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चुनाव आयोग क्या सरकार का ‘आज्ञाकारी सेवक’ है?

केरल की राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव का मामला
अनिल जैन - 2021-04-19 10:28
पिछले छह-सात सालों के दौरान केंद्र सरकार की करतूतों से वैसे तो देश की सभी संवैधानिक संस्थाओं की साख और विश्वसनीयता पर बट्टा लगा है, लेकिन चुनाव आयोग की साख तो पूरी तरह ही चौपट हो गई है। हैरानी की बात यह है कि अपने कामकाज और फैसलों पर लगातार उठते सवालों के बावजूद चुनाव आयोग ऐसा कुछ करता नहीं दिखता, जिससे लगे कि वह अपनी मटियामेट हो चुकी साख को लेकर जरा भी चिंतित है। उसकी निष्पक्षता का पलडा हमेशा सरकार और सत्तारूढ दल के पक्ष में झुका देखते हुए अब तो कई लोग उसे चुनाव मंत्रालय और केंचुआ तक तक कहने लगे हैं।

अखिलेश यादव अब आक्रामक दलित कार्ड खेल रहे हैं

बसपा के पतन के बाद वह दलितों को अपने साथ लाने की जबर्दस्त कोशिशें कर रहे हैं
प्रदीप कपूर - 2021-04-17 10:50
लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूरे राज्य में 130 वीं आंबेडकर जयंती मनाकर दलितों को अपने खेमे में लाने के लिए आक्रामक दलित कार्ड खेला है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देशों के बाद, समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अंबेडकर की प्रतिमा के पास दीया जलाकर राज्य भर में अंबेडकर जयंती मनाई। हजारों समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने राज्य में दलित बस्तियों का दौरा किया और दलितों के साथ बातचीत की और उन्हें दीया और मोमबत्तियाँ दीं।

कोराना के बढ़ते प्रकोप के बीच पश्चिम बंगाल का चुनाव

भाजपा का चुनावी आकलन गड़बड़ाता जा रहा है
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-04-16 10:55
पश्चिम बंगाल के चुनावों को आठ चक्रों में कराने को भारतीय जनता पार्टी का फैसला उसके खिलाफ ही जा रहा है। यह सच है कि मतदान आठ चक्र में करवाने का फैसला औपचारिक रूप से भारत के निर्वाचन आयोग का है, लेकिन किसी को इसमें संदेह नहीं कि यह फैसला आयोग ने भाजपा की इच्छानुसार ही लिया था। इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी का आकलन यह था कि लंबे समय तक चुनाव प्रचार के कारण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अधिक से अधिक सभाओं में भाषण करने का मौका मिलेगा और अपने भाषणों से लोगों को मोहित कर वे भारतीय जनता पार्टी की जीत का मार्ग प्रशस्त करेंगे।

पश्चिम बंगाल के 2021 का चुनाव 1987 के चुनाव से मिलता जुलता है

तब राजीव गांधी ने एक बड़ी चूक कर दी थी, इस बार मोदी-शाह ने बड़ी चूक कर दी है
नित्य चक्रवर्ती - 2021-04-15 11:43
पश्चिम बंगाल में मौजूदा विधानसभा चुनाव प्रचार और 1987 के चुनाव प्रचार कुछ समानताएं दिख रही है। 1987 के विधानसभा चुनावों में की तरह इस बार भी प्रधानमंत्री चुनाव प्रचार में सक्रियता दिखा रहे हैं। लेकिन अभिनेता अलग हैं। 1987 में, कांग्रेस के प्रधान मंत्री के रूप में राजीव गांधी ने चुनाव को एक व्यक्तिगत चुनौती के रूप में लिया था। तब मुख्यमंत्री ज्योति बसु की वाम मोर्चा सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, जबकि मौजूदा विधानसभा चुनावों में, वाम मोर्चा की छोटी भूमिका है।

त्रिपुरा में लेफ्ट को नया नेतृत्च ही उसे फिर जिंदा कर सकता है

सीपीएम नेतृत्व ने आदिवासियों की आकांक्षा को लंबे समय से नजरअंदाज किया है
सागरनील सिन्हा - 2021-04-14 11:00
इस समय देश में वामपंथी राजनीति अस्तित्व संकट के दौर से गुजर रहा है। वामपंथ का नेतृत्व विकास के बारे में और बात करने की कोशिश करता है, युवाओं को रोजगार प्रदान करता है और गरीबों की सामाजिक स्थितियों में सुधार करता है। हालांकि, जब वोट की बात आती है, तो वामपंथी वोट पाने में विफल होते हैं। त्रिपुरा ट्राइबल एरिया ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल के चुनाव में सीपीएम के नेतृत्व में वाम मोर्चा अपना खाता खोलने में भी विफल रहा। इससे एक बार फिर प्रमाणित होता है कि वामपंथ गंभीर संकट में है।

चालू वित्त वर्ष की विकास दर का अनुमान लगाना कठिन

कोरोना की नई लहर अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती
नंतू बनर्जी - 2021-04-13 12:25
पिछले दो सप्ताह में देश भर में कोविद के मामलों में अचानक उछाल से भारत के चालू वित्त वर्ष में आर्थिक सुधार की संभावना को खतरा है। पिछले महीने ही, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और रिजर्व बैंक सहित कई राष्ट्रीय और वैश्विक संस्थानों ने भारत की अर्थव्यवस्था में 10-12.5 प्रतिशत की संभावित वृद्धि का अनुमान लगाया था। दुर्भाग्य से, कोरोनवायरस की नई लहर इन आशाजनक अनुमानों को संदिग्ध बना दिया है। क्या अर्थव्यवस्था को फिर से लॉकडाउन, आंचलिक मुद्दों, औद्योगिक बंदी, यात्रा प्रतिबंधों और वाणिज्यिक व्यवधानों का खामियाजा भुगतना पड़ेगा जैसा कि पिछले साल हुआ था?

परीक्षण करो और सीखो की मोदी की नीति देश का नाश कर रही है

नोटबंदी, लॉकडाउन और कोविड की रणनीति देश के लिए महंगे साबित हुए हैं
के रवीन्द्रन - 2021-04-12 11:27
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की है कि दूसरा लॉकडाउन कोविद संक्रमण की दूसरी लहर का कोई समाधान नहीं है, जिसके और भी तेज गति के साथ फैलने का खतरा है, क्योंकि अर्थव्यवस्था इस तरह की घटना को संभाल नहीं सकती। फिलहाल जो हो रहा है, उसे हम देख ही रहे हैं।

बिहार में फिर नरसंहार का दौर होगा शुरू?

मधुबनी के गांव की घटना यह सवाल उठ खड़ा कर रही है
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-04-10 09:34
मधुबनी जिले के बेनीपट्टी थाने का एक गांव नरसंहार का गवाह बना। पांच लोगों को वहां एक साथ मार डाला गया। छठा व्यक्ति भी निशाना था, जो अभी जीवन और मौत से अस्पताल में जूझ रहा है। मारे जाने वाले सभी एक ही राजपूत जाति के हैं। मरने वालों में तीन तो एक ही परिवार का है और वह एक ही पिता की तीन संतान थे। वैसे बिहार में हिंसा, हत्या और अपहरण तो आम बात है। कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता होगा, जब प्रदेश में किसी की हत्या नहीं की जाती होगी। समाज बहुत हिंसक है और हिंसा होती ही रहती है। लेकिन बेनीपट्टी में जो घटना घटी वह न तो सामान्य किस्म की हिंसा थी और न सामान्य किस्म की हत्याएं, वैसे सभी प्रकार की हत्या समान रूप से निंदनीय है।

मुख्यमंत्री चौहान इस समय दो चुनौतियों का सामना कर रहे हैं

दामोह उपचुनाव जीतना और कोरोना संकट से निपटना जरूरी है
एल एस हरदेनिया - 2021-04-08 11:17
भोपालः मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहे हैं। मोर्चों में कोविद -19 के प्रसार को नियंत्रित करना, राज्य में एक प्रतिष्ठित उपचुनाव लड़ना और भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए विभिन्न राज्यों का दौरा करना शामिल है।

कोरोना का महाविस्फोटः सरकार अपनी गलतियों से सीख नहीं ले रही

उपेन्द्र प्रसाद - 2021-04-07 11:04
भारत में कोरोना का महाविस्फोट हो चुका है। दुनिया में यह प्रतिदिन सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित होने वाले देशों की सूची में यह पहले स्थान पर पहुंच चुका है। इन वाक्यों के लिखते समय भारत में प्रतिदिन कोरोना संक्रमण की रफ्तार एक लाख पन्द्रह हजार से भी ज्यादा थी। इसे इस महामारी की दूसरी लहर भी कहा जा रहा है। पहली लहर में प्रतिदिन संक्रमण की रफ्तार 97 हजार थी। जाहिर है, यह दूसरी लहर पहली लहर से बड़ी है और लहर के फैलाव की गति भी बढ़ रही है। यदि अगले एक सप्ताह तक यह गति बनी रही, तो प्रतिदिन संक्रमण की संख्या दो लाख से भी ऊपर पहुंच जाएगी।