सर्वखाप महापंचायतें या लकीर के फकीर
2010-04-20 07:22 -महाभारत का एक नया अध्याय कुरूक्षेत्र की भूमि पर रचने की शुरूआत सर्वखाप पंचायत से हो चुकी है। जाति आधरित 36 खाप पंचायतों की 13 अप्रैल 2010 के दिन हुई बैठक में मांजे गए तेवर व मिजाज ने सामंती ही नहीं और पीछे जाएं तो कबीलाई मानसिकता के सिर उठाने का पूरा खुला मंजर दिखाया है। आदमी का मालिक बनने की आदमी की आदिम तमन्ना फुंकार मारती सी लगी। जाति-धर्म की दीवारें अभी ढहनी भी नहीं शुरू हुई कि गोत्र आधारित दीवारों को अलंघ्य बनाने के सरअंजाम जुटा दिए गए हैं। इतना कि आदमी की हत्या भी सरेआम मात्र सगोत्रीय विवाह पर जायज करार दिया जाए। फिर तो समतामूलक सभ्य समाज की कल्पना भी मुश्किल है।