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ज्ञान-विज्ञान

क्या 2012 में दुनिया मिट जाएगी?

डा मैथर ने कहा - "नहीं"
विशेष संवाददाता - 2010-01-05 12:55
हाल ही की एक फिल्म में 2012 में कयामत आने की बात कही गई है। इस फिल्म के एक उत्सुक दर्शक के सवाल के जवाब में डॉ जान सी मैथर ने कहा कि इस भय के पक्ष में कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है। दिलचस्प बात है कि उनकी अगली परियोजना "जेम्स वेब्स स्पेश टेली स्कोप" (जेडब्ल्यूएसटी) का 2014 में ही प्रक्षेपण होने की योजना है। यह परियोजना पुराने हब्बल अन्तरिक्ष दूरबीन की अगली कड़ी है।

राष्ट्रकुल खेलों का इतिहास और दिल्ली में तैयारी

विशेष संवाददाता - 2009-12-25 03:14
क्या आप जानते हैं कि नई दिल्ली में अक्टूबर 2010 में होने वाले राष्ट्रकुल खेल सबसे पहले कहां हुआ था और अपने देश में हो रहा यह आयोजन कामनवेल्थ गेम्स किस स्थान पर है। पहला खेला कहां हुआ था और उसके बाद के खलों का आयोजन किन-किन शहरों में संपन्न हुआ था? हम इस कालम में रोज आपके समक्ष ऐसी जानकारियों का फलक प्रस्तुत करेंगे जिसमें काॅमनवेल्थ गेम्स का इतिहास और भूगोल परिभाषित होगा।

ब्राजील के कृषि अनुभवों से भारत सीख ले

अशोक बी शर्मा - 2009-12-15 11:40
किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने का मुद्दा गरमाने और देश में कृषि क्षेत्र की उत्पादकता में गिरावट आने से दुनिया के दूसरे देशों में अपनाए जा रहे उपाय अपनाने की जरूरत महसूस हो रही है। बहुत से लोग भारत की तुलना दुनिया की दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं जैसे ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका से करते हैं।
जीव जगत

दुनिया के एक तिहाई जीवधारी नष्ट होने के कगार पर

कारगर कदम नहीं उठाया तो ये लुप्त हो जायेंगे
विशेष संवाददाता - 2009-11-03 12:40
आई यू सी एन की आज जारी लाल सूची 2009 के अनुसार इस संस्था द्वारा किए गये सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनिया भर के जीवधारियों में से लगभग एक तिहाई के समक्ष अस्तित्व का गंभीर संकट है और यदि समुचित कदम नहीं उठाये गये तो ये शीघ्र ही विलुप्त हो जायेंगे।
ज्ञान पाठक के अभिलेखागार से

भारत-अमेरिका परमाणु समझौता

दोनों देशों की दुविधाएं और सिद्धांत का सवाल
System Administrator - 2007-11-11 06:37
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के भारत-अमेरिका परमाणु समझौते को मंज़ूरी दे देने के बाद इसे लागू करने के मार्ग में बाधाएं खत्म सी हो गयी हैं, हालांकि कुछ और अड़चनें अभी बाकी हैं। भारत और अमेरिका के सत्तारुढ़ इस समझौते का लागू करने के प्रति काफी उत्साही रहे हैं, हालांकि दोनों देशों में इसके विरोधियों की संख्या भी कम नहीं रही है।
ज्ञान पाठक के अभिलेखागार से

नाभिकीय दादागिरी ...

System Administrator - 2007-10-20 06:47
अगले महीने अर्थात् जुलाई 2007 से नाभिकीय आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों के दमन के लिए अंतर्राष्ट्रीय कानून (द इंटरनेशनल कॉन्वेंशन फॉर द सप्रेशन ऑफ एक्ट्स ऑफ न्यूक्लियर टेररिज्म) लागू हो जायेगा जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र में सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली गयी हैं। लेकिन नाभिकीय दादगिरी और नाभिकीय आतंकवाद दोनों के खतरों से दुनिया को लगातार सजग रहने की आवश्यकता पड़ेगी।
ज्ञान पाठक के अभिलेखागार से

विश्व व्यवसाय, आतंकवाद

System Administrator - 2007-10-20 06:37
लंदन की एक कंपनी कंट्रोल रिस्क ने हाल ही में प्रकाशित अपनी एक रपट में दुनिया भर में व्यवसाय करने के जोखिमों के मामले में भारत को सबसे कम जोखिमों वाले देशों में एक माना है, चाहे वह राजनीतिक हो या सुरक्षा संबंधी। दुनिया के संदर्भ में उसने आतंकवाद को सबसे बड़ा खतरा बताया है, जबकि

ज्ञान पाठक के अभिलेखागार से

दुनिया की गिरती सेहत ...

System Administrator - 2007-10-20 06:27
दुनिया भर में लोगों की सेहत गिरती जा रही है और चिकित्सा सुविधाएं महंगी की जा रही हैं। व्यवसायी अधिकाधिक कमाने के लिए और सरकारें अपनी राजकोषीय स्थितियों में सुधार के नाम पर ऐसा कर रही हैं। परिणाम स्वरुप जानलेवा बीमारियां महामारी का रुप धारण कर रही हैं। लाखों जानें सिर्फ लापरवाही या अमानवीय लोभ में की जा रही गड़बड़ियों के कारण जा रही हैं।
ज्ञान पाठक के अभिलेखागार से

कहां खो गये ये लोग

System Administrator - 2007-10-20 06:21
अन्तर्राष्ट्रीय विलुप्तता दिवस: सरकारें और समाज ने इनके लिए क्या किया ?सरकारें और समाज ने इनके लिए क्या किया ?
हर साल 30 अगस्त को दुनिया भर के खोये हुए लोगों की खोज के लिए संकल्प लिये जाते हैं, और फिर हजारों लोग खो भी जाते हैं। खोये हुए लोगों और उनके परिवारों की पीड़ा भीषण त्रासदी और मानवीय संवेदनाओं का विषय अब तक नहीं बन पाया है। यह आंकड़ों का विषय ही रह गया है और इसलिए रेड क्रास की अन्तर्राष्ट्रीय कमिटी (आईसीआरसी) को इस वर्ष कहना पड़ा कि जितना किया जाना चाहिए उतना नहीं किया जा रहा है।
ज्ञान पाठक के अभिलेखागार से

विश्व संसद के लिए मुहिम

System Administrator - 2007-10-20 06:09
विश्व संसद के लिए इन दिनों एक मुहिम चलायी जा रही है जिसे पांच महादेशों के 70 देशों के लगभग 400 सांसदों का अब तक समर्थन हासिल हो चुका है। इनके अलावा अनेक विख्यात और अल्पज्ञात कलाकार और बुद्धिजीवी शामिल हो गये हैं।