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डिंगल

डिंगल पश्चिमी राजस्थानी या मारवाड़ी भाषा के साहित्यिक रूप का नाम है। इसे डींगल के नाम से भी जाना जाता है, परन्तु सही होते हुए भी डींगल के स्थान पर डिंगल का ही प्रयोग होता है।

इस शब्द का इस अर्थ में प्रथम प्रयोग जोधपुर के कविराज बांकीदास ने संवत् 1871 में लिखित अपने ग्रंथ 'कुकवि बत्तीसी' में किया है।

डिंगल काव्य और साहित्य की अपनी विशेषताएं हैं।

निटकवर्ती पृष्ठ
डिम, डॉ विजय बहादुर सिंह, डोल्फिन्स नोज, ढकोसला, ढांक

Page last modified on Monday May 26, 2025 14:04:30 GMT-0000