करुण गीति
करुण गीति मृत्यु और शोक का गीत होता है। यह अलग बात है कि करुण गीति की शैली में प्राचीन ग्रीस में वैसे काव्य भी लिखे गये जिसमें युद्ध और प्रेम की अभिव्यक्ति करुण रस में की गयी है। इसमें कारुणिक आर्द्रता और तटस्थ विषाद होता है। तटस्थ विषाद इसलिए कि इसमें विषाद तो होता है परन्तु निराशा नहीं होती, जीवन की तिक्तता और अन्याय के प्रति आक्रोश भी नहीं होता। केवल व्यापक विषाद्, मानवीय संवेदना एवं सहानुभूति होती है। ग्रे की रचना एलिजी रिटेन इन ए कंट्री चर्चयार्ड इसका सटीक उदाहरण है।सोलहवीं शताब्दी के प्रारम्भ से अंग्रेजी साहित्य में एलिजी नाम से करुण गीति लिखे जाने लगे थे।
एलिजी में विशेष छन्द योजना अपनायी गयी। हेक्सामीटर तथा पेण्टामीटर के चरण ही इसमें प्रयुक्त हुए और ये क्रम से आते हैं। हेक्सामीटर में छह तथा पेण्टामीटर में पांच विराम होते हैं। जॉन्सन ने कहा कि इनमें न तो केन्द्रीयता होती है और न मोड़ तथा ये अपर्याप्त तथा अपूर्ण होते हैं।
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