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कथोपकथन

कथोपकथन या कथनोपकथन कथासाहित्य तथा नाटक का एक विशेष तत्व है। यह पात्रों के बीत का वार्तालाप या संवाद है। इससे कथासाहित्य में जहां एक ओर पात्र जीवंत बने रहते हैं वहीं नाटकों में उनके बोलने में स्वराघात, बोलने की शैली, हाव-भाव, लय और प्रवाह, अनुरंजकता, अलंकरण आदि के कारण रोचकता आ जाती है।

कथोपकथन के साथ कथा या नाटक धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं तथा पात्रों के बारे में प्रत्यक्ष अनुभूति होने लगती है। इससे पात्रों का चरित्रचित्रण तथा उनके बीच संतुलन भी बना रहता है।

कथोपकथन दो प्रकार से प्रयोग में आते हैं।

पहली श्रेणी में सभी पात्रों की भाषा और शैली आदि का स्तर लेखक या कवि की भाषा के स्तर पर ही बना रहता है। जैसे अंग्रेजी के लेखक जॉर्ज बर्नार्ड शॉ के पात्रों में देखा जाता है।

परन्तु दूसरी श्रेणी में पात्रों के स्तर पर भाषा और शैली आदि का स्तर भी उपर-नीचे होता रहता है। जैसे अंग्रेजी के ही नाटककार शेक्सपियर के पात्रों में देखा जाता है। पात्र यदि राजा या विद्वान है तो उसकी भाषा उसी स्तर की होती है तथा यदि पात्र नौकर या सामान्य जन है तो उसकी भाषा उसके ही स्तर की होती है।

निकटवर्ती पृष्ठ
कदमत, कनक कलश, कनफटा, कन्था, कन्नड़

Page last modified on Monday May 26, 2025 02:10:46 GMT-0000