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देश की जनता जवाब मांगती है

पेट्रोल और डीजल पर लगे टैक्स से प्राप्त राजस्व कहां जाते हैं?
कृष्णा झा - 2021-07-23 09:46
कुछ विशेष तबकों को छोड़ आज सभी आर्थिक स्तरों पर जीवन बिताने वाली जनता, पेट्रोल और डीजल की कीमतों के बढ़ने से अकल्पनीय अभाव और आर्थिक कष्ट के दौर से गुजर रही है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सूत्रों के अनुसार उपभोक्ताअ सूचकांकों के आधार पर मुद्रास्फीति दर में पचास प्रतिशत तक की वृद्धि बुनियादी तौर पर होती है प्रत्येक पेट्रोल डीजल की प्रत्येक ईकाई मूल्य वृद्धि के साथ। एसबीआई के ही सूत्रों से जीवन स्तर के घटने और बुनियादी जरूरतों में कटौती का मूल कारण हर बार ईंधन की कीमत में वृद्धि होती है। गैर बुनियादी जरूरतें तो नहीं ही पूरी की जाती हैं बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करना मुश्किल हो जाता है। ईधन की दर में आसमान छूने वाली बढ़ोतरी ने जीना मुश्किल ही नहीं, असंभव भी बना दिया है। अनिवार्य रूप से आवश्यक व्यय, जिसमें बुनियादी जरूरतें भी आती हैं, में भी अब यह कटौती बढ़ती जा रही है, क्योंकि ईंधन की कीमतों में जून तक 75 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो चुकी थी, जबकि यह मार्च, 2021 में 62 प्रतिशत तक थी। आज लोगों के लिये अपने प्रियजनों समेत जिंदगी जीना असंभव ही होता जा रहा है, घर का बजट किसी भी कटौती से पूरा नहीं पड़ता, ऊपर से आज कोविड-19 की मृत्यु छाया में मेडिकल का खर्च भी जुड़ गया है। पूरा देश पैनडेमिक की चोट से मृतप्राय हो चुका है। भीषण अभाव और गमों की आग में जलती जनता चरम बर्बादी की कगार पर खड़ी है।

भेदभावपूर्ण गिरफ्तारी परिवारों को गंभीर स्वास्थ्य समस्या की ओर ले जाती है

भारतीय न्यायपालिका को डॉक्टरों के अधिकारों को सुनिश्चित करना चाहिए
डॉ. अरुण मित्रा - 2021-07-22 10:18
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने बहुत ही वैध रूप से आईपीसी की धारा 124 (ए) के दुरुपयोग की ओर इशारा किया है जो देशद्रोह के अपराध से संबंधित है। एनएसए, यूएपीए और राजद्रोह अधिनियम जैसे कानून औपनिवेशिक युग के प्रतिबिंब हैं। उन्होंने इसे कानूनी दृष्टिकोण से बताया क्योंकि ये कानून मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं। ऐसा कोई भी कानून जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और घटनाओं और सरकार के आलोचनात्मक विश्लेषण करने के अधिकार को कम करता है, हमारे संविधान में निहित बुनियादी मानवाधिकारों को नकारता है। इन कानूनों के दुरूपयोग और लोगों को झूठा फंसाने के कई आरोप लगते रहे हैं। इन आरोपों की पुष्टि उन रिपोर्टों से होती है कि 2014 से 2019 के दौरान दर्ज किए गए 326 राजद्रोह के मामलों में से केवल 6 को दोषी ठहराया गया है।

जिलों में बढ़ती गुटबाजी से बंगाल भाजपा गहरे संकट में

बहुत जल्द कुछ भगवा विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं
बरुण दास गुप्ता - 2021-07-20 10:20
बंगाल में विधानसभा चुनाव में भाजपा की विनाशकारी हार ने न केवल सभी स्तरों पर पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराया है, बल्कि संगठन में गुटबाजी भी तेज कर दी है। जिस पार्टी ने दो सौ से अधिक सीटें जीतने और पश्चिम बंगाल पर शासन करने का सपना देखा था, वह अब इस तथ्य पर गर्व कर रही है कि उसकी ताकत तीन विधायकों से बढ़कर 77 हो गई है और अब वह राज्य विधानसभा में एकमात्र विपक्षी दल बन गई है। यह सार्वजनिक दिखावे के लिए है। लेकिन पार्टी के भीतर निराशा, गुस्सा और ईर्ष्या का बोलबाला है।

पंजाब कांग्रेस में फेरबदल

क्या कांग्रेस का हाल आंध्र प्रदेश वाला हो जाएगा?
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-07-19 15:25
पंजाब उन पांच प्रदेशों में शामिल है, जहां आगामी साल के शुरुआती महीनों में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। वहां कांग्रेस की सरकार है औ कैप्टन अमरेन्द्र सिंह मुख्यमंत्री हैं। प्रदेश का जो राजनैतिक माहौल है, उसके अनुसार एक बार फिर वहां कांग्रेस की सरकार आती दिख रही है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के सामने अकाली दल-भाजपा गठबंधन के साथ साथ आम आदमी पार्टी भी उसके सामने चुनौती पेश कर रही थी। चुनाव के पहले तक वहां अकाली दल-भाजपा गठबंधन की सरकार थी। अपने दोनों प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों को हराते हुए कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बन गई थी।

उत्तर प्रदेश जनसंख्या विधेयक एक नया एजेंडा है

इसे हराने के लिए धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट होकर लड़ना होगा
बिनॉय विश्वम - 2021-07-16 09:59
उत्तर प्रदेश में आरएसएस-भाजपा के नेतृत्व वाली योगी आदित्यनाथ सरकार देश में दक्षिणपंथी हिंदुत्व की राजनीति में अपना स्थान दर्ज कराने के लिए तैयार है। विश्व जनसंख्या दिवस पर घोषित यूपी की जनसंख्या नीति राजनीतिक हिंदू अधिकार के नए एजेंडे को दर्शाती है। कई सप्ताह पहले इस संबंध में उत्तर प्रदेश जनसंख्या (नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण) विधेयक 2021 नामक एक मसौदा विधेयक को जन सुनवाई के लिए अधिसूचित किया गया था। जनसंख्या नियंत्रण को नए कानून का उद्देश्य बताया गया था। जन्म नियंत्रण प्राप्त करने के लिए उपाय किए गए हैं। विधेयक में 2026 तक प्रजनन दर को 2.1 और 2030 तक 1.7 तक लाने का प्रस्ताव है। कोई यह नहीं कहेगा कि भारत जैसे देश के लिए जनसंख्या नियंत्रण के उपाय अनुचित हैं। लेकिन विधेयक में शामिल किए गए सूक्ष्म और जबरदस्ती के उपाय इसे दूरगामी परिणामों के साथ एक विनाशकारी कदम बनाते हैं।

जनसंख्या नियंत्रण के बेसुरे राग की हकीकत

यह अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की नाकामी से ध्यान हटाने का उपक्रम है
अनिल जैन - 2021-07-15 11:16
किसी देश की बड़ी आबादी बेशक उसके लिए ताकत या वरदान मानी जाती है, लेकिन उस आबादी का अगर सदुपयोग न हो तो वह अभिशाप साबित होती है। इस समय तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों के लिए चिंता का सबब बनी हुई है। क्योंकि जिस गति से जनसंख्या बढ रही है, उसके लिए जीवन की बुनियादी सुविधाएं और संसाधन जुटाना तथा उसके लिए रोजगार के अवसर पैदा करना सरकारों के लिए चुनौती साबित हो रहा है। भारत के संदर्भ में तो अलग-अलग माध्यमों से अक्सर इस आशय की रिपोर्ट आती रहती है, जिनमें यह बताया जाता है कि आबादी के मामले में भारत जल्द ही चीन को पीछे छोड कर दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। यह बात कुछ हद सही भी है, क्योंकि चीन की जनसंख्या भारत के मुकाबले काफी धीमी गति से बढ़ रही है, बावजूद इसके कि वहां 2016 में ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ को बदलते हुए ‘टू चाइल्ड पॉलिसी’ कर दिया गया और इसी साल वहां इसे ‘थ्री चाइल्ड’ पॉलिसी कर दिया गया है।

कांवड़ यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध ही उचित होगा

कुंभ वाली गलती दुहराना देश पर भारी पड़ेगा
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-07-14 09:57
कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने एक दूसरे से विपरीत निर्णय लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तो इस मसले पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी कर दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी उसी तरह बनी हुई है, जैसे वे अधिकांश महत्वपूर्ण मसलों पर वे चुप्पी बना लेते हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं और दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के विपरीत निर्णय ले ही नहीं सकते। वैसी हालत में दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के अलग अलग निर्णय आश्चर्यचकित करने वाले हैं।

म्यांमार की स्थिति पर भारत की नीतिगत सुस्ती से बढ़ रही समस्याएं

सीमावर्ती पूर्वोत्तर राज्यों को नहीं पता कि शरणार्थियों से कैसे निपटा जाए
आशीष विश्वास - 2021-07-13 09:53
म्यांमार में हो रहे संघर्ष के संदर्भ में भारत सरकार द्वारा किए गए कुछ हालिया नीतिगत निर्णयों की कीमत चुकानी पड़ी है। राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति पागल जुनून और विदेशों में चयनित भारतीय कॉर्पोरेट चिंताओं के वाणिज्यिक हितों के विस्तार के साथ एक शासन के रूप में सत्तारूढ़ एनडीए की नकारात्मक धारणाओं को पूर्वोत्तर में मजबूत किया गया है। पिछले कुछ हफ्तों के दौरान, स्थानीय मीडिया के अनुसार, पूर्वोत्तर और म्यांमार में उदारवादी राय के प्रमुख वर्गों के बीच भारत विरोधी आलोचना ने एक नई बढ़त हासिल कर ली है।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी दल कमर कस रहे हैं

समाजवादी पार्टी के बाद तीसरे नंबर की पार्टी बसपा संकट में
प्रदीप कपूर - 2021-07-12 09:45
लखनऊः जिला पंचायतों के परिणामों के बावजूद, जहां भाजपा ने सबसे अधिक सीटें जीती हैं, विपक्षी दल मिशन 2022 विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस रहे हैं। समाजवादी पार्टी प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते पार्टी नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं को तहसील स्तर से राज्य क्वार्टर तक धरना देने के लिए 15 जुलाई को राज्यव्यापी विरोध का आह्वान किया है।

चिराग की बचकाना हरकत

गंवा सकते हैं अपनी संसद सदस्यता भी
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-07-10 11:23
चिराग पासवान की समस्या का अंत नहीं हो रहा है और वे खुद अपनी समस्याओं को अपनी बचकानी हरकतों से बढ़ाते जा रहे हैं। देश की राजनीति कैसे चलती है, प्रधानमंत्री के क्या अधिकार हैं और संसद के स्पीकर किस आधार पर करते हैं, इन सबकी जानकारी का अभाव होने के कारण वे अपनी किरकिरी खुद करवा रहे हैं। प्रधानमंत्री द्वारा अपने कैबिनेट के विस्तार के पहले जब पटना के राजनैतिक हलकों में चर्चा तेज थी कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस भी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं, तो उन्होंने प्रधानमंत्री को ही धमकी देनी शुरू कर दी कि यदि उनके चाचा को मंत्री बनाया गया, तो प्रधानमंत्री के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे। हालांकि अपने कुछ सलाहकारों के कहने पर अपनी धमकी में उन्होंने थोड़ा सा सुधार कर दिया और कहा कि यदि लोकजनशक्ति पार्टी के सांसद के रूप में पारस का मंत्री के रूप में शपथग्रहण होता है, तब वे कोर्ट में जाएंगे।