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मध्यप्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनावों की सरगर्मी शुरू

भाजपा की प्रदेश कमिटी के गठन में शिवराज सिंह चौहान और सिंधिया में ठनी
एल एस हरदेनिया - 2020-12-14 10:05 UTC
भोपालः 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों के नतीजों के ऐलान के एक महीने बाद ही राज्य फिर से चुनावी मोड में जाने लगा है। इस बार स्थानीय निकायों विशेषकर नगर निगमों के चुनाव की बारी है। मेयर के पदों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया शुरू होते ही इन पदो ंके लिए लॉबिंग भी शुरू हो गई है।

किसानों और मजदूरों का संयुक्त संघर्ष ही सरकार पर असर डाल सकता है

क्षेत्रीय दलों का सहयोग सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
प्रकाश कारत - 2020-12-12 11:07 UTC
8 दिसंबर को किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद की बड़ी सफलता किसानों के समर्थन के लिए लोगों के समर्थन और सहानुभूति का प्रदर्शन था।

सरकार स्वामीनाथन समिति की सिफारिशें लागू करे

न्यूनतम समर्थन मूल्य को विस्तारित किया जाये
नंतू बनर्जी - 2020-12-11 08:59 UTC
लगता है सरकार ने किसानों का भरोसा खो दिया है। कृषि उपज की ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ प्रणाली के तहत कृषि उत्पादों की सूची का विस्तार करने के अपने वादे को निभाने के बजाय, नए कृषि कानूनों ने उस प्रथा को खत्म करने की समस्या पैदा कर दी है। उसके कारण ही आज चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक भारत है। 2018 के कर्नाटक विधान सभा चुनाव से पहले, प्रधान मंत्री ने मूल्य समर्थन के लिए तीन और कृषि उत्पादों को टॉप कहकर उस सूची में सूचीबद्ध किया। टीओपी से उनका तात्पर्य टमाटर, प्याज और आलू से है, जो साल-दर-साल उनके उत्पादकों द्वारा कम कीमत पर बेच दिए जाते हैं, जबकि उनके बाजार की कीमतें ऑफ सीजन में कई हजार फीसदी ज्यादा हो जाती है और व्यापारियों द्वारा भारी मुनाफाखोरी होती है।

पश्चिम बंगाल में भाजपा डिजिटल अभियान की शरण में

अमितशाह को अमित मालवीय से चमत्कार की उम्मीद
सागरनील सिन्हा - 2020-12-10 09:31 UTC
पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पूरा यकीन था कि उनकी पार्टी को ज्यादातर सीटें मिलेंगी। उस उम्मीद के आधार पर वह सपना देख रही थी कि राष्ट्रीय राजनीति में वह एक प्रमुख भूमिका निभाएगीं। हालाँकि, ऐसा नहीं हुआ। उनकी पार्टी पहले से मौजूद 12 सीटें भी हार गई और 42 में से केवल 22 सीटें मिलीं। मुख्य लाभार्थी भाजपा थी - जिसने अपनी सीट का हिस्सा 2 से बढ़ाकर 18 कर दिया था।

बांग्लादेश तेज गति से विकास कर रहा है

2024 तक यह मध्य आय समूह के देशों में शुमार हो जाएगा
आशीष विश्वास - 2020-12-09 09:56 UTC
बांग्लादेश सीख रहा है कि आर्थिक प्रगति हासिल करना भी मूल्य टैग के साथ आता है। 2024 तक मध्यम आय वर्ग देश का रुतबा पा लेगा और इसका ‘विकासशील’ टैग समाप्त हो जाएगा। लेकिन इसके साथ ही इसका मार्जिन शून्य शुल्क और अन्य रियायतें हैं जो वर्तमान में इसके निर्यात पर उन्नत देशों से प्राप्त होती हैं, समाप्त हो जाएंगी। बांग्लादेश मीडिया के अनुमानों के अनुसार, देश की रेडीमेड गारमेंट्स यूरोपीय संघ (ईयू) को भारी पैमाने पर निर्यात करता है, लेकिन मध्य आय वर्ग देश बनने के बाद वर्तमान व्यापार व्यवस्था में वह अपना मौजूदा लाभ खो देगा, जो विकासशील होने के कारण उसे मिलता है। इसके कारण यूरोपीय यूनियन से होने वाली उसकी निर्यात आय सालाना 3.8 बिलियन डॉलर से भी अधिक घट सकती है।

भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यसमूह की सिफारिश खतरनाक

व्यापारिक घरानों को बैंको का मालिक बनाना तबाही मचाएगा
के रवीन्द्रन - 2020-12-08 10:27 UTC
प्रमुख औद्योगिक और व्यावसायिक घरानों को अपने अपने बैंक बनाने की अनुमति देने वाली आरबीआई आंतरिक कार्य समूह की सिफारिश पर व्यापक नाराजगी ने गवर्नर शक्तिकांत दास को यह स्पष्ट करने के लिए बाध्य किया है कि यह शीर्ष बैंक के विचारों के अनुरूप नहीं है। उन्होंने वादा किया है कि पैनल की सिफारिशों पर निर्णय गहन अध्ययन के बाद और विशेष रूप से व्यावसायिक घरानों द्वारा बैंक के स्वामित्व के मुद्दे पर सार्वजनिक राय पर विचार करने के बाद लिया जाएगा।

‘एक देश-एक चुनाव’ का शिगूफा और कुछ व्यावहारिक सवाल

जरूरत चुनाव प्रक्रिया को साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाने की है
अनिल जैन - 2020-12-07 08:51 UTC
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर ‘एक देश-एक चुनाव’ यानी सारे चुनाव एक साथ कराने का अपना इरादा जाहिर किया है। यह मुद्दा सबसे पहले उन्होंने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के साथ ही छेडा था। फिर पूरे पांच साल तक इस मुद्दे का कोई जिक्र नहीं हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद उन्होंने इस मुद्दे को फिर छेडा। तब उन्होंने इस पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक भी आयोजित की थी। यही नहीं, संसद में राष्ट्रपति से उनके अभिभाषण में भी इसका जिक्र करा कर यह जताने की कोशिश की थी कि उनकी सरकार वाकई इस मुद्दे पर संजीदगी से आगे बढ रही है। अब इसी बात को उन्होंने हाल ही में 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर फिर दोहराया है। उन्होंने पूरे देश के लिए एक मतदाता सूची बनाने की बात करते हुए कहा कि सारे चुनाव एक साथ होने चाहिए।

लाखों किसान देश के बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं

मांग अनदेखी कर सरकार गांवों को तबाह ही करेगी
विनय विश्वम - 2020-12-05 14:50 UTC
राष्ट्र के लिए भोजन उपलब्ध कराने वालों के समक्ष चुनौतियां इतनी सरल नहीं हैं, जितनी कि शासकों की सोच है। भारत के किसान पिछले एक सप्ताह से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर इंतजार कर रहे हैं। फिलहाल पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी और उत्तराखंड के हजारों लोग राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न प्रवेश द्वारों तक पहुंच चुके हैं। बल और धमकाने की कोई भी तरकीब उनके अधूरे दृढ़ संकल्प को दबाने में सफल नहीं हो सकी। उनके दिल और दिमाग देश और उसकी खाद्य सुरक्षा के लिए धड़कते हैं। जो लोग रूटीन प्रचार योजना का हिस्सा बनते हैं, वे किसानों के ईमानदार दिमाग को नहीं समझ सकते। असली भारत के मन की बात अब दिल्ली की सीमाओं पर देखा जा सकती है।

मजदूर और किसान अपने अधिकार के लिए साथ साथ लड़ रहे हैं

किसानों को तबाह करने की हरसंभव कोशिश कर रही है मोदी सरकार
अमरजीत कौर - 2020-12-04 11:11 UTC
सभी बाधाओं के बावजूद जिनमें भारी बारिश और कुछ राज्यों में आंधी और सरकार के दमनकारी तरीके शामिल थीं, 26 नवंबर, 2020 की राष्ट्रव्यापी हड़ताल एक शानदार सफलता थी। इसने सफलता के मामले में 8 जनवरी, 2020 की जनरल स्ट्राइक को भी पीछे छोड़ दिया।

तो अब ‘ऑपरेशन कमल’ के लिए फिर महाराष्ट्र की बारी है!

क्या महाराष्ट्र में भी मध्यप्रदेश दुहराया जाएगा?
अनिल जैन - 2020-12-03 09:45 UTC
महाराष्ट्र में महाविकास अघाडी यानी शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार का एक साल पूरा हो गया है। एक साल पूरा होने के साथ यह सवाल खडा हो गया है कि यह सरकार अब आगे कितने दिन तक रह पाएगी? यह सवाल महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं के उस बयान से खडा हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा है कि आने वाले कुछ दिनों में भाजपा महाराष्ट्र में सरकार बनाएगी। दूसरी ओर इस मौके पर बेहद तल्ख अंदाज में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी अपनी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करने वालों को शिवसेना की ओर से जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।