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दिग्विजय को भोपाल में भाकपा का पूरा समर्थन

सभी प्रगतिशील प्रज्ञा के खिलाफ सक्रिय हुए
एल एस हरदेनिया - 2019-05-02 09:10
भोपालः कांग्रेस के साथ साथ लगभग पूरे वामपंथी, प्रगतिशील और उदारवादी ताकतों ने प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ लड़ाई में अपने आपको दिग्विजय सिंह के साथ जोड़ लिया है। भोपाल लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के खिलाफ प्रज्ञा ठाकुर को भाजपा ने खड़ा किया है।

दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला

पर भाजपा के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-04-30 19:15
नई दिल्ली- आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिखाई गई उदारता के बावजूद कांग्रेस के साथ आप का चुनावी गठबंधन नहीं हो पाया। यदि यह गठबंधन संभव हो जाता, तो एक एक सीट जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी को भारी मशक्कत का सामना करना पड़ता और यह संभव था कि भाजपा सारी सीटें हार जातीं।

फिर कभी लकवाग्रस्त न हो पोलियो टीकाकरण अभियान

टूटने न पाए पोलियो सुरक्षा चक्र
योगेश कुमार गोयल - 2019-04-27 12:23
पोलियो के खतरे को देखते हुए हाल ही में एक बार फिर देशभर में पल्स पोलियो अभियान की शुरूआत की गई और देशभर में लाखों बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई गई। इस बार का पोलियो अभियान चर्चा में इसलिए रहा क्योंकि एक तरफ जहां भारत वर्ष 2014 में ही पोलियो को जड़ से मिटाने का दावा करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी इसका प्रमाणपत्र हासिल कर चुका था और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पोलियो के टाइप-2 वायरस से दुनियाभर से खात्मे की घोषणा भी 25 अप्रैल 2016 को कर दी गई थी, वहीं पिछले ही साल देश के कई राज्यों में करीब एक करोड़ बच्चों को पिलाई गई पोलियो खुराक में पीवी-2 विषाणु की मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद हड़कम्प मच गया था, जिसके बाद आनन-फानन में वह वैक्सीन तो सभी स्थानों से वापस मंगा ली गई थी किन्तु इतने सारे मासूमों को संक्रमित वैक्सीन की खुराक दिए जाने के बाद पोलियो के फिर पैर पसारने की आशंका जताई जाने लगी थी।

वाराणसी से प्रियंका का पलायन

क्या राहुल अभी भी राजनैतिक पप्पू हैं?
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-04-26 13:07
प्रियंका गांधी का लगभग घोषणा करके वाराणसी से चुनावी रण से भाग खड़ा होना पार्टी के रूप में कांग्रेस की राजनैतिक अपरिपक्वता का एक ताजा सबूत है। प्रियंका गांधी पिछले कई दिनों से कह रही थीं कि वह वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहती हैं। सबसे पहले उन्होंने रायबरेली की एक सभा में सवाल पूछते हुए ऐसा कहा था। रायबरेली के मतदाता नारा लगा रहे थे कि प्रियंका अपनी मां के क्षेत्र से ही चुनाव लड़ें और मां सोनिया का विश्राम दे दें। तब प्रियंका गांधी ने मतदाताओं से पूछा था कि उन्हें रायबरेली से क्यों और वाराणसी से क्यों नहीं चुनाव लड़ना चाहिए। ऐसा कहकर उन्होंने रायबरेली के मतदाताओं को शांत कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में ‘चौकीदार चोर है’

दोनों पक्ष अपनी अपनी राजनीति में अदालत का इस्तेमाल कर रहे हैं
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-04-25 09:38
सुप्रीम कोर्ट में अपने एक बयान को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने खेद भी जता दिया है, लेकिन मामला खेद जताने मात्र से समाप्त नहीं हुआ है और भाजपा नेताओं ने उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की मानहानि का जो मामला दर्ज किया है, वह अभी अपनी तार्किक परिणति तक नहीं पहुंचा है। वह मामला राहुल गांधी के ‘चैकीदार चोर है’ अभियान से जुड़ा हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष ने राफेल सौदे को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सबसे बड़ा मुद्दा बना रखा है। वह पिछले दो-एक वर्षों से इस मुद्दे को बार बार उठा रहे हैं और भारतीय जनता पार्टी इससे खासा परेशानी महसूस कर रही है।

मध्य प्रदेश भाजपा में विद्रोह

प्रज्ञा लगातार सांप्रदायिक बयान कर रही हैं जारी
एल एस हरदेनिया - 2019-04-24 20:24
भोपालः कांग्रेस और भाजपा दोनों ने लोकसभा की 29 सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दे दिया है। अंतिम सूची के बाद भाजपा कम से कम चार निर्वाचन क्षेत्रों में विद्रोह का सामना कर रही है। वे चार निर्वाचन क्षेत्र खजुराहो, बालाघाट, शादोल और इंदौर हैं।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत 140वें स्थान पर

पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा
योगेश कुमार गोयल - 2019-04-23 12:46
प्रेस को लोकतंत्र में सदैव चैथे स्तंभ की संज्ञा दी जाती रही है क्योंकि इसकी लोकतंत्र की मजबूती में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यही कारण है कि स्वस्थ और मजबूत लोकतंत्र के लिए प्रेस की स्वतंत्रता को बहुत अहम माना गया है लेकिन पेरिस स्थित ‘रिपोर्टर्स सैन्स फ्रंटियर्स’ (आरएसएफ) अथवा ‘रिपोर्टर्स विदआउट बाॅर्डर्स’ नामक संस्था ने 18 अप्रैल को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर जो तथ्य पेश किए हैं, उससे हर किसी को असहनीय झटका लगा है। एक तरफ जहां देश में लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है और इस चुनावी माहौल में प्रेस की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है, ऐसे में यह तथ्य सामने आना कि भारत प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में दो पायदान और नीचे खिसक गया है, चिंता का विषय है। कुल 180 देशों पर आधारित इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत अब 140वें स्थान पर पहुंच गया है, जो 2017 में 136वें स्थान पर और 2018 में 138वें पायदान पर था।

प्रधान न्यायाधीश पर यौन हिंसा का आरोप

खतरे में में पूरे तंत्र की विश्वसनीयता
उपेन्द्र प्रसाद - 2019-04-22 14:07
आजादी के बाद यह अपने किस्म की पहली घटना है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश पर उनके मातहत काम करने वाली एक महिला स्टाफ ने न केवल अपने खिलाफ प्रधान न्यायाधीश के हाथों यौन हिंसा का आरोप लगाया है, बल्कि पूरे परिवार को बर्बाद कर देने का भी आरोप लगाया है। न्यायपालिका व्यवस्था का वह अंग है, जहां लोग अपने खिलाफ हो रहे अन्याय से राहत पाने के लिए फरियाद के साथ जाते हैं। वे न्याय की याचना करते हैं और यदि उनके साथ अपराध हो गया हो, तो अपराधियों को दंड दिलाने के लिए अदालत की शरण लेते हैं।

चुनाव आते ही क्यों शुरू हो जाता है ईवीएम राग?

ईवीएम को लेकर अनावश्यक विवाद
योगेश कुमार गोयल - 2019-04-18 19:18
विगत दिनों जब सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम के मतों की वीवीपैट पर्चियों से मिलान की संख्या पांच करने का निर्णय सुनाया था तो उम्मीद जगी थी कि इस निर्णय के बाद ईवीएम राग शांत हो जाएगा किन्तु प्रथम चरण के मतदान के बाद जिस प्रकार 21 विपक्षी दलों ने एकजुट होकर एक बार फिर ईवीएम में गड़बड़ियों के आरोप लगाकर सारा ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया है, उससे यह आईने की तरह साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव के परिणाम आने तक तो ईवीएम राग शांत नहीं होने वाला है। इससे पहले विपक्षी दलों की वीवीपैट की 50 फीसदी पर्चियों की गिनती की मांग को अव्यावहारिक मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग को निर्देशित किया था कि वह हर विधानसभा क्षेत्र से एक के बजाय पांच मतदान केन्द्रों से मतों की गिनती करे। फिलहाल सारा विवाद पहले चरण के मतदान के तुरंत बाद तब खड़ा हुआ, जब आंध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों और 175 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ और मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा आशंका जताई जाने लगी कि उनके राज्य में चुनाव प्रक्रिया में काफी गड़बड़ियां हुई हैं।

सुप्रीम कोर्ट में भारत का चुनाव आयोग

इसे चुनाव आयोग की लाचारी कहा जाए या मक्कारी?
अनिल जैन - 2019-04-18 19:15
चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव में नेताओं की आपत्तिजनक बयानबाजी पर अंकुश लगाने के लिए उसके पास पर्याप्त अधिकार नहीं है। यह बात आयोग के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कही है। हालांकि अपनी इस लचर दलील के बावजूद आयोग ने चुनावी रैलियों में जाति और धर्म के आधार पर विद्वेष फैलाने वाले भाषण देने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा नेता आजम खान के लिए 72 घंटे के लिए तथा बसपा अध्यक्ष मायावती और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के लिए 48 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मायावती ने गत 7 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के देवबंद में एक रैली को संबोधित करते हुए मुस्लिम समुदाय से एकजुट होकर अपने महागठबंधन के पक्ष में मतदान करने की अपील की थी। मायावती की इस अपील के जवाब में योगी आदित्यनाथ ने सपा, बसपा और कांग्रेस को अली की पार्टी बताते हुए बजरंगबली के नाम हिंदुओं से भाजपा को वोट देने के लिए कहा था। आजम खान ने अपने विरोधी नेताओं पर अभद्र टिप्पणी की थी और मेनका गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान मुसलमानों से कहा था कि अगर मुझे वोट नहीं दिया तो फिर मैं देख लूंगी।