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विपक्ष ने लगाया जिला पंचायत चुनाव में सत्ता के दुरूपयोग का आरोप

भाजपा के 21 जिला परिषद अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित
प्रदीप कपूर - 2021-07-01 14:57
लखनऊः विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ भाजपा पर अधिक से अधिक जिला पंचायतों पर कब्जा करने के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। भाजपा पहले ही 21 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर निर्विरोध जीत चुकी है, जबकि 3 जुलाई को 53 जिलों में भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच सीधी लड़ाई होगी। चूंकि बसपा अध्यक्ष मायावती ने घोषणा की कि उनकी पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेगी, समाजवादी पार्टी, भाजपा और अन्य दल अपने उम्मीदवारों को जिताने में लगे हैं।

चिराग को तेजस्वी का ऑफर मंजूर नहीं

रामविलास के बेटे के लिए मोदी क्यों जरूरी हैं
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-06-30 09:49
राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव बहुत खुश हैं कि रामविलास पासवान द्वारा गठित लोकजनशक्ति पार्टी में फूट पड़ गई है और पांच सांसदों ने मिलकर रामविलास के बेटे चिराग पासवान को दरकिनार कर दिया है। वे बार बार अपील कर रहे हैं कि चिराग उनके साथ जुड़ जाएं। राजद के एक नेता ने तो चिराग को लालू के दल में शामिल होने की अपील भी कर डाली, लेकिन इन अपीलों का कोई प्रभाव चिराग पासवान पर नहीं पड़ रहा है। चिराग पासवान को अभी भी नरेन्द्र मोदी से ही उम्मीद है। वे भारतीय जनता पार्टी और मोदी को उलाहना तो दे सकते हैं कि वे उनकी रक्षा करने को नहीं आ रहे हैं, लेकिन उनकी आलोचना करने की हिम्मत वे नहीं जुटा रहे हैं।

आरएसएस और आपातकाल

तत्कालीन संघ प्रमुख देवरस ने इन्दिरा के समर्थन में पत्र लिखे थे
अनिल जैन - 2021-06-28 09:39
आपातकाल के 46 वीं बरसी के मौके पर कई लोगों ने मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए भारतीय लोकतंत्र के उस त्रासद और शर्मनाक कालखंड को अलग-अलग तरह से याद किया। याद करने वालों में ऐसे तो हैं ही जो आपातकाल के दौरान पूरे समय जेल में रहे थे या भूमिगत रहते हुए आपातकाल और तानाशाही के खिलाफ संघर्ष में जुटे हुए थे। मगर आपातकाल को उन लोगों ने भी बढ-चढकर याद किया, जो अपनी गिरफ्तारी के चंद दिनों बाद ही माफीनामा लिखकर जेल से बाहर आ गए थे, ठीक उसी तरह, जिस तरह विनायक दामोदर सावरकर अंग्रेजों से माफी मांग कर जेल से बाहर आए थे।

भारत के तीन सीमावर्ती राज्यों में म्यांमार से लोगों का बड़ा पलायन

शरणार्थियों से कैसे निपटा जाए, इस पर केंद्र ने अभी तक कड़ा निर्देश नहीं दिया है
आशीष बिश्वास - 2021-06-26 11:01
म्यांमार में चल रहे नागरिक संघर्ष के शीघ्र अंत की कोई संभावना नहीं होने के कारण, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बर्मी शरणार्थियों का पलायन बढ़ गया है। अब तक, विभिन्न मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि केवल पांच महीनों के भीतर मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड को पार करने वाले लोगों की संख्या 16,000 को पार कर गई है।

उत्तर प्रदेश में भाजपा की वापसी आसान नहीं

फिर भी योगी से बेहतर चेहरा पार्टी के पास नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-06-25 12:01
बंगाल चुनाव की हार के बाद भारतीय जनता पार्टी और उसके मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मनोबल गिरा हुआ है। इस बीच उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव भी हुए थे और उसमें भी भारतीय जनता पार्टी की हार हुई थी। उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायतों के चुनाव पार्टी के आधार पर नहीं होते, लेकिन जिला परिषद के सदस्यों के चुनाव दलीय आधार पर ही होते हैं और जिला परिषद चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के मात्र 20 फीसदी उम्मीदवार ही जीत सके थे। 26 फीसदी उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के जीते थे। सबसे ज्यादा निर्दलीयों की जीत हुई थी। अब जिला परिषद के वे सदस्य जिला परिषद के अध्यक्षों का चुनाव करेंगे। कोरोना की तेज लहर के कारण उनके चुनाव को स्थगित कर दिया गया था। जुलाई के पहले सप्ताह में उनका चुनाव होना है।

पंडित नेहरू और शेख अब्दुल्ला के कारण ही कश्मीर बन सका भारत का हिस्सा

आरएसस और हिन्दू महासभा के गलत समय पर हुए आंदोलन ने मामला बिगाड़ा
एल. एस. हरदेनिया - 2021-06-23 10:21
भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समेत कई व्यक्ति व संगठन जवाहरलाल नेहरू को कश्मीर समस्या के लिए जिम्मेदार मानते हैं। परंतु इसके विपरीत पूरे विश्वास से यह दावा किया जा सकता है कि यदि जवाहरलाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला नहीं होते तो जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं बन पाता। भारत को आजादी देने के लिए ब्रिटिश संसद ने जो कानून बनाया था उसके अनुसार इंडिया को दो राष्ट्रों में विभाजित किया जाना था। भारत की सभी रियासतों को तीन विकल्प दिए गए थे। वे चाहेँ तो भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकते थे या आजाद भी रह सकते थे। उन्हें यह फैसला दोनों राष्ट्रों के बनने के पहले लेना था। फैसला लेने का अधिकार संबंधित रियासत के राजा- नवाब को दिया गया था।

त्रिपुरा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार लगातार तनाव का सामना कर रही है

भाजपा विधायकों को मिलाने के लिए तृणमूल कांग्रेस सक्रिय
सागरनील सिन्हा - 2021-06-22 09:39
फिलहाल बीजेपी नेतृत्व को इस बात से संतोष हो सकता है कि वह किसी तरह अपने असंतुष्ट विधायकों को पार्टी छोड़ने से रोककर राज्य में बगावत की आग पर काबू पाने में कामयाब रही है. हालाँकि, आंतरिक दरार मरी नहीं है। पार्टी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष को भेजकर भगवा पार्टी के दिल्ली नेतृत्व की सतर्कता ने असंतुष्टों को अपनी विद्रोही आवाजों को शांत करने के लिए मजबूर कर दिया।

सरकार मगरूर है

मगर विपक्ष तो भी नाकारा है!
अनिल जैन - 2021-06-21 15:21
भारतीय राजनीति इस समय अपने इतने निकृष्टतम दौर से गुजर रही है कि वह देश की समस्याओं का समाधान करने के बजाय खुद अपने आप में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। किसी भी लोकतंत्र के लिए इससे ज्यादा बुरा दौर और क्या हो सकता है कि जब महंगाई पूरी तरह लूट में तब्दील हो चुकी हो, सत्ता में बैठे लोगों का भ्रष्टाचार अपनी सारी हदें पार कर संस्थागत स्वरूप ले चुका हो, अभूतपूर्व वैश्विक महामारी के चलते लाखों लोग उचित इलाज, दवा और ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ चुके हों, लोगों को अपने परिजनों के शव अंतिम संस्कार करने के लिए पैसे न होने या श्मशानों में जगह न मिलने के कारण नदी में बहाना पडे़ हों और कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन के नाम पर देश का अधिकांश हिस्सा पुलिस स्टेट में तब्दील हो चुका हो।

आईपीसी की धारा 124ए से संबंधित देशद्रोह को हटाना अनिवार्य है

मोदी सरकार लोकतांत्रिक असहमति को रोकने के लिए इसका दुरूपयोग कर रही है
बिनॉय विश्वम - 2021-06-19 12:20
जब से आरएसएस के नेतृत्व वाली भाजपा सत्ता में आई है, संविधान की लोकतांत्रिक भावना पर लगातार हमले हो रहे हैं। वास्तव में स्वयं लोकतंत्र और उसके मूल्यों को राज्य सत्ता के प्रबंधकों द्वारा घोर खतरा है। देशभक्ति के नाम पर, एक बिल्कुल अलग रूप धारण करने का प्रयास किया गया है, जिसमें जनता से कोई सरोकार नहीं है और बदले में उनसे कोई प्यार नहीं है। उनके लिए, असहमति को एक अपराध के रूप में दर्शाया गया है और राष्ट्रविरोधी शब्द का इस्तेमाल हर उस व्यक्ति पर हमला करने के लिए किया गया है जिसने ‘हिंदुत्व’ के रास्ते में आने की हिम्मत की।

राज्यसभा में अगले साल बहुमत से और दूर हो जाएगी भाजपा

विधानसभा चुनावों में मिल रही हार भाजपा को पड़ रही है भारी
अनिल जैन - 2021-06-18 11:35
भाजपा और आरएसएस के अंदरूनी हलकों में इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि अगले साल भाजपा और उसके गठबंधन यानी एनडीए को राज्यसभा में बहुमत हासिल हो जाएगा और उसके बाद केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण का कानून लाएगी और समान नागरिक संहिता संबंधी कानून भी पारित कराया जाएगा। भाजपा और आरएसएस के समर्थकों की ओर से यही दावा सोशल मीडिया में भी किया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि अगले साल होने वाले राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सीटें बढने के बजाय कम हो सकती है।