अगोचरी योग की आठ मुद्राओं में से एक मुद्रा है। योगशास्त्र के अनुसार इस मुद्रा में उंगलियों से कान बन्द कर बाहर की ध्वनियों के श्रवण को रोक दिया जाता है, तथा अन्दर की ध्वानि को सुनने का अभ्यास किया जाता है। यह उन्मनी की ओर मन को प्रेरित करने का एक तरीका है।
इस अगोचरी मुद्रा का प्रचलन नाथपंथियों या गोरखपंथी योगियों में अधिक है।
इस अगोचरी मुद्रा का प्रचलन नाथपंथियों या गोरखपंथी योगियों में अधिक है।