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कुंडलिया

पद्य में कुंडलिया एक मात्रिक विषम छन्द है। यह संयुक्त छन्द छह पंक्तियों का होता है।

इसमें पहली दो पंक्तियां दोहे होते हैं परन्तु दोहे के चार पाद दो ही गिने जाते हैं। शेष चार पंक्तियां रोला के होते हैं।

इसके प्रत्येक पाद में 24-24 मात्राएं होती हैं। दोहे के चौथे पाद को रोला के प्रथम पाद में दोहराया जाता है। दोहे का प्रथम पाद जिस शब्द से प्रारम्भ होता है वही शब्द रोला के चतुर्थ पाद के अन्त में दोहराया जाता है।

इसमें यति दोहा और रोला के अनुसार ही रखी जाती है।

हिन्दी में गिरधर की कुंडलियां विख्यात हैं।

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कुतुब मीनार, कुतुबमीनार, कुन्नूर, कुम्भनदास, कुल

Page last modified on Monday May 26, 2025 02:50:40 GMT-0000