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डिंगल

डिंगल पश्चिमी राजस्थानी या मारवाड़ी भाषा के साहित्यिक रूप का नाम है। इसे डींगल के नाम से भी जाना जाता है, परन्तु सही होते हुए भी डींगल के स्थान पर डिंगल का ही प्रयोग होता है।

इस शब्द का इस अर्थ में प्रथम प्रयोग जोधपुर के कविराज बांकीदास ने संवत् 1871 में लिखित अपने ग्रंथ 'कुकवि बत्तीसी' में किया है।

डिंगल काव्य और साहित्य की अपनी विशेषताएं हैं।

Page last modified on Thursday March 2, 2017 05:41:51 GMT-0000