सिर्फ विज्ञापन चोरी का मामला नहीं है टीआरपी घोटाला
यह देश और समाज को मानसिक रूप से बीमार करने का मामला भी है
2020-10-12 10:16
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टीवी चैनलों के टीआरपी घोटाले की चर्चा भले आज बहुत तेज हो गई हो, लेकिन यह कोई नया घोटाला नहीं है। 2000 ईस्वी से टीआरपी की सिस्टम अस्तित्व में आई थी। तब कोई टैम नाम का संगठन इसे संचालित करता था। उसने देश के मात्र 2000 घरों में अपनी मशीन लगा रखी थी और मात्र 2000 घरों में देखे जा रहे प्रोग्राम्स या न्यूज के आधार पर वह तय कर देता था कि देश के करोड़ों लोगों में सबसे कितने करोड़ ने किस चैलन को देखे।