11:06
लखनऊः लखीमपुर खीरी में आधा दर्जन से अधिक किसानों की हत्या ने उत्तर प्रदेश में राजनीतिक स्थिति को गर्म कर दिया है और सभी विपक्षी दलों ने योगी आदित्यनाथ सरकार को रक्षात्मक हाने पर मजबूर कर दिया है। लखीमपुर खीरी जाते समय पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव समेत विपक्ष के वरिष्ठ नेताओं और कांग्रेस नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

प्रधान न्यायाधीश के अडिग रवैये से चमका सुप्रीम कोर्ट

उनके पूर्ववर्तियों के संदिंग्ध कार्यकाल से विराम
के रवींद्रन - 2021-10-04 11:22
जिन परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने पदभार ग्रहण किया, वे बहुत अच्छी नहीं थी। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की उनके पद ग्रहण करने के क्रम में न्यायमूर्ति रमण द्वारा कथित संदिग्ध आचरण के खिलाफ शिकायत ने संदेह पैदा किया था। लेकिन यह गहरे संतोष की बात है कि नए मुख्य न्यायाधीश ने न केवल इन सभी नकारात्मकताओं को समाप्त कर दिया है, बल्कि एक वे ऐसे प्रकाशस्तंभ के रूप में उभरे हैं जो देश के सर्वोच्च न्यायालय के गौरव, विश्वसनीयता और स्वतंत्रता को बहाल करने की आशाओं को प्रज्वलित करता है। नए प्रधान न्यायाधीश के पदभार ग्रहण करने के बाद से जो छोटी अवधि बीत चुकी है, उसने साबित कर दिया है कि वह अपने पूर्ववर्तियों के कार्यकाल को चिह्नित करने वाले उस झंझट को तोड़ने में सफल रहे हैं।