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राज्यसभा में अगले साल बहुमत से और दूर हो जाएगी भाजपा

विधानसभा चुनावों में मिल रही हार भाजपा को पड़ रही है भारी
अनिल जैन - 2021-06-18 11:35
भाजपा और आरएसएस के अंदरूनी हलकों में इन दिनों यह चर्चा जोरों पर है कि अगले साल भाजपा और उसके गठबंधन यानी एनडीए को राज्यसभा में बहुमत हासिल हो जाएगा और उसके बाद केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण का कानून लाएगी और समान नागरिक संहिता संबंधी कानून भी पारित कराया जाएगा। भाजपा और आरएसएस के समर्थकों की ओर से यही दावा सोशल मीडिया में भी किया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि अगले साल होने वाले राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों की सीटें बढने के बजाय कम हो सकती है।

सत्ता हासिल करने के मिशन 2022 को अंतिम रूप दे रहे अखिलेश

भाजपा के आधार में गिरावट से समाजवादी पार्टी को मिला बढ़ावा
प्रदीप कपूर - 2021-06-17 10:53
लखनऊः पंचायत चुनावों में हालिया सफलता से उत्साहित अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए मिशन 2022 की तैयारी कर रहे हैं। अखिलेश यादव चुनाव के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने के लिए समर्थन आधार बढ़ाने के लिए छोटे दलों के साथ गठबंधन करने के लिए आक्रामक मूड में हैं।

बुझ गया चिराग?

मौसम का हाल समझने में विफल मौसम वैज्ञानिक का बेटा
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-06-16 10:49
रामविलास पासवान दलित नेता थे, लेकिन उनकी छवि दलित नेता की नहीं, बल्कि एक मौसम वैज्ञानिक की बन गई थी। राजनैतिक मौसम का उनका अनुमान सही होता था और हमेशा जीतने वाली पार्टी के साथ वे चले जाते थे। उनकी इस अवसरवादिता के कारण ही उन्हें मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है और इसके कारण ही वे 1989 से 2020 के एकतीस साल के दौरान वे लगभग सभी सरकारों का हिस्सा रहे। वे वीपी सिंह सरकार में में ही नहीं, देवेगौड़ा और गुजराल सरकार में भी मंत्री थे। उसके बाद अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे। उसके बाद बनी मनमोहन सरकार में भी वे कैबिनेट मंत्री थे। मनमोहन सरकार के बाद मोदी सरकार बनी और उसमें भी वे मंत्री थे। जब उनकी मौत हुई, उस समय भी वे मंत्री के अपने पद पर मौजूद थे। 1989 से 2020 के बीच वे सिर्फ दो सरकारों- चंद्रशेखर सरकार और नरसिंहराव सरकार- में मंत्री नहीं थे। इप एकतीस सालों में सबसे ज्यादा दिनों तक उनका मंत्री के पद पर बने रहने का रिकॉर्ड है।

हिमंत विश्व शर्मा सरकार ने प्रभावी ढंग से कोविड से लड़ाई लड़ी

एक महीने पुराने असम मंत्रिमंडल के हाथों कई कठिन काम
सागरनील सिन्हा - 2021-06-15 10:44
महामारी के समय में सरकारों की सर्वोच्च प्राथमिकता कोविड-19 वायरस से निपटने की रही है। यही बात एक महीने पहले बनी हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व वाली नई असम सरकार पर भी लागू होती है। हालांकि भाजपा सत्ता में लौट आई, मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की जगह हिमंत ने ले ली, जिन्होंने एक नए मंत्रिमंडल का गठन करके अपनी पारी की शुरुआत की, जो पुराने और नए चेहरों का मिश्रण है।

राम मंदिर निर्माण में चंपत घोटाला

उत्तर प्रदेश का चुनाव जीतना भाजपा के लिए और हुआ दुष्कर
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-06-14 11:08
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने दिल्ली फतह तो कर ली। उन्हें मोदी- शाह मुख्यमंत्री पद से हटा नहीं सके, लेकिन क्या वे उत्तर प्रदेश भी फतह कर पाएंगे- इन सवालों पर राजनैतिक पंडित माथापच्ची कर ही रहे थे कि अयोध्या में राममंदिर निर्माण करवा रहे ट्रस्ट द्वारा घोटाले की एक ऐसी खबर आ गई है, जिसे झुठलाना असंभव है। आगामी चुनाव में योगी आदित्यनाथ निश्चय ही राममंदिर के निर्माण को मुद्दा बनाएंगे, लेकिन यह मुद्दा उनके खिलाफ भी जा सकता है, क्योंकि रामजन्म मंदिर निर्माण से घोटाला भी जुड़ गए है। राममंदिर सुनते ही लोगों के जेहन में घोटाला भी गूंजने लगेगा और भाजपा को यह मुद्दा फायदा कम और नुकसान ज्यादा पहुंचाएगा।

प्रधानमंत्री पर क्यों भारी पड़े योगी

मोदी के इर्दगिर्द बुना तिलिस्म समाप्त
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-06-12 10:18
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी दिल्ली आए। केन्द्रीय नेताओं से मिले। फिर लखनऊ वापस चले गए। इसके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से उनके हटाए जाने की अफवाहों पर विराम लग गया। योगी की दिल्ली यात्रा उनकी विजयी यात्रा रही। पहली बार मोदी- शाह की जोड़ी को यह अहसास हुआ कि अपनी इच्छा के अनुसार वे पार्टी में सबकुछ नहीं कर सकते। योगी उन दोनों पर भारी पड़े और उन्हें हटाने का विचार उन्हें त्यागना पड़ा। कहने को तो कहा जा सकता है कि बंगाल के चुनाव नतीजों ने मोदी को कमजोर कर दिया है, लेकिन सच्चाई यह है कि मोदी उसके पहले से ही कमजोर पड़ रहे हैं। विधानसभा चुनावों में भाजपा को जीत दिलाने की उनकी क्षमता 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी जीत के पहले से ही संदिग्ध हो चुकी थी। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में उनकी पार्टी हारी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद तो भाजपा विधानसभा चुनावों में अधिकतर हार का ही सामना करती रही है। असम एक मात्र अपवाद है, जहां मोदी ने भाजपा को जीत दिलाई।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मंत्रिपरिषद को भी महत्वहीन बना दिया है

यही कारण है कि प्रधानमंत्री को मंत्रिपरिषद विस्तार की हड़बड़ी नहीं
अनिल जैन - 2021-06-11 11:08
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर चुके हैं लेकिन इन दो सालों में वे अपने मंत्रिपरिषद को भी पूरी तरह आकार नहीं दे पाए हैं। उनकी सरकार का तीसरा साल शुरू हो चुका है लेकिन अभी भी आधी-अधूरी मंत्रिपरिषद से ही काम चल रहा है। इसी वजह से कई कैबिनेट और स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री ऐसे हैं जिनके पास दो और तीन से ज्यादा मंत्रालयों का दायित्व है। यह स्थिति बताती है कि प्रधानमंत्री अपनी मंत्रिपरिषद को कितना महत्व देते हैं और क्यों अधिकांश महत्वपूर्ण फैसले मंत्रिमंडल यानी कैबिनेट में चर्चा के बगैर प्रधानमंत्री अपने स्तर पर ही ले लिया करते हैं।

उत्तर प्रदेश में विपक्ष 2022 में भाजपा को चुनौती देने की तैयारी में

समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव सबसे आगे
प्रदीप कपूर - 2021-06-10 17:01
लखनऊ: 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए विपक्षी दल सीएम योगी आदित्यनाथ को बीजेपी का मुख्य चेहरा बनाने के लिए कमर कस रहे हैं। चूंकि बीजेपी और संघ परिवार हिंदुत्व के एजेंडे पर यूपी चुनाव लड़ेंगे, इसलिए उनके पास भगवाधारी योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री और राज्य चुनावों में पार्टी का मुख्य चेहरा बनाए रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उल्लेखनीय है कि पिछले चार वर्षों के दौरान देश में हुए सभी चुनावों में पीएम मोदी के बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भाजपा के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण प्रचारक थे।

योगी आदित्यनाथ से कैसे निपटें

संघ और भाजपा के नेता असमंजस में
अरुण श्रीवास्तव - 2021-06-09 15:57
बंगाल की ऐतिहासिक लड़ाई हारने और कोलकाता की सड़कों पर नरेंद्र मोदी की पूरी तरह बिखरी अजेयता की छवि के बाद उत्तर प्रदेश के राजपूत योद्धा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवा ब्रिगेड के दो कमांडरों नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर तीखा हमला बोला है. यदि मौजूदा स्थिति बनी रही तो मोदी और अमित शाह को योगी 2022 में उत्तर प्रदेश में आने वाली लड़ाई में धूल चटा सकते हैं।

भारत के संघीय लोकतंत्र पर फिर हमला

अलपन बंदोपाध्याय का मामला
नंतू बनर्जी - 2021-06-08 09:41
देश की नाजुक संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था पर एक बार फिर हमला हो रहा है। इस बार, केंद्र, राज्यों पर अपने वर्चस्व के बारे में अतिसंवेदनशील, लगता है कि पश्चिम बंगाल सरकार और उसके मुख्यमंत्री को राजनीतिक तौर-तरीकों पर दोष दिया गया है क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री को चक्रवात प्रभाव की समीक्षा के लिए इंतजार करवाया था। यह उनको खराब लगा। लेकिन मुख्य सचिव को वापस बुलाने और उन्हें ‘रिपोर्ट करने के लिए’ कहने की दंडात्मक कार्रवाई को सही ठहराते हैं। मानो मुख्य सचिव राजनीतिक गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार थे।