उन्माद
उन्माद मन की एक अवस्था है। यह एक संचारी भाव है। चित्त में विप्लव की उत्पत्ति ही उन्माद है।उन्माद के अनेक विभाव हो सकते हैं। अर्थात् इसकी उत्पत्ति के अनेक कारणगत वस्तुएं या परिस्थितियां हो सकती हैं।
इसके अनेक अनुभाव भी हैं, अर्थात् अनेक लक्षणों से उन्माद का प्रकटीकरण होता है।
उन्माद होने पर अकारण हंसना, रोना, चिल्लाना, असंगत बोलना, उठना, बैठना, भाग खड़ा होना, लेटना, नाचना, गाना आदि अनेक असामान्य हरकतें करने के लक्षण प्रकट होते हैं।
मनोविज्ञान में इसे एक व्याधि माना जाता है। उन्माद क्षणिक भी होते हैं और स्वयं कुछ समय बाद यह समाप्त भी हो जाता है। परन्तु अनेक लोगों में यह चिरकाल तक रह सकता है। ऐसा होने पर किसी चिकित्सक से रोग निदान के लिए सम्पर्क करना वांछित है।
आसपास के पृष्ठ
उन्मीलित, उपचेतन, उपदेशवाद, उपन्यास, उपमा, उपमान