Loading...
 
Skip to main content
(Cached)

अमरोली मुद्रा

योग की गोरक्ष पद्धति में कापालिकी क्रिया को अमरोली मुद्रा कहा जाता है। कापालिकों में खण्डमत के मार्ग पर चलने वाले तो इसे विशेष इष्ट मानते हैं। खण्डमत में प्रथम धारा (पित्त की उल्वण) तथा तीसरी और अन्तिम अम्बुधारा को छोड़ शीतल मन्दधारा के सेवन को ही अमरोली कहा गया है।

अमर वारुणी का नित्य पान करना, उसे ही सूंघना, तथा अमरोली का ही नित्य अभ्यास करना कापालिकी अमरोली के तीन लक्षण बताये गये हैं।

योगियों में मान्यता है कि इस मुद्रा के अभ्यास से जो अमरवारुणी झरती है उसे विभूति में मिलाकर गले के ऊपर के भाग में धारण करने से दिव्यदृष्टि मिलती है।

निकटवर्ती पृष्ठ
अमर्त्य सेन, अमर्ष, अमल, अमियरस, अमृत

Page last modified on Friday May 23, 2025 14:44:06 GMT-0000