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सर्वखाप महापंचायतें या लकीर के फकीर

कुमार अमिताभ - 2010-04-20 07:22
महाभारत का एक नया अध्याय कुरूक्षेत्र की भूमि पर रचने की शुरूआत सर्वखाप पंचायत से हो चुकी है। जाति आधरित 36 खाप पंचायतों की 13 अप्रैल 2010 के दिन हुई बैठक में मांजे गए तेवर व मिजाज ने सामंती ही नहीं और पीछे जाएं तो कबीलाई मानसिकता के सिर उठाने का पूरा खुला मंजर दिखाया है। आदमी का मालिक बनने की आदमी की आदिम तमन्ना फुंकार मारती सी लगी। जाति-धर्म की दीवारें अभी ढहनी भी नहीं शुरू हुई कि गोत्र आधारित दीवारों को अलंघ्य बनाने के सरअंजाम जुटा दिए गए हैं। इतना कि आदमी की हत्या भी सरेआम मात्र सगोत्रीय विवाह पर जायज करार दिया जाए। फिर तो समतामूलक सभ्य समाज की कल्पना भी मुश्किल है।

थरूर के बाद अब ललित मोदी की बारी

आइपीएल से जुड़े हैं कुछ और मंत्रियों के भी तार
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-04-19 08:40
नई दिल्लीः शशि थरूर की मनमोहन सरकार से बिदाई के बाद अब ललित मोदी के खिलाफ आयकर विभाग का अभियान तेज हो जाएगा। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार श्री मोदी पर आयकर विभाग की नजर बहुत पहले से है और थरूर प्रकरण के पहले ही आयकर विभाग ने उनके खिलाफ काफी सामग्री हासिल कर रखी है।

मोबाइल फोनों के जरिए बुनियादी वित्तीय सेवाएं : सरकार द्वारा स्वीकृत

विशेष संवाददाता - 2010-04-17 08:44
गरीबों का सशक्तीकरण सरकार का प्रमुख विकास कार्यक्रम है। सशक्तीकरण का एक वास्तविक तरीका है-- गरीबों को इतना सक्षम बनाना कि वे अपने बैंक खाते के जरिए लेन-देन कर सकें। विभिन्न सरकारी कल्याण कार्यक्रमों का मुख्य ध्येय है कि गरीबों को नकद धन की प्राप्ति हो सके। हाल में, लाखों गरीब लोगों के हाथों में मोबाइल सेटों को पहुंचाकर शहरी और ग्रामीण सभी क्षेत्रों के गरीब लोगों के सशक्तीकरण की दिशा में एक अभूतपूर्व कदम उठाया गया है।

उल्फा से बातचीत की पृष्ठभूमि हो रही है तैयार

संप्रभुता शब्द पर संशय
बरुण दास गुप्ता - 2010-04-17 08:33
कोलकाताः पूर्वात्तर के असम की उल्फा समस्या के हल के लिए बातचीत की पृष्ठीाूमि तैयार हो रही है। बातचीत को संभव बनाने में प्रदीप गोगोय और मथिंगा दायमारी की टाडा अदालत द्वारा दी गई जमानत काम आ रही है। इससे वातावरण बेहतर बना है।

सहाफत के एस एन वर्मा मातृश्री अवार्ड के लिए चयनित

गुलाब सिंह भाटी - 2010-04-17 03:14
नई दिल्ली। मातृ श्री मीडिया अवार्ड कमेटी ने 34वें मातृ श्री पुरस्कारों की घोषणा कर दी है।कला के क्षेत्र में अमिताभ,अभिषेक बच्चन अभिनीत फिल्म पा को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म घोषित किया गया है।मीडिया पुरस्कारों के लिए सहाफत उर्दू दैनिक ग्रुप के एस एन वर्मा समेत कई और पत्रकारों के नाम चयनित किए गए हैं। ये पुरस्कार 25 अप्रैल को रशियन कल्चरल सेंटर के सिनेमा सभागार में दिए जाएंगे।

एक बार फिर तीसरा मोर्चा

कांग्रेस के लिए मुश्किलों भरा समय
कल्याणी शंकर - 2010-04-16 08:42
बजट सत्र विराम के बाद फिर शुरू हो गया है। विराम के पहले वाले दौर में विपक्ष महगाई के मसले पर केन्दग सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा था। तब महिला आरक्षण विधेयक को आगे करके केन्द्र सरकार ने विपक्ष की एकता में संेध लगा दी। महिला आरक्षण विधेयक राज्य सभा से पारित हो चुका है और लोकसभा से पारित होना अभी बाकी है। विपक्षी एकता तोड़ने के लिए इस सत्र में अब इसका इस्तेमाल नहीं हो पाएगाण् क्योंकि खुद यूपीए इस पर अब विभाजित दिखाई दे रही है। इस सत्र में शायद इसे लोकसभा में विचार के लिए लाया ही नहीं जाय।

शशि थरूर का आइपीएल प्रकरण

मनमोहन सिंह कब करेंगे कार्रवाई?
उपेन्द्र प्रसाद - 2010-04-16 08:39
नई दिल्लीः मनमोहन सिंह की सरकार में शशि थरूर नाम के एक ऐसे मंत्री भी हैं, जो हमेशा विवादों में घिरे रहते है। उन्हें विवादों में कोई और नहीं घसीटता, बल्कि वे खुद विवाद पैदा करते हैं। आमतौर पर राजननीतिज्ञ अपने असुविधाजनक सार्वजनिक बयानों का ठीकरा पत्रकारो पर फोड़ता है और कहता है पत्रकारों ने उसकी बात को तोड़ मरोड़ कर जारी किया अथवा संदर्भ बदलकर उसकी बातों को रखा।

बजट एवं समग्र विकास

आर के सुधामन - 2010-04-16 03:14
उच्च विकास दर नि:संदेह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात है लेकिन भारत जैसे देश में जहां, जनसंख्या का एक बहुत बड़ा हिस्सा गरीब है और गांवों में रहता है, विकास दर तबतक बेमतलब है जब तक उसकी पहुंच ग्रामीण गरीबों तक न हो ।
महिला आरक्षण पर विचार

तीन प्रतिशत तन ढंकी लपेट लेंगी तैंतीस फीसदी के लाभ

रह जाएगी ताकती फटी धोती में तैंतीस भाग तन को लपेटी
डा अतुल कुमार - 2010-04-16 03:14
महिला का दोयम दर्जे का स्वरूप कवियत्री सम्मेलन सही कह कर चित्रित करता है - वह अपने और पराये इन दो-दो यम भी फांस लिए तिलतल को हर पल मरती है। यह हालात हर कहीं हैं। कई राजा राम मोहन राय को जन्म लेने होगें तब कहीं महिला को ताड़न के अधिकार से ऊपर माना जाऐगा। रह जाएगी ताकती फटी धोती में तैंतीस भाग तन को लपेटी!

शिक्षा का अधिकार अब एक मौलिक अधिकार

अशोक हांडू - 2010-04-15 03:14
भारत माता के महान सपूतों में से एक, गोपाल कृष्ण गोखले यदि आज जिंदा होते तो देश के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार के अपने सपने को साकार होते देखकर सबसे अधिक प्रसन्न होते । गोखले वही व्यक्ति थे, जिन्होंने आज से एक सौ वर्ष पहले ही इम्पीरियल लेजिस्लेटिव एसेम्बली से यह मांग की थी कि भारतीय बच्चों को ऐसा अधिकार प्रदान किया जाए । इस लक्ष्य तक पहुंचने में हमें एक सदी का समय लगा है ।