अंगज अलंकार सात्विक अलंकार का एक भेद है। नायिकाओं में वे हाव-भाव जो शारीरिक अंगों के विकास के कारण उत्पन्न होते हैं और उनमें तारुण्य को बोध होने लगता है।
इसे सात्विक अलंकार का भेद इसलिए माना गया क्योंकि सत्त्व को शरीर से सम्बद्ध माना गया है। इसी सत्त्व से भाव की उत्पत्ति मानी गयी है। इसी भाव से हाव उत्पन्न होता है तथा हाव से हेला।
इसे सात्विक अलंकार का भेद इसलिए माना गया क्योंकि सत्त्व को शरीर से सम्बद्ध माना गया है। इसी सत्त्व से भाव की उत्पत्ति मानी गयी है। इसी भाव से हाव उत्पन्न होता है तथा हाव से हेला।