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अचेतन

मानस की तीन अवस्थाओं में से एक अचेतन है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार कुछ इच्छाएं, भावनाएं तथा प्रवृत्तियां अव्यक्त रुप में अचेतन में रहती हैं। मानव प्रवृत्ति का जो प्रकट या चेतन पक्ष है उनके मूल में यह अचेतन भी रहता है, परन्तु जिसके बारे में व्यक्ति को स्वयं भी मालूम नहीं रहता।

फ्रायड के अनुसार मानव का अचेतन पक्ष चेतन से अधिक शक्तिशाली तथा विस्तृत होता है। काम की शक्ति का कोष इसी में अवस्थित है तथा अहम् एवं सर्वोच्च अहम् के अनेक प्रकट कार्यों का बीज भी इसी में है। उनका कहना है कि दमित कामवृत्ति इसी अचेतन में रहती है तथा अनेक रुपों में जीवन में प्रकट होती है। वह आगे कहते हैं कि वास्तव में अचेतन का सृजन ही इसी दमन के कारण होता है। उनका प्रकटीकरण स्वप्नों, मानवीय भूलों तथा मनोरोग में भी होता है। इसी अचेतन के कारण मानव विचित्र तथा असामान्य व्यवहार करता है परन्तु उसे समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों। इसे दूर करने के लिए मनोवैज्ञानिक अचेतन की बाते सामने लाने की कोशिश करते हैं तथा मनोरोगी की चिकित्सा करते हैं। इस अचेतन और चेतन के बीच द्वंद्व की स्थिति भी बनी रहती है।

फ्रायड के शिष्य जुंग तो सामूहिक अचेतन मानस की भी चर्चा करते हैं। उन्होंने कहा फ्रायड से आगे जाकर कहा कि अचेतन में केवल दमित कामवृत्ति ही नहीं बल्कि जीवन-शक्ति भी होती है। यहीं उनके लिबिडो का वास है जिसका अर्थ वह जीवनेच्छा या जीवन-शक्ति मानते हैं। उनके अनुसार सामूहिक अचेतन जातिगत या वंशगत भी हो सकता है, और यही कारण है कि सभी एक जैसा सोचने तथा अनुभव करने लगते हैं।

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Page last modified on Monday June 26, 2023 05:25:12 GMT-0000