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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने पिछले 95 वर्षों में बड़ी भूमिका निभाई

वाम और लोकतांत्रिक ताकतों को एकताबद्ध करने की कोशिशें जारी रहेंगी
डी राजा - 2020-12-26 09:58
वर्ष 1925 में 26 दिसंबर को, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का औपचारिक रूप से कानपुर (उत्तर प्रदेश) में गठन हुआ था। तब से, 95 वर्षों की अवधि हमारे संघर्षों और बलिदानों का काल है। अब पार्टी अपने जीवन के 96 वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी षड्यंत्र के मामलों, राजद्रोह के आरोपों, गोलियों, जेलों और फांसी का सामना करने वाले स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे थी। ब्रिटिश और अन्य औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ लड़ने वाले कम्युनिस्टों के रक्त पर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई जीती गई।

भागीदारी संकल्प मोर्चा मुस्लिम मतों का बंटवारा कर सकता है

मोर्चे में ओवैसी के शामिल होने का लाभ भाजपा को ही मिलेगा
प्रदीप कपूर - 2020-12-24 11:25
लखनऊः असदुद्दीन ओवैसी ने ओम प्रकाश राजभर और अन्य छोटी जाति के दलों के साथ हाथ मिलाने की बात कही है। इन दलों ने भागीदाऱी संकल्प मोर्चा नाम का एक गठबंधन बना रखा है। ओवैसी के इस मोर्चे में शामिल होने से 2022 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बसपा को कुछ नुकसान पहुंचा सकता है।

नेपाल का संकट

अहम के टकराव ने यह स्थिति पैदा कर दी
बरुण दास गुप्ता - 2020-12-23 09:46
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएन) के दो गुटों के बीच जारी झगड़ा वर्तमान संकट के मूल में है। एक गुट के नेता हैं प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली तो दूसरे गुट का नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल कर रहे हैं। दहल को प्रचंड के नाम से जाना जाता है। दोनों के बीच हो रहे संघर्ष ने नेपाल में यह अभूतपूर्व संकट चल रहा है। ओली अपनी ही पार्टी में तब तक समर्थन खोते रहे। संसद भंग करने का यह फैसला उन्होंने तब किया, जब तक कि उन्होंने न केवल पार्टी में बल्कि संसद में भी बहुमत खो दिया। लेकिन प्रधान मंत्री के रूप में इस्तीफा देने के बजाय, उन्होंने पिछले रविवार को राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से संपर्क किया और उन्हें संसद (पीपुल्स हाउस) को भंग करने वाले राष्ट्रपति के फैसले पर हस्ताक्षर करने के लिए राजी किया।

स्मृतिशेषः मोतीलाल वोरा

वे आम जनता का बहुत ख्याल रखते थे
एल. एस. हरदेनिया - 2020-12-22 10:22
मोतीलाल वोराजी से मेरा संबंध पांच दशकों से भी ज्यादा का रहा। श्री अर्जुन सिंह के यकायक पंजाब का राज्यपाल बनने के बाद मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा, यह कोई नहीं जानता था। यह तो कोई सोच भी नहीं सकता था कि मोतीलाल वोरा को यह जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। वोरा सर्वप्रथम सन् 1972 में कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा के लिए चुने गए थे।

प्रधानमंत्री का मेक इन इंडिया कार्यक्रम हो रहा है बाधित

पिछले 5 सालों में बहुत कम प्रगति
नंतू बनर्जी - 2020-12-22 10:18
भारत का आर्थिक विकास लक्ष्य एक नई चुनौती का सामना करता है। विनिर्माण क्षेत्र नहीं बढ़ रहा है। हाल के वर्षों में विनिर्माण क्षेत्र में कोई नया बड़ा निवेश नहीं हुआ है। न ही विनिर्माण गतिविधियों का विस्तार करने के लिए मौजूदा कंपनियों और व्यावसायिक घरानों से नई पहल के संकेत हैं। यहां तक कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) धीमा हो गया है। हाल ही में, भारत के पांचवें सबसे बड़े यात्री वाहन निर्माता होंडा कार्स ने चुनौतीपूर्ण व्यावसायिक परिदृश्य से प्रभावित होकर उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में अपनी विनिर्माण इकाई बंद कर दी थी। प्रधान मंत्री का पसंदीदा ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम काम नहीं कर पा रहा है।

कांग्रेस की इस रात की सुबह नहीं

भारत की सबसे पुरानी पार्टी की दुर्दशा के पीछे राहुल ही हैं
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-12-21 09:38
प्रत्येक बीतते दिन के साथ कांग्रेस का पतन होता जा रहा है और भारत की इस सबसे पुरानी पार्टी लावारिस और लाचार दिख रही है। उसके सामने उम्मीद की कोई किरण नहीं दिख रही है। यह खुद तो गर्त में जा ही रही है और अब तो अपने सहयोगियों को भी अपने साथ लेकर डूब जाती है। पिछले महीने हुए बिहार के चुनाव में वैसा ही हुआ। इसके खराब प्रदर्शन के कारण राष्ट्रीय जनता दल के हाथों में आ रही सत्ता फिसल गई। उस गठबंधन में राजद, कांग्रेस और वामदल थे। राजद के 50 फीसदी से ज्यादा उम्मीदवार जीत गए। वामदलों के भी 50 फीसदी से ज्यादा उम्मीदवार जीत गए, लेकिन कांग्रेस के कुल 70 में से मात्र 19 उम्मीदवार ही जीत पाए और गठबंधन को बहुमत से मात्र 12 सीटें कम पड़ गईं। 12 क्या, कांग्रेस ने यदि 6 और सीटें जीत ली होतीं, तो राजद की सरकार वहां बन जाती, क्योंकि तब एमआईएम के 5 और बीएसपी के एक विधायक गठबंधन को समर्थन देकर बहुमत का आंकड़ा पार कर लेते।

कॉर्पोरेट-हिन्दुत्व विमर्श के खिलाफ किसानों का आंदोलन

यह नई बन रही व्यवस्था के खिलाफ उठा विरोध है
प्रभात पटनायक - 2020-12-19 10:10
किसान आंदोलन सिर्फ एमएसपी या कृषि के निगमकरण के खिलाफ लड़ाई से अधिक है। यह एक ऐसे विमर्श के खिलाफ है जो नव-उदारवाद के तहत प्रचारित झूठी कथा का खंडन करता है। आने वाले दिनों में मोदी सरकार इस आंदोलन को तोड़ने की तेज कोशिश करेगी, लेकिन उसके साथ ही यह और तेज होती जाएगा। ‘राष्ट’ के बारे में विमर्शं का हवाला देकर मैं अपनी बात को स्पष्ट करता हूं।

पहले भी जनभावना को देखते हुए सरकार को झुकना पड़ा है

किसान आंदोलन के सामने भी मोदी को झुक जाना चाहिए
एल. एस. हरदेनिया - 2020-12-18 10:21
आजादी के बाद दो महाआंदोलन हुए, जिनके सामने तत्कालीन केंद्रीय सरकारों को झुकना पड़ा। इनमें से पहला आंदोलन 1956-57 में हुआ था और दूसरा 1965 में। पहले आंदोलन का संबंध महाराष्ट्र राज्य के निर्माण से था। आंध्र में भाषा आधारित राज्य के निर्माण की मांग को लेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आमरण अनशन प्रारंभ किया था। उनका नाम पोटटू रामुलू था। अनशन के दौरान उनकी मृत्यु हो गई जिससे बहुत हंगामा खड़ा हो गया। जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया। इस आयोग को यह जिम्मेदारी दी गई कि वह ऐसा फार्मूला बनाए जिसके आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया जाए। आयोग ने सिफारिश की कि राज्यों का निर्माण का आधार भाषा हो। तदनुसार अनेक राज्यों का गठन किया गया। परंतु मराठी और गुजराती भाषाओं के आधार पर राज्य नहीं बनाए गए।

वैक्सिन आ रहा है, कोविड जा रहा है

यदि हर्ड इम्युनिटी बन रही है, तो फिर वैक्सिन क्यों?
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-12-17 11:03
अमेरिका और यूरोप कोरोना के कहर का सामना कर रहा है, तो भारत में कोरोना का बुखार लगातार उतरता जा रहा है। यूरोपीय देशों और अमेरिकी महादेशों के संयुक्त राज्य अमेरिका में मौसम ठंढा होने के साथ जब कोरोना के मामले बढ़ रहे थे, तब भारत को भी यह सोच कर कंपकंपी लग रही थी कि कहीं दिसंबर और जनवरी की शीतलहरी में यहां भी करोना की दूसरी लहर न आ जाय। प्रथम लहर में प्रतिदिन कोरोना के मामले 98 हजार के आसपास पहुंच गए थे। फिर नये मामले में गिरावट भी आ रही थी, लेकिन उस गिरावट से न तो यहां के लोगों को और न ही नीति निर्माताओं को सुकून मिल रहा था, क्योंकि शरद ऋतु का डर सता रहा था। लेकिन यह डर भी गलत साबित होता दिख रहा है।

लव जिहाद के नाम पर बने कानून के खिलाफ संघर्ष करेगा विपक्ष

अल्पसंख्यकों का प्रताड़ित करने के लिए कृतसंकल्प दिखते हैं योगी
प्रदीप कपूर - 2020-12-16 10:25
लखनऊः उत्तर प्रदेश में विपक्षी दल योगी सरकार द्वारा लव जिहाद के नाम पर राज्य में लोगों के उत्पीड़न का विरोध कर रहे हैं।