सख्त सजा के प्रावधान से नहीं रुकेंगे बलात्कार
जरूरत शीघ्र सजा के प्रावधान की है
2019-12-04 11:25
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हैदराबाद के एक पशु चिकित्सक के बलात्कार और हत्या के बाद एक बार फिर देश भर में बलात्कार के खिलाफ उबाल है। निर्भया ज्योति सिंह के साथ जब 2012 में बलात्कार हुआ था, उस समय भी देश भर में उबाल आया था। उस समय बलात्कार को रोकने के लिए कड़े कानून बनाने के लिए एक वर्मा कमिटी बनी थी। उसने कुछ सिफारिशें की थी। उन सिफारिशों के आधार पर कानूनों को कड़े किए थे, लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ। बलात्कार बदस्तूर जारी हैं। कभी कभी मीडिया के खास ध्यान के कारण या बलात्कार के साथ जुड़ी मौत और उसके पहले की गई पाशविकता के कारण बलात्कर हमारे सभ्य समाज को झकझोरने लगता है और समाज से आवाज उठने लगती है कि कानून को और कठोर करो। बलात्कारियों को फांसी दे दो। भावनाओं का एक बड़ा ज्वार उठता है और कुछ दिन के बाद शांत हो जाता है, लेकिन बलात्कार की घटनाएं नहीं थमतीं। सच तो यह है कि इस तरह की घटनाएं दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। अब रेप नहीं होते, बल्कि गैंग रेप होते हैं और वर्मा कमिटी की अनुशंसा पर कड़े किए गए कानूनों कारण रेप पीड़िताओं की हत्या कर देने की घटना अब ज्यादा होने लगी है। यानी जिस कानून को महिलाओं की रक्षा के लिए कड़े किए गए थे, वे कानून अब पीड़िताओं की मौत का कारण भी बनने लगे हैं।