अतद्गुण
जब निकटवर्ती वस्तु के गुण ग्रहण करने की पूरी संभावना होने पर भी कोई उन गुणों को ग्रहण नहीं करता, तो उसे अतद्गुण कहते हैं। साहित्य में यह एक अलंकार है और उसके लिए प्रयुक्त होता है जिसपर संगत का गुण नहीं आता।निकटवर्ती पृष्ठ
अंतर्बोध, अतियथार्थवाद, अतिराष्ट्रवाद, अतिशयोक्ति, अतीन्द्रिय