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निचले स्तर के 50 फीसदी लोगों की रोजाना आय 198 रुपये से भी कम

पीएम मोदी की गारंटी अभी अरबपतियों के लिए, शेष विकसित भारत@2047 का इंतजार करें
डॉ. ज्ञान पाठक - 22-03-2024 10:54 GMT-0000
लोकसभा आम चुनाव 2024 की पूर्व संध्या पर, इस सप्ताह हमारे पास दो महत्वपूर्ण समाचार हैं - पहला, भारतीय दुनिया के सबसे दुखी लोगों में से हैं; और दूसरी बात, वायदा किये गये "अच्छे दिन" केवल देश के शीर्ष 10 प्रतिशत लोगों के लिए आये, जो 2022-23 में लगभग 3,758 रुपये प्रति दिन की औसत आय के साथ राष्ट्रीय आय का 57.7 प्रतिशत कमाने में सक्षम थे, लेकिन निचले 50 प्रतिशत लोग, जो केवल 15 प्रतिशत ही कमा पाये थे, उनकी औसत आय प्रतिदिन 198 रुपये से कम थी।

लोकसभा चुनाव में धन और बाहुबल पर अंकुश लगाना चुनौतीपूर्ण

चुनाव आयोग को अपने निष्पक्ष कार्यों से मतदाताओं में विश्वास जगाना होगा
कल्याणी शंकर - 21-03-2024 10:49 GMT-0000
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने 19 अप्रैल से शुरू होने वाले 18वें लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर दी है। उन्होंने चार प्रमुख समस्याओं की पहचान की है जो भारत के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को प्रभावित करती हैं। ये हैं: बाहुबल, धनबल, गलत सूचना और आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) का उल्लंघन। वे नये नहीं हैं।

भाजपा की वित्तीय शक्ति का एक छोटा सा हिस्सा है चुनावी बांड दान

सत्तारूढ़ पार्टी की संपत्ति के अन्य स्रोतों का भी खुलासा करने की आवश्यकता
नित्य चक्रवर्ती - 20-03-2024 10:57 GMT-0000
चुनावी बांड योजना 2017 के तहत दानदाताओं और सत्ताधारी दल के बीच लेन-देन भावना को देखते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सर्वोच्च न्यायालय का देर से ही सही जागना स्वागत योग्य है। सीजेआई 21 मार्च तक भारतीय स्टेट बैंक से सभी विवरण प्राप्त करने के लिए दृढ़ हैं क्योंकि एसबीआई बांड के कोड नंबरों की निहित महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करने में देरी कर रहा है। एक बार जब यह बिना किसी विवरण को छिपाये एसबीआई द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, तो बांड खरीदार और राजनीतिक दल के लाभार्थी की पहचान हो जायेगी।

राष्ट्रीय चुनाव से ठीक पहले सीएए का कार्यान्वयन पूरी तरह से राजनीतिक

यदि यह अधिनियम जून में लागू होता तो भी कुछ छूट नहीं जाता
नन्तू बनर्जी - 19-03-2024 10:44 GMT-0000
पहली नज़र में 2019 का विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पूरी तरह से मानवीय प्रतीत हो सकता है। यह सरकार को 2014 से पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी मुस्लिम देशों से भारत आये गैर-मुस्लिम प्रवासियों - जिनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसी शामिल हैं - के लिए नागरिकता प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक विशेष प्रावधान प्रदान करता है। हालाँकि, राष्ट्रीय चुनाव से ठीक पहले इसके कार्यान्वयन के लिए चुना गया समय इसे काफी उत्तेजक बनाता है। इस तथ्य को देखते हुए यह राजनीति से प्रेरित प्रतीत होगा कि संशोधित नागरिकता कानून ने पहले देशव्यापी राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों को आमंत्रित किया था, जिसके कार्यान्वयन में लगभग साढ़े चार साल की देरी हुई थी। लोकसभा चुनाव की घोषणा से कुछ दिन पहले 11 मार्च को सरकारी अधिसूचना के खिलाफ विपक्षी दलों के नये विरोध प्रदर्शन को देखकर कुछ लोग आश्चर्यचकित हैं।

चुनावी बांड के भंवर में फंसे मोदी के लिए बनी है दक्षिण भारत की चुनौती

घोटाले के साये में हो रहा लोक सभा चुनाव, आगे की डगर में झंझावात संभव
सुशील कुट्टी - 18-03-2024 10:40 GMT-0000
भाजपा से नफरत करने वाले दक्षिणी लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हर उस चीज से पहचानते हैं जिसके बिना उनका मानना है कि भारतीय रह सकते हैं, जैसे चुनावी बांड, अयोध्या राम मंदिर, नागरिक संशोधन अधिनियम, भाजपा नेताओं की दबंगई, कानून के शासन नष्ट होना, आपे से बाहर हुए बुलडोजर आदि। सबसे बढ़कर, बड़ी संख्या में भारतीयों का मानना है कि वे नरेंद्र मोदी के लिए तीसरे कार्यकाल के बिना काम कर सकते हैं, जो आजकल "400 पार" की इतनी लापरवाही से बात करते हैं कि अधिकांश दक्षिणी लोग उनके पुतलों के साथ सड़कों पर उतरने को उत्सुक हैं।

चुनावी दान के बदले सरकारी लाभ देने की सर्वोच्च न्यायालय की आशंका सही

धन, प्रभाव, दबाव, निहित स्वार्थों का छायादार नेटवर्क था चुनावी बांड योजना
के रवीन्द्रन - 16-03-2024 11:42 GMT-0000
चुनावी बांड खरीदने वालों और सत्ता में बैठे लाभार्थी राजनीतिक दलों के बीच धन के बदले सरकारी सुविधा देने की सबसे बुरी आशंका, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड योजना पर अपने फैसले में विस्तार से व्यक्त किया था, सच हो गयी है। यह पता चला है कि कुछ सबसे बड़ी बांड खरीद के पहले मोदी सरकार की जांच एजेंसियों की जबरदस्त कार्रवाई हुई थी।

भाजपा उम्मीदवारों की सूची का बड़ा दिखावा कर रही मोदी-शाह की जोड़ी

परन्तु 370 सीटों का मोदी का सपना पूरा होगा या नहीं अभी कहना असंभव
सुशील कुट्टी - 15-03-2024 10:44 GMT-0000
क्या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन पांच वर्षों में भाजपा के सभी लोकसभा सांसदों पर नजर रख रहे थे? हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में क्या ख़याल है, जो हर 24/7 में 17-18 घंटे काम कर रहे हैं? क्या उन्होंने भाजपा सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों के पीछे भी खोजी कुत्ते लगाये थे जो 2019 के आम चुनावों के लिए चुने गये उम्मीदवार थे? अब, पांच साल बाद, मोदी-शाह की जोड़ी 2024 की सूची से मौजूदा सांसदों को हटा रही है और उनके लिए प्रतिस्थापन ढूंढ रही है। प्रधानमंत्री मोदी को भरोसा है कि '370' का उनका सपना नये और पुराने नामों के मिश्रण से पूरा होगा।

महाराष्ट्र में राजनीतिक परिदृश्य उम्मीद से अधिक जटिल

सीट-बंटवारे के सौदे में गड़बड़ी से हो सकती है महाराष्ट्र की चुनावी लड़ाई प्रभावित
डॉ. ज्ञान पाठक - 14-03-2024 11:32 GMT-0000
लोकसभा सीटों के मामले में उत्तर प्रदेश के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य महाराष्ट्र, एनडीए गठबंधन (महायुति) और इंडिया ब्लॉक (महा विकास अघाड़ी या एमवीए) के बीच एक जटिल चुनावी लड़ाई की ओर बढ़ रहा है, और इसलिए परिणाम आश्चर्य होने की संभावना है। एनडीए और इंडिया दोनों गुटों को कई बाधाओं के कारण सीट-बंटवारे की व्यवस्था को अंतिम रूप देने में देर हो रही है। राज्य 48 लोकसभा सदस्य भेजता है और दोनों पक्षों के लिए दांव बहुत ऊंचे हैं।

बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच भीषण चुनावी लड़ाई संभव

उम्मीदवारों की घोषणा के बाद टीएमसी को अभियान में शुरुआती बढ़त
तीर्थंकर मित्र - 13-03-2024 11:32 GMT-0000
दस्ताने उतर गये हैं और चुनावी पंजे बाहर आ गये हैं। कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन की संभावनाओं को खारिज करते हुए, तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए अपनी पार्टी के सभी 42 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की, जिससे भाजपा, सीपीआई (एम) और कांग्रेस, सभी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त हासिल कर ली गयी।

लोकसभा चुनाव में धन खर्च का बन सकता है रिकार्ड

चुनाव आयोग आधिकारिक खर्च सीमा की समीक्षा करे
नन्तू बनर्जी - 12-03-2024 10:49 GMT-0000
भारत का चुनाव आयोग (ईसीआई) भले ही संदिग्ध चुनाव प्रचार प्रथाओं, जो पिछले कुछ वर्षों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की प्रक्रिया को तेजी से भ्रष्ट कर रहा है, को नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा हो, सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी के व्यवहार को प्रभावित करना या निर्देशित करना उसके लिए आसान नहीं है।