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बंगाल में सीपीएम की गलती

असंगत राजनीति ने भूमि सुधारों को भी बेमानी कर दिया
ओ पी सभरवाल - 2011-05-19 10:05
पश्चिम बंगाल में सीपीएम का उत्थान और पतन बहुपरतीय प्रक्रिया के तहत हुआ। 1977 में वहां एक किस्त की क्रांति हुई। वह क्रांति आपरेशन बरगा के रूप में हुई थी, जिसके तहत लाखों गरीब किसानों और बटाइदारों को जमीन, भात और उम्मीदें दी गई थीं। देश का यह सबसे प्रतिशील भूमि सुधार कार्यक्रम था। सच कहा जाए तो यह एक क्रांति थी, लेकिन उसे अपनी ताकिक परिणति तक नहीं पहुंचने दिया गया। इसका कारण असंगत राजनीति थी, जिसे सीपीएम उसके बाद अपनाती रही। भूमि सुधार के बाद आर्थिक रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिए था और उसके बाद औद्यागिक सुधार लाकर वहां भी उसी तरह की क्रांति की जानी चाहिए थी, लेकिन वैसा कुछ किया नहीं गया। राजनीति अर्थनीति पर हावी हो गई। और इसका परिणाम हमारे सामने है।

कार्यसमिति की बैठक में बसपा सरकार होगी बीजेपी के निशाने पर

एस एन वर्मा - 2011-05-18 13:51
नई दिल्ली। बीजेपी की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक 3 जून से लखनऊ में होगी। 3,4 एवं 5 जून को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होनी वाली इस बैठक में मंहगाई, भ्रष्टाचार सहित केन्द्र सरकार की चौतरफा नाकामी एवं उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार के अत्याचार, अंहकार एवं अराजकता के खिलाफ रणनीति पर चर्चा की जाएगी।

मुआवजा की जंग में पहले जान फिर इज्जत लगी दाव पर

एस एन वर्मा - 2011-05-18 13:41
दिल्ली। पहले मंहगाई और फिर घपलों और घोटालों से जनता का ध्यान हटाने के लिए कांग्रेस व केंद्र सरकार कोेई न केाई प्रपंच रचती रही है।कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का ग्रेटर नोएडा के भट्टा गांव का दौरा और उसके बाद के घटनाक्रम केा इसी नजरिए से देखा जा रहा है। इसके पहले अन्ना हजारे व सिविक सोसायटी के लोगों केा बदनाम करने केे लिए कांग्रेसियांे द्वारा बयानबाजी का दौर चला था। भ्रष्टाचार के कारण देश की गरीब जनता मंहगाई की चक्की में पीस रही है। राहत देने के बजाए पेट्ोल की कीमत बढ़ा दी जाती है। फिर गरीबों व किसानों का मसीहा बनने का ढांेग किया जाता है।

असम विधानसभा का चुनावी नतीजा

गोगोई की छवि को लगे नए पंख
बरुण दास गुप्ता - 2011-05-17 10:48
असम के मतदाताओं ने यह साबित कर दिया कि वे चुनाव शास्त्रियों और सर्वेक्षण करने वालों से ज्यादा स्मार्ट हैं। सर्वेक्षण करने वाले बता रहे थे कि इस बार वहां त्रिशंकु विधानसभा हो सकती है। इस तरह की विधानसभा की आशंका का सामना करने के लिए राज्य की पार्टियों ने नतीजा निकलने के पहले ही गठबंधन सरकार बनाने की कसरत प्रारंभ कर दी थी।

केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चे की हार

कांग्रेस के लिए आने वाले दिन आसान नहीं होंगे
पी श्रीकुमारन - 2011-05-17 10:44
तिरुअनंतपुरमः केरल में इस बार ऐसा चुनाव नतीजा आया, जैसा पहले कभी नहीं आया था। जिसकी सरकार वहां होती थी, उसकी हमेशा हार होती थी। इस बार भी हार हुई है, पर पहले हमेशा हार स्पष्ट होती थी और जीतने वाला मोर्चा आरामदायक बहुमत के साथ जीतता था। पर इस बार मुकाबला बराबरी का रहा और जीतने वाले मोर्चे को मात्र एक विधायक का बहुमत प्राप्त हुआ है।
चुनाव स्पेशल

जयललिता की शानदार जीत

द्रमुक के लिए चुनौतियां बढ़ गई है
अवधेश कुमार - 2011-05-14 09:40
अम्मां फिर शासन में आ गईं हैं। द्रमुक कांग्रेस गठजोड़ का लगभग सफाया हो गया है। इस परिणाम को बिल्कुल स्वाभाविक मानना चाहिए। यदि परिणाम इसके विपरीत आता तो इसे अस्वाभाविक माना जा सकता था। हालांकि द्रमुक एवं कांग्रेस की प्रतिक्रियाओं से साफ है कि वे इस परिणाम की उम्मीद नहीं कर रहे थे।

भट्टा परसौल में राहुल गांधी

मायावती सरकार सांसत में
प्रदीप कपूर - 2011-05-14 09:36
लखनऊः भट्टा परसौल में राहुल गांधी के धरने ने राज्य की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया है। गौरतलब है कि राहुल गांधी ने सुबह सवेरे पुलिस इंतजामों को धता बताते हुए भट्टा परसोल गांव मं प्रवेश किया था।
चुनाव विशेष

कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं मिली

दक्षिण के राज्यों में भ्रष्टाचार के मसले ने असर दिखाया
उपेन्द्र प्रसाद - 2011-05-14 08:27
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम देश की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के लिए बहुत उत्साहजनक नहीं माने जा सकते। पिछले एक साल से इस पार्टी को भ्रष्टाचार के मामले पर विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ रहा था और लोगों के बीच इसकी छवि को लेकर इसके नेता काफी चिंतित थे। छवि की चिंता कितनी है इसका पता इसीसे लगता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दो दिन पहले ही सरकार की छवि पर केन्द्रीय मंत्रियों के एक समूह का गठन कर डाला, जिसमें सिर्फ कांग्रेस के ही मंत्री रखे गए हैं।

चुनाव नतीजों से नेशनल पार्टियों को लगा करंट

एस एन वर्मा - 2011-05-13 14:09
नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे कुछ ज्यादा चौंकाने वाले नहीं हैं। उम्मीद के अनुकूल ही तृणमूल कांग्रेस और अन्नाद्रमुक की अपने अपने राज्यों में धमाकेदार एंट्री हुई है। तरुण गोगई के सामने कमजोर व विखरा विपक्ष को हार का मुंह देखना लाजिमी था। वहीं केरल में कांग्रेस गठजोड़ का सामना मजबूत एलडीएफ से था। जहां कांटे की टक्कर में कुछ ही सीटों से यूडीएफ को बाजी हाथ लगी है।

आंध्र कांग्रेस का बढ़ता संकट

तेलंगना के मसले ने बांट दिया है पार्टी को
कल्याणी शंकर - 2011-05-13 10:47
आंध्र प्रदेश में भारी संकट पैदा होने वाला है। प्रदेश में शांति थी, क्योंकि केन्द्र सरकार ने कह रखा था कि अलग तेलंगना राज्य के मामले को विधानसभाओं के हो रहे चुनावों के बाद देखा जाएगा। अब जब विधानसभाओं के चुनाव हो चुके हैं और उनके परिणाम भी आ चुके हैं, तो फिर तेलगना राज्य की मांग के लिए आवाज तेज होना स्वाभाविक है। इसके लिए अब तेज आंदोलन भी होंगे और इस आंदोलन का सामना करने के लिए प्रदेश कांग्रेस कतई तैयार नहीं ह। इसका कारण यह है कि प्रदेश कांग्रेस खुद अलग राज्य के मसले पर विभाजित है।