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भारत में दवा की कीमतों में धोखाधड़ी, बड़ी कंपनियों के मुनाफ़े के लिए बनाया गया बाजार

संसदीय समिति ने इस धोखे का किया पर्दाफ़ाश, केंद्र को अब कार्रवाई करनी होगी
आर. सूर्यमूर्ति - 2025-12-04 10:54 UTC
किसी भी मायने में, भारत बीमार लोगों के लिए दुनिया की सबसे सस्ती जगह होनी चाहिए। यह जेनेरिक दवाओं का दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है, वैश्विक फार्मा के लिए फैक्टरी फ्लोर है, जिसे तथाकथित “ग्लोबल साउथ की फार्मेसी” कहा जाता है। फिर भी आम भारतीयों के लिए, असल अनुभव इसके उलट है: एक हेल्थकेयर सिस्टम जहां एक साधारण बुखार की दवा की कीमत उसकी आपूर्ति की कीमत से छह गुना, गैस्ट्रिक की गोली की कीमत दस गुना, और एक जान बचाने वाली कैंसर की दवा की कीमत ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उसकी छपी हुई “अधिकतम खुदरा कीमत” से लगभग 80 प्रतिशत कम हो सकती है। यह क्या है, इसे समझने के लिए किसी को लोक नीति में डॉक्टरेट की ज़रूरत नहीं है। यह साफ है कि इस बाजार को इलाज तक जनता की पहुंच और उनकी खर्च वहन करने की क्षमता के अनुरुप नहीं, बल्कि उनका दोहन कर भारी लाभ अर्जित करने के अनुरूप बनाया गया है।

अगले दौर के चुनाव बस पांच महीने दूर हैं – कहां है इंडिया ब्लॉक?

असम विधान सभा और मुंबई नगर निगम के चुनाव तात्कालिक प्राथमिकता होनी चाहिए
नित्य चक्रवर्ती - 2025-12-03 11:05 UTC
इंडिया ब्लॉक का क्या हो रहा है जिसने 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके एनडीए को बड़ा झटका दिया था? नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद पहली बार भाजपा को बहुमत नहीं मिला और उसे एनडीए के दूसरे सहयोगी, खासकर जद(यू) और तेलुगु देशम पार्टी के समर्थन से अल्पमत सरकार बनाने के लिए मजबूर होना पड़ा। लोकसभा चुनावों के बाद के समय में इंडिया ब्लॉक का जोश बहुत ज़्यादा था और यह धारणा बनी थी कि मोदी राज में भाजपा का पतन शुरू हो गया है, परन्तु जून 2024 में लोकसभा के नतीजे आने के डेढ़ साल बाद, देश का पॉलिटिकल माहौल अब पूरी तरह से अलग है।

कर्नाटक में उत्तराधिकार को लेकर समझौते के बावजूद बनी हुई है कांग्रेस की दुविधा

डी.के. शिवकुमार मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी में होते जा रहे हैं मज़बूत
कल्याणी शंकर - 2025-12-02 10:33 UTC
बिहार में हाल ही में लगे झटके के बाद, कांग्रेस पार्टी अब कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके उपमुख्यमंत्री डी.के. शिव कुमार के बीच सत्ता की लड़ाई से जूझ रही है। राजनीतिक हलकों में, खासकर कांग्रेस सदस्यों के बीच, इस साल के आखिर में प्रदेश नेतृत्व में बदलाव की अटकलें ज़ोरों पर हैं, जिससे स्थिरता और भविष्य के शासन को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।

दिल्ली शिखर सम्मेलन में भारत-रूस संबधों में नया रणनीतिगत बदलाव देखने को मिलेगा

तीन-तरफ़ा सहयोग के हिसाब से खनिज तेल का भारतीय आयात अब कोई रुकावट नहीं
के रवींद्रन - 2025-12-01 10:40 UTC
राजनीतिक इरादे और आर्थिक व्यावहारिक सोच का बढ़ता मेल भारत-रूस रिश्ते को नई रफ़्तार दे रहा है, जिससे नई दिल्ली में होने वाला शिखर सम्मेलन एक ऐसी भागीदारी में एक अहम पल बन रहा है जिसने पहले ही दशकों के भूराजनीतिक बदलावों को झेला है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दौरा, जिसे 'स्पेशल और प्रिविलेज्ड पार्टनरशिप' (विशेष और तरजीही भागीदारी) की शब्दावली में बताया गया है, दोनों तरफ़ से एक ऐसे एजंडा को आगे बढ़ाने की इच्छा का संकेत देता है जो अब पहले की रुकावटों तक सीमित नहीं है और अब सिर्फ़ पुरानी मजबूरियों से बना नहीं है।

असरदार सामाजिक सुरक्षा की ज़रूरत पर ज़ोर देता है भारत पर आईएमएफ का दस्तावेज

मौसम के झटकों से फसल की पैदावार और ग्रामीण उपभोग पर असर पड़ने की दी चेतावनी
अंजन रॉय - 2025-11-29 10:59 UTC
अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की भारत के साथ ताजा देश स्तरीय विचार-विमर्श के बाद किये गये आकलन से भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान हालत की अच्छी तस्वीर सामने आई है। आईएमएफ के कार्यपालक निदेशकों ने भारत सरकार को अपनी सलाह-मशविरा रपट सौंपी है, और साथ ही सरकार और उसकी अर्थव्यवस्था के प्रबंधकों के लिए अपनी सिफारिशें भी दी हैं। आईएमएफ की समीक्षा और सिफारिशों से दो बातें सामने आई हैं जिन पर ध्यान से विचार करने की ज़रूरत है।

दक्षिण एशिया में कमजोर हो रही हैं धर्मनिरपेक्ष शक्तियां

भारत के लिए भी धर्मनिरपेक्षता का कमजोर होना चिंता का विषय
एल.एस. हरदेनिया - 2025-11-28 11:28 UTC
ऐसा लगता है कि भारतीय उपमहाद्वीप में धर्मनिरपेक्षता की ताकतें पूरी तरह कमजोर हो गई हैं। जब भारत और पाकिस्तान आजाद हुए थे तब भारत में धर्मनिरपेक्ष ताकतें बहुत मजबूत थीं क्योंकि उस समय महात्मा गांधी भी थे, जवाहर लाल नेहरू भी थे और सरदार पटेल भी, जो सभी धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखते थे। सरदार पटेल ने कहा था कि वे भारत में मुसलमानों की सुरक्षा की गारंटी देते हैं परंतु उनकी मुसलमानों से भी यह अपेक्षा थी कि वे भारत के प्रति वफादार रहें।

केंद्र की चार अधिसूचित श्रम संहिताएं करती हैं मज़दूरों की सुरक्षा को कमज़ोर

ट्रेड यूनियनों की संयुक्त कार्रवाई ही उनके अधिकारों को सुरक्षित करने की एकमात्र गारंटी
नीलोत्पल बसु - 2025-11-28 10:47 UTC
बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए की बड़ी चुनावी जीत और उसके साथ हुई खुशी के तुरंत बाद भारत सरकार ने चार श्रम संहिताओं (लेबर कोड) को अधिसूचित कर दिया है। मज़दूरी, औद्योगिक संबंध, काम से जुड़ी सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा पर बनी ये संहिताएं देश के ‘29 श्रम कानूनों को आसान बनाने’ के नाम पर हावी हो गए हैं।

अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में डिजिटल छलांग के भरोसे उद्यमों का विकास संभव नहीं

एक गहरे ढंचागत बदलाव को छिपा रहे हैं आंकड़े, अभी बहुत कुछ करने की जरुरत
आर. सूर्यमूर्ति - 2025-11-27 11:20 UTC
भारत के अनौपचारिक क्षेत्र (अनइनकॉरपोरेटेड नॉन-एग्रीकल्चरल सेक्टर) के गत तिमाही के बुलेटिन, पहली नज़र में, वैश्विक झटकों से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए एक मामूली जीत की तरह लगते हैं: डिजिटल संरचना अपनाने की रफ़्तार तेज़ी से बढ़ रही है, उद्यम थोड़े आगे बढ़े हैं, और रोज़गार स्थिर बना हुआ है। लगभग 39% उद्यम अब किसी न किसी रूप में इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। यह एक ऐसे सेक्टर के लिए एक चौंकाने वाला बदलाव है जो लंबे समय से खाता-बही और नकद लेन-देन पर टिका हुआ है। उद्यमों की संख्या बढ़कर 7.97 करोड़ हो गयी, रोज़गार 12.86 करोड़ पर बना रहा, और शहरी श्रमिकों को काम पर लेने में मज़बूती आयी।

भारत के बढ़ते विदेशी कर्ज़ के पीछे बढ़ता व्यापार घाटा

पिछले महीने का नया रिकॉर्ड केंद्र के लिए चिंता की बात होनी चाहिए
नन्तू बनर्जी - 2025-11-26 11:06 UTC
सरकार भले ही इससे सहमत न हो, लेकिन भारत का लगातार व्यापार घाटा देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर रहा है, जबकि विकास दर शानदार है। पिछले महीने, आयात पर ज़्यादा ध्यान देने वाले भारत का व्यापार घाटा 41 अरब डालर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, क्योंकि निर्यात में एक साल में सबसे ज़्यादा गिरावट देखी गई। बदकिस्मती से, अक्टूबर के दौरान देश में सोने के आयात में भारी उछाल आया, जो बड़े व्यापार घाटा का एक कारण है। यह स्थिति तब है जब 2024 ग्लोबल मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (एमपीआई) के अनुसार, भारत में दुनिया के सबसे ज़्यादा (23.4 करोड़) लोग अत्यंत गरीबी में जी रहे हैं।

भारत उथल-पुथल भरे औद्योगिक संबंधों के एक नए दौर में दाखिल हुआ

नई श्रम संहिताएं लागू हुईं, मज़दूरों का 26 नवंबर को विरोध प्रदर्शन
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-11-25 11:25 UTC
भारत सरकार द्वारा 21 नवंबर, 2025 को चार विवादित श्रम संहिताएं लागू करने की एकतरफ़ा घोषणा और 10 सेंट्रल ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) के जॉइंट प्लेटफॉर्म का 26 नवंबर को इसके खिलाफ़ पहले से तय अपने विरोध प्रदर्शन को और तेज़ करने का निर्णय, देश में उथल-पुथल भरे औद्योगिक संबंधों के एक नए दौर का साफ़ संकेत हैं। सरकार का कहना है कि श्रम संहिताएं मज़दूरों के पक्ष में है, जबकि सीटीयू का आरोप है कि यह मज़दूरों के खिलाफ़ और कॉर्पोरेट के पक्ष में है।