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अनुमानात्मक आलेचना प्रणाली

अनुमानात्मक आलोचना प्रणाली आलोचना की वह प्रणाली है जिसमें किसी भी कृति का अध्ययन कर उसी आलोच्य वस्तु से आलोचना का मापदंड निर्धारित करते हुए अपनी व्यवस्था देता है।

ऐसा आलोचक किसी बाहर के पूर्वनिर्धारित मापदंड के आधार पर उस कृति का मूल्यांकन नहीं करता। वह कृति के उद्देश्य को ही समझने का प्रयास करता है और देखता है कि कृतिकार को अपने उद्देश्य को हासिल करने में कितनी सफलता मिली।

इस आलोचना प्रणाली का जन्म पूर्व प्रचलित उस आलोचना प्रणाली के विरोध के स्वरुप हुआ जिसमें पूर्वनिर्धारित मानदंडों को आधार मानकर कृतियों की आलोचना की जाती थी। उसी के कारण शेक्सपियर जैसे साहित्यकार को पागल करार दिया गया, उनके पात्रों को अस्वाभाविक तथा उपहास्पद बताया गया एवं उनकी भाषा एवं शब्द योजना को तुच्छ एवं हेय माना गया था। इस क्रम में इस बात को भुला दिया गया कि कला और साहित्य जीवन की तरह ही सतत् गतिशील है।

आलोचना के उद्देश्य पर ही चर्चा की गयी और कहा गया कि कृति का वैज्ञानिक अध्ययन, विश्लेषण, वर्गीकरण एवं व्यवस्थापन ही मूल उद्देश्य होना चाहिए।

निकटवर्ती पृष्ठ
अनुशयाना, अनुष्टुप्, अनुसंधानात्मक आलोचना, अनूढा, अन्तःकरण

Page last modified on Friday May 23, 2025 14:28:24 GMT-0000