Loading...
 
Skip to main content
(Cached)

अशोकी प्राकृत

भारतीय राजा प्रियदर्शी अशोक (297 ई.पू.) ने अपने शासनकाल में शिलाओं, स्तम्भों, गुफाओं आदि में जिस भाषा में अपने आदेश या अन्य संदेश लिखवाये थे उस भाषा को अशोकी प्राकृत का नाम दिया गया है।

यद्यपि यह प्राकृत भाषा, जो उस समय पाटलिपुत्र के मगध क्षेत्र में प्रचलित थी, जिसे मागधी भी कहा जाता है, से मेल खाती है, अशोक ने सम्भवतः क्षेत्र विशेष में जहां आदेश या संदेश लिखवाये गये वहां की भाषा के अंश भी डलवाये ताकि उसे लोग आसानी से समझ सकें। ऐसा करने के कारण उनकी प्राकृत भाषा में मूल प्राकृत या मागधी से थोड़ा अन्तर आ गया।

यही कारण है कि विद्वानों ने इसका नाम ही अशोकी प्राकृत रख दिया।

आसपास के पृष्ठ
अश्लीलता, अष्टयाम, अष्टसखा, असमिया, असूया, अस्तित्ववाद


Page last modified on Monday June 26, 2023 06:21:53 GMT-0000