धीरादि
साहित्य में धीरादि एक नायिका भेद है जिसमें धीर तथा अधीर दोनों तरह की नायिकाओं को रखा गया है। यह भेद सबसे पहले रुद्रट ने विवाहित स्त्रियों के उनके भटके हुए पतियों जो अन्य स्त्रियों से संसर्ग रखते हैं के प्रति व्यवहार के आधार पर किया था। यह नायिका भेद धीर नायिकाओं तथा अधीर नायिकाओं के भेद के साथ मान्य माना गया है।