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जीवनवृत्तान्तीय आलोचना

जीवनवृत्तान्तीय आलोचना वह आलोचना प्रणाली है जिसमें कृतिकार तथा उसकी कृति में अनिवार्य सम्बंध माना जाता है। इसके अनुसार कृति अपने कृतिकार के जीवन तथा उसकी जीवनदृष्टि को पूर्णतः अभिव्यक्त करती है। इसलिए जीवनवृत्तान्तीय आलोचना में मूल्यांकन कृतिकार के जीवन, उसके परिवेश, आदि के आधार पर किया जाता है।

निकटवर्ती पृष्ठ
जीवनी, जीवात्मा, जुगुप्सा, जुलाहा, जैन चरित-साहित्य

Page last modified on Monday May 26, 2025 13:48:09 GMT-0000