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धीरादि

साहित्य में धीरादि एक नायिका भेद है जिसमें धीर तथा अधीर दोनों तरह की नायिकाओं को रखा गया है। यह भेद सबसे पहले रुद्रट ने विवाहित स्त्रियों के उनके भटके हुए पतियों जो अन्य स्त्रियों से संसर्ग रखते हैं के प्रति व्यवहार के आधार पर किया था। यह नायिका भेद धीर नायिकाओं तथा अधीर नायिकाओं के भेद के साथ मान्य माना गया है।

निकटवर्ती पृष्ठ
धृति, धैर्य अलंकार, ध्येय, ध्वनि, ध्वनिकाव्य

Page last modified on Monday May 26, 2025 16:17:14 GMT-0000