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कविता

कवि द्वारा रचित पदों को कविता कहते हैं। कविता मुख्य रूप से पदों के कलापक्ष और रूपात्मक सौन्दर्य का ही द्योतक होती है।

अनेक लोग कविता शब्द का उपयोग काव्य और पद्य के अर्थ में भी करते हैं। परन्तु वे अपने अर्थों में भिन्न होते है।

गद्य में जो कहा जाता है उसे जब छन्दों, लयों या नाद आदि में पिरोकर कहा जाता है तो वह पद्य हो जाता है, भाव के स्तर पर पद्य की ऊंची अवस्था कविता हो जाती है, और यह कविता और ऊंची अवस्था को पाकर काव्य का रूप ग्रहण कर लेती है जिसमें रचना का भावपक्ष और उसका अन्तःसौन्दर्य अत्यन्त उन्नत अवस्था में पहुंच जाता है।

वैसे प्रारम्भ में (अधुनिक काल से ठीक पहले तक) कवि-कर्म को ही कविता कहा जाता था और रचनाओं को कवित्त। परन्तु आजकल आकार में छोटी गीति, प्रगीति या मुक्तक आदि रचनाओं को सामान्यतः कविता कहा जाता है।


Page last modified on Sunday August 17, 2014 16:21:56 GMT-0000