Loading...
 
Skip to main content
(Cached)

दूतीकर्म

दूती नायिका के कर्म के दूतीकर्म कहा जाता है। दूतीकर्म के दो भेद सामान्यतः स्वीकार किये जाते हैं। ये हैं – संघट्टन तथा विरह निवेदन। नायक-नायिका को मिलाना संघट्टन है, तथा विरह का वर्णन कर नायक-नायिका को मिलाने का प्रयत्न करना विरह-निवेदन।

कृपाराम ने मर्मग्रहण (दिल की बात जानना), संगदेन (साथ-साथ रहना), तथा प्रतिज्ञा (मिलाने की प्रतिज्ञा करना) जैसे कर्म भी बताये हैं। स्तुति, विनय, प्रबोध, तथा निन्दा को भी दूतीकर्म में शामिल किया जाता है।


Page last modified on Sunday April 2, 2017 04:38:51 GMT-0000