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अज्ञेयवाद

अज्ञेयवाद के अनुसार भौतिक पदार्थ, आत्मा, परमात्मा आदि जैसे धार्मिक तथा आध्यात्मिक परम तत्वों के बारे में सुनिश्चित ज्ञान प्राप्त करना मनुष्य के लिए संभव नहीं है, इसलिए ये अज्ञेय हैं। इसी को अज्ञेयवाद कहा जाता है।

इस मत के अनुसार इस ब्रह्मांड की सृष्टि और संचालन के पीछे कोई परमसत्ता हो सकती है परन्तु उस अगोचर सत्ता के बारे में किसी भी प्रकार से ज्ञान नहीं प्राप्त किया जा सकता। भूत में भी ऐसा सम्भव नहीं हो सका और भविष्य में भी ऐसा सम्भव नहीं है।

यह दर्शन जगत् तथा अनुभूति से परे एक सत्ता के अस्तित्व या स्वाधिष्ठान वस्तु को स्वीकार करता है परन्तु उसकी अज्ञेयता को भी स्वीकार करता है।

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अडिल्ल, अतद्गुण, अंतर्बोध, अतियथार्थवाद, अतिराष्ट्रवाद

Page last modified on Monday June 26, 2023 05:28:31 GMT-0000