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त्रैधातुक

त्रैधातुक का सामान्य अर्थ है तीन धातुओं से युक्त। धातु का अर्थ है जो धारण करता है।

बौद्ध दर्शन में त्रैधातुक हैं - कामधातु, रूपधातु, तथा आरुप्य धातु। ये तीनों लोकधातु के नाम से भी जाने जाते हैं। सिद्धों ने त्रैधातुकों को चित्तसम्भूत माना है।

कामधातु कामसम्प्रयुक्त धातु का नाम है। इसमें नरक, प्रेत, तिर्यक (पशु-पक्षी), तथा मनुष्य की गणना होती है। कुल मिलाकर समस्त प्राणी कामधातु में ही निवास करते हैं।

रूपधातु कामधातु से ऊपर है। यह स्थान सम्प्रयुक्त है क्योंकि रूप भौतिक है। इसके 16 स्थान हैं। इसमें चार ध्यान (स्थविरवादियों के अनुसार पांच ध्यान) हैं। चौथे ध्यान में आठ भूमियां बतायी गयी हैं।

आरुप्य धातु वह धातु है जिसका कोई रूप नहीं है। अरूपी धर्मों से निकलनें के कारण ही इसे आरुप्य कहा गया। देश या स्थान से इसका कोई सम्बंध नहीं। आरुप्य धातु चार हैं - आकाशानन्त्यायतन, विज्ञानान्त्यायतन, अकिन्चत्यायतन, तथा नैवसंज्ञानाअसंज्ञानायतन।

निकटवर्ती पृष्ठ
त्रोटक, थंगासेरी तट, थाट, थेरगाथा, द पाश्चर इंस्टीट्यूट

Page last modified on Monday May 26, 2025 14:55:43 GMT-0000