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आक्षेप

आक्षेप करने का सामान्य अर्थ है दोषारोपण करना। परन्तु साहित्य में आक्षेप एक अलंकार है जिसका अर्थ है निषेध।

इस अर्थालंकार में लेखक या कवि अपने इष्टार्थ को निषेध से वर्णित करता है परन्तु वह भी विधिरूप में परिणत हो जाता है। यह वास्तव में निषेध नहीं परन्तु निषेधाभास होता है।

मम्मट ने कहा कि जिसमें किसी बात की विवक्षा की दृष्टि से उस विषय का वर्णन निषिद्ध किया जाये जो प्राकरणिक होने के कारण वर्णन के योग्य हो।

आक्षेप दो प्रकार के होते हैं - वक्ष्यमाण तथा उक्तिविषयक।

अप्पय दीक्षित ने निषेधाभाष को तीसरा आक्षेप माना है।

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आख्यान, आख्यायिका, आगतपतिका, आंगन, आगम

Page last modified on Saturday May 24, 2025 10:53:09 GMT-0000