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चिंता


चिंता एक मनोदशा है। इसकी उत्पत्ति आकांक्षा की प्राप्ति के बाधित होने या बाधित होने की संभावना के कारण होती है। यह प्रायः एक संचारी भाव के रूप में भी उत्पन्न होती है, परन्तु अनेक बार इसकी उत्पत्ति स्वतंत्र रूप से भी होती है।

चिंता के दो स्वरूप हैं। एक में वह लोगों को निष्क्रिय, अशक्त, पंगु और निरीह बना देती है तथा दूसरे में सक्रिय तथा प्रयत्नशील। दोनों में आशा, निराशा तथा व्याकुलता की स्थितियां उत्पन्न होती हैं।

नाट्यशास्त्र में यह एक संचारी भाव है। इसके विभाव हैं - धनहानि, प्रिय वस्तु का अपहरण, निर्धनता आदि, तथा अनुभाव हैं उच्छ्वास, चिंतन, मनन, नतमुख, दुर्बलता आदि।

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Page last modified on Monday June 26, 2023 16:32:04 GMT-0000