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क्या मोहन भागवत 75 साल पूरे करने के बाद सितंबर में पद छोड़ देंगे?

अगर वह ऐसा करते हैं तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर भी भारी नैतिक दबाव होगा
अरुण श्रीवास्तव - 2025-07-24 11:05
जैसे-जैसे 11 सितंबर नज़दीक आ रहा है, जिस दिन आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत 75 साल के हो जाएंगे - जो कि आरएसएस द्वारा निर्धारित सेवानिवृत्ति की समय सीमा है, आरएसएस तंत्र में एक बड़ी हलचल है। वे सभी यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि क्या भागवत आखिरकार 11 सितंबर को अपना कार्यकाल समाप्त करेंगे और दूसरों से भी ऐसा करने के लिए कहेंगे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं, जो 17 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे।

अडिग संघर्ष की परंपरा के प्रतीक थे वी.एस. अच्युतानंदन

केरल की राजनीति को आकार देने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई
पिनाराई विजयन - 2025-07-23 10:51
कॉमरेड वी.एस. अच्युतानंदन का जीवन, जिनका सोमवार को 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया, सामान्यतः केरल के इतिहास और विशेष रूप से यहाँ के क्रांतिकारी आंदोलन का एक उल्लेखनीय अध्याय है।

सर्वाधिक कटुतापूर्ण विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा बिहार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सत्ता विरोधी लहर से कड़ी टक्कर
कल्याणी शंकर - 2025-07-22 10:47
इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बिहार में राजनीति गरमा रही है। क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दल इसकी तैयारी में जुटे हैं और आखिरी क्षणों में किसी भी तरह की अड़चन से बचने के लिए सीटों के बंटवारे की प्रक्रिया जल्दी शुरू कर दी है। यह चुनाव जीत के लिए एक कड़ा मुकाबला होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बंगाल रैली प्रदेश भाजपा में जोश भरने में नाकाम

बंगाली गौरव की पुनर्स्थापना का उनका आह्वान लोगों को रास नहीं आ रहा
तीर्थंकर मित्रा - 2025-07-21 10:37
कोलकाता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को दुर्गापुर रैली में पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों का बिगुल फूंका, जो एक कमज़ोर आह्वान ही साबित हुआ। उनकी रैली बंगाल भाजपा में जोश भरने में भी नाकाम रही। उन्होंने भाजपा के प्रति बंगाली भावना को भड़काने के लिए अपने 34 मिनट के संबोधन में बंगाली "अस्मिता" (गौरव) की बात की, लेकिन राज्य में उनकी प्रमुख राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी ममता बनर्जी ने पहले ही कई भाजपा शासित राज्यों में बंगाली भाषी लोगों को बांग्लादेशी बताये जाने के विरोध में कोलकाता में एक विशाल जुलूस निकालकर उन्हें मात दे दी है।

ब्रिक्स के सदस्यों को ट्रंप की टैरिफ़ धमकी का संयुक्त रूप से विरोध करना होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वैश्विक दक्षिण के सच्चे नेता के रूप में कार्य करना होगा
प्रकाश कारत - 2025-07-19 11:13
17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 6-7 जुलाई को रियो डी जनेयरो में आयोजित हुआ, जो ग्यारह देशों की विस्तारित सदस्यता वाला पहला शिखर सम्मेलन था। इसके तुरंत बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ब्रिक्स के साथ जुड़ने वाले देशों पर 10 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने की धमकी दी। इससे पहले भी, ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने की धमकी देते हुए कहा था कि वे अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को नष्ट करना चाहते हैं और अमेरिका को कमज़ोर करना चाहते हैं। ट्रंप ब्रिक्स से इतने भयभीत और उत्तेजित क्यों हैं?

क्वाड और एससीओ शिखर सम्मेलन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनौतियां

विदेश मंत्री जयशंकर की राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत सकारात्मक रही
नित्य चक्रवर्ती - 2025-07-18 10:38
एशिया के दो सबसे बड़े देशों के नेतृत्व द्वारा सामान्य राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को बहाल करने के संकेत मिलने के साथ ही भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों में सुधार दिखाई देने लगा है। सोमवार को बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की बैठक काफी गर्मजोशी से भरी रही। भारतीय मंत्री ने चीनी राष्ट्रपति को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दोनों की ओर से शुभकामनाएँ दीं। डॉ. जयशंकर ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग को द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की उल्लेखनीय प्रगति से अवगत कराया, जिसका चीनी राष्ट्रपति ने भी तुरंत जवाब दिया।

व्यापार वार्ता के बीच नई दिल्ली को ट्रंप का संदेश: झुको या टूट जाओ

दबाव बनाने के लिए दवाओं पर 200 प्रति शत टैरिफ लगाने की धमकी
के रवींद्रन - 2025-07-17 11:25
भारत को और अधिक व्यापार रियायतें देने के लिए मजबूर करने का ट्रंप प्रशासन का दोहरा रवैया, चल रही व्यापार वार्ता में एक नये और विशेष रूप से आक्रामक चरण का संकेत देता है। यह दंडात्मक आर्थिक उपायों के खतरे को भू-राजनीतिक दबाव के साथ जोड़ता है, जिससे नई दिल्ली के लिए स्थिति बेहद अनिश्चित हो जाती है। इस घटनाक्रम के केंद्र में ट्रम्प की नई दिल्ली को एक कड़ी चेतावनी है: या तो आज्ञा मानो, या भुगतने के लिए तैयार रहो।

नरेंद्र मोदी सरकार और चुनाव आयोग में अद्भुत तालमेल

बिहार मतदाता सूची का लक्ष्य सत्ता हासिल करने से आगे एनआरसी तक
डॉ. ज्ञान पाठक - 2025-07-16 11:12
सभी परिस्थितियां और बिहार में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करने का तरीका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के बीच अद्भुत तालमेल की ओर संकेत कर रहे हैं। भाजपा लंबे समय से दावा करती रही है कि बड़ी संख्या में अवैध प्रवासियों और मतदाताओं के दोहरे नाम मतदाता सूची में हैं और इसलिए इसे साफ़ करने की ज़रूरत है। दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया है कि उसकी सरकार ने राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए मतदाता सूची से बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटवाने के इरादे से यह प्रक्रिया शुरू की है। एक तीसरी राय यह है कि ये अल्पकालिक लक्ष्य हैं और इस कवायद का असली मकसद बिहार में सत्ता हासिल करने से कहीं आगे बढ़कर पूरे देश को अपने दायरे में लेना है, और अंततः देश के लिए एनआरसी का एक खाका तैयार करना है, जो भारत के लोगों के कड़े प्रतिरोध के कारण रुका हुआ है।

राहुल गांधी पिछले एक साल में विपक्ष के एक प्रभावी नेता के रूप में उभरे

इंडिया ब्लॉक को एकजुट करने के लिए उन्हें और भी बहुत कुछ करना होगा
कल्याणी शंकर - 2025-07-15 10:56
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पिछले एक साल से विपक्ष के नेता (एलओपी) हैं। इस भूमिका में, वह भारत की संसद में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वह सरकार को जवाबदेह ठहराते हैं और जनता के विचारों के पक्ष में बोलते हैं। हालाँकि विपक्ष के नेता की भूमिका संविधान में नहीं है, लेकिन यह गांधी को वरिष्ठ नौकरशाहों और सरकारी अधिकारियों को चुनने और सरकार पर कड़ी नज़र रखने में मदद करती है। वह विभिन्न संसदीय समितियों में भी शामिल हो सकते हैं। राहुल सरकार की शक्ति पर अंकुश लगाना चाहते हैं और ज़रूरत पड़ने पर कई विधायी कार्यों को सफलतापूर्वक रोक चुके हैं।

चुनाव आयोग का संवैधानिक अधिकार सर्वव्यापी नहीं

मनमाने आचरण के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय की कड़ी चेतावनी
के. रवींद्रन - 2025-07-14 11:09
बिहार की मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर सर्वोच्च न्यायालय के रुख से सबसे महत्वपूर्ण सीख यह है कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के पास स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का संवैधानिक अधिकार तो है, लेकिन उसे अनियंत्रित विवेकाधिकार से कार्य करने का अधिकार नहीं है।