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राष्ट्रीय संपत्ति के खिलाफ निजी संपत्ति का निर्माण

जोड़ तोड़ करने वाली मोदी सरकार के पास है चाबी
नंतू बनर्जी - 2021-08-26 10:23
हाल ही में एक कार्यक्रम में तेजतर्रार केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल द्वारा देश के हितों की अनदेखी करने वाले भारतीय उद्योग के ’स्वार्थी पैसा बनाने’ के दृष्टिकोण पर अत्यधिक आक्रामक टिप्पणियों ने उद्योग जगत के कई नेताओं को परेशान किया होगा, लेकिन वे काफी हद तक सच हैं। आजादी के बाद, अधिकांश भारतीय पूंजीपतियों ने देश और विदेश में अपने निजी साम्राज्य का निर्माण करने के लिए लगातार धन का पीछा किया है।

पेगासस में राष्ट्रीय सुरक्षा की आखिर क्या बात है?

मतलब साफ है कि सरकार कुछ छिपाना चाह रही है
अनिल जैन - 2021-08-25 09:56
पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के मामले में केंद्र सरकार यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि उसने जासूसी कराई है या नहीं। वह यह भी नहीं बताना चाहती है उसने इजराइल की एजेंसी एनएसओ से पेगासस स्पाईवेयर खरीदा है या नहीं। उसने इन दोनों सवालों का संसद में भी कोई जवाब नहीं दिया है और अब सुप्रीम कोर्ट में भी वह राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ लेकर इस सवाल से बचने की कोशिश करती दिख रही है।

उत्तर प्रदेश में सत्ता बचाने के लिए भाजपा कमंडल और मंडल की भूमिका निभा रही है

अन्य पिछड़ी जातियों को शांत करने के उद्देश्य से मंत्रिमंडल में बदलाव
प्रदीप कपूर - 2021-08-24 12:30
लखनऊः उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता बरकरार रखने के लिए बीजेपी आक्रामक कमंडल और मंडल कार्ड खेल रही है। कमंडल कार्ड जारी रखते हुए बीजेपी नेतृत्व अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर ध्यान दे रहा है। अधिकारियों और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ वर्चुअल बैठक के जरिए पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद अयोध्या में हो रहे विकास कार्यों की समीक्षा की।

सोनिया गांधी की विपक्ष की एकता बैठक

भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चे की अच्छी शुरुआत
नित्य चक्रवर्ती - 2021-08-23 12:57
20 अगस्त को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा आयोजित 19 विपक्षी दलों की बैठक 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को टक्कर देने के लिए विपक्ष का एक संयुक्त मोर्चा बनाने के लिए एक अच्छी शुरुआत है। इसमें संदेश दिया गया कि भाजपा विरोधी ताकतों की व्यापक एकता से ही, 32 महीने बाद आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को चुनौती दी जा सकती है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब क्या करेंगे राज्यपाल कोश्यारी?

विधान परिषद में 12 सदस्यों के मनोनयन का मामला
अनिल जैन - 2021-08-21 10:29
राज्यपालों की मनमानी या केंद्र सरकार के इशारों पर उनके काम करने की कहानी वैसे तो बहुत पुरानी है, मगर केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद यह सिलसिला तेज हो गया है। गैर भाजपा शासित राज्यों के राज्यपालों में तो मानों होड लगी हुई है कि कौन कितना ज्यादा राज्य सरकार को परेशान कर सकता है या उसके काम में अडंगे लगा सकता है। फिलहाल इस मामले में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सबसे आगे हैं। वे जब से राज्यपाल बने हैं तब से ही राज्यपाल की तरह नहीं, बल्कि नेता प्रतिपक्ष की तरह काम कर रहे हैं। उनकी मनमानी और निर्लज्जता का आलम यह है कि न्यायपालिका को उन्हें उनके संवैधानिक कर्तव्यों की याद दिलाना पड़ रही है।

साम्प्रदायिक हिंसा की रोकथाम सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है

गड़बड़ी के दौरान डॉक्टरों को परेशानी का सामना करना पड़ा
डॉ अरुण मित्रा - 2021-08-20 09:36
अत्यधिक सांप्रदायिक नारे लगाने और और यह भी कि हिंदुत्व के गुंडों की भीड़ द्वारा उन्हें भारत से बाहर निकाल दिया जाए, पुलिस मूकदर्शक के रूप में देख रही है, यह कोई नई बात नहीं है। हालांकि अंतर यह है कि यह घटना संसद से सटे जंतर मंतर पर हुई है. आज तक न तो प्रधानमंत्री ने और न ही गृह मंत्री ने इसकी निंदा करने के लिए एक शब्द भी नहीं कहा। यहां तक कि अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में भी प्रधानमंत्री ने इस पर ध्यान नहीं दिया। उनकी चुप्पी हैरान करने वाली है. सरकार के गुप्त समर्थन से उत्साहित होकर तीन दिन बाद ही कानपुर में इसी तरह की घटना घटी। इस मामले में आरोपी को थाने में ही जमानत मिल गई।

पेगासस घोटाले की जांच रोकने की मोदी की आखिरी कोशिश

आरएसएस के विचारक गोविंदाचार्य की याचिका ने दिया नया आयाम
अरुण श्रीवास्तव - 2021-08-18 10:27
अगले दस दिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मोदी सरकार को स्पष्ट शब्दों में यह कहते हुए नोटिस दिया कि वह पेगासस स्नूपिंग मामले की सुनवाई करेगी जिसमें याचिकाकर्ताओं ने मांग की है। आरोपों की एक स्वतंत्र जांच कि सरकार ने नागरिकों पर जासूसी करने के लिए इजरायल स्थित पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया।

नया बिजली बिल खराब समय पर और गलत तरीके से मोदी सरकार द्वारा तैयार किया गया है

खुदरा वितरण से पहले निजी क्षेत्र उत्पादन पर ध्यान देने दे
नंतू बनर्जी - 2021-08-17 11:00
बिजली (संशोधन) विधेयक, 2021 की तैयारी के पीछे जो भी हो, पहल करने वालों ने एक साधारण तर्क को नजरअंदाज कर दिया है कि भारत को अपनी वितरण नीति को फिर से तैयार करने से पहले अपने लोगों के लिए पर्याप्त बिजली पैदा करने का प्रयास करना चाहिए। उपभोक्ताओं को बिजली की लागत का पहलू भी किसी भी नई बिजली नीति को तैयार करने में सांसदों का मार्गदर्शन करना चाहिए। जबकि बिल पहली बात को पहचानने में विफल है। उत्पादन क्षमता में तेजी से वृद्धि की आवश्यकता है, जबकि यह निजी भागीदारी के माध्यम से चयनात्मक वितरण से अधिक संबंधित है।

चुनाव से पहले किसानों के आंदोलन की राजनीति क्या हो

इस पर राय बंटी हुई है
के रवींद्रन - 2021-08-16 10:20
राजनीति को प्रभावित करने वाले किसान आंदोलन की अनिवार्यता और किसानों के मुद्दे के प्रति राजनीतिक दलों का दृष्टिकोण आंदोलन के भविष्य के कोर्स को निर्धारित करने के लिए दिन-ब-दिन स्पष्ट होता जा रहा है क्योंकि पंजाब और उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव आ रहे हैं। यह कोई रहस्य नहीं है कि आंदोलन के नेतृत्व के एक वर्ग की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं, हालांकि इस तरह के बदलाव पर राय विभाजित हैं।

जाति जनगणना से कौन डरता है?

आरक्षण की सम्यक समीक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-08-14 11:08
जाति जनगणना की मांग जोरों पर है और उतना ही जोर लगाकर मोदी सरकार इसका विरोध कर रही है। मजे की बात यह है कि 2018 के अंतिम महीनों में मोदी सरकार ने ओबीसी जनगणना कराने का फैसला किया था और कैबिनेट के इस फैसले से देश को वरिष्ठ मंत्री राजनाथ सिंह ने अवगत कराया था। लेकिन 2019 का चुनाव जीतने के साथ ही मोदी सरकार का मूड बदल गया और उसने अपना निर्णय बदल लिया। लेकिन सरकार के निर्णय बदलने से मांग कमजोर नहीं हुई है, बल्कि और भी बढ़ गई है। यह मांग सिर्फ विपक्षी पार्टियां ही नहीं कर रही हैं, बल्कि सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दल भी कर रहे हैं। घटक दल की तो बात ही छोड़िए खुद कुछ सरकारी प्रतिष्ठान जाति जनगणना कराए जाने की मांग कर रहे हैं, क्यांकि उन प्रतिष्ठानों के काम जाति के आंकड़े जुटाए बिना हो ही नहीं सकता। बहुत बार सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयें भी जाति आंकड़ों के आधार लिए बिना ही सरकारी कार्यक्रम और नीतियां बनाए जाने पर अपना गुस्सा व्यक्त कर चुके हैं।