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चूड़ाचक्र


चूड़ाचक्र एक प्रकार की तांत्रिक साधना है। सिद्धमालरहस्य नामक ग्रंथ में इस साधना का वर्णन है। अनेक विद्वान इसे मुक्त कामोपभोग की घृणित पद्धति मानते हैं।

जो भी हो, सिद्धमालरहस्य में इसके वर्णन में बताया गया है कि इसमें पचास सिद्धवीर तथा उनकी पचास शक्तियां भाग लेती थीं। कौन शक्ति किस सिद्धवीर की सहधर्मिणी बनेगी इसके निर्णय के लिए गुप्त साधनापीठ में प्रवेश करते समय हर साधिका अपनी चूड़ा (चोली) एक स्थान पर जमा करती जाती थीं। बाद में प्रवेश करने वाले साधक आंखें बन्द कर उस ढेर में से एक-एक चोली उठाते जाते थे। जिस शक्ति की चोली जिस साधक के हाथ आती उस रात वह शक्ति उस साधक की सहधर्मिणी बनती।

बलभद्र ठाकुर ने अपने उपन्यास 'आदित्यनाथ' में इस चूड़ाचक्र को 'चोलीमार्ग' कहा है तथा जॉन वुडरफ ने अपनी पुस्तक शक्ति एंड शाक्त में इसका उल्लेख किया है।

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चूलिका, चेचक, चेतन, चेतना, चैतन्य महाप्रभु, चैता

Page last modified on Tuesday June 27, 2023 12:51:27 GMT-0000