भाजपा की उम्मीदों का ‘चिराग’ बुझा सकता है नीतीश का आरक्षण राग
भाजपा की मंशा समझ चुके हैं नीतीश
2020-11-05 09:30
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बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार अभियान चरम पर था। पहले दौर का मतदान होने तक आरक्षण मुद्दा कहीं भी चर्चा में नहीं था। लेकिन अचानक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखिया मोहन राव भागवत का बयान आया कि देश में मौजूदा आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा किए जाने की जरुरत है। वह चुनाव लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की पार्टियां मिलकर लड़ रही थीं और कांग्रेस भी उनके साथ थी। तीनों पार्टियों का महागठबंधन भाजपा पर भारी पडता दिख रहा था। ऐसे में भागवत का बयान लालू और नीतीश के लिए मनचाही मुराद साबित हुआ। उन्होंने भागवत के बयान को लपकने में जरा भी देरी नहीं की और उसे इतना बड़ा मुद्दा बना दिया कि पूरे चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी हर सभा में सफाई देनी पड़ी कि उनकी सरकार ऐसा कुछ नहीं करेगी जिससे कि आरक्षण पर जरा भी आंच आए।