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अपने घृणा अभियान में मशगूल हैं अमित शाह

मोदी भी बीजेपी के गुनाहगार नेताओं पर चुप
अरुण श्रीवास्तव - 2020-03-04 09:46
नरेंद्र मोदी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के कारण पनी छवि की खराब करने के लिए खुद दोषी हैं। इसके बाद भी वे दोषी व्यक्तियों को दंडित करने के लिए कदम नहीं उठा रहे हैं।

बीजेडी और जेडी(यू) की तरह क्या ‘आप’ भी भाजपा समर्थक है

केजरीवाल के अनेक यूटर्न उन्हें एक अविश्वसनीय राजनेता बनाता है
अमूल्य गांगुली - 2020-03-03 12:30
अरविंद केजरीवाल के राजनीतिक करियर ने एक निश्चित पैटर्न का पालन किया है। यह कांग्रेस-नीत संप्रग के खिलाफ अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के अब लगभग भूल चुके दिनों में शुरू हुआ। केजरीवाल, तब गांधीवादी अन्ना के एक समर्पित चेला और एक आत्म-अभिमानी अराजकतावादी थे।

मोदीराज में राजद्रोह मजाक बन गया

सरकार की आलोचना का मतलब राज्य से युद्ध नहीं होता
के रवीन्द्रन - 2020-03-02 12:42
अरविंद केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और नौ अन्य के खिलाफ कुख्यात 2016 जेएनयू देशद्रोह मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। कांग्रेस नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील मनु अभिषेक सिंघवी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की आलोचना के लिए सरकार पर उन्हें राजद्रोह का आरोप लगाने की चुनौती दी है।

दिल्ली दंगों से बचा जा सकता था

सिर्फ कपिल मिश्र की गिरफ्तारी काफी थी
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-03-01 06:28
दिल्ली 1984 के बाद के सबसे बडे दंगे के दौर से गुजर रहा है। अब यह शांति की ओर लौट रही है, लेकिन हिंसा फैलाने वाले लोग सोशल मीडिया और मेन स्ट्रीम मीडिया की सहायता से अभी नफरत और घृणा फैलाने की अपनी कोशिश में मशगूल हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 42 लोगों की मौत की खबरें आ चुकी हैं, जिनमें दोनो समुदायों के लोग शामिल हैं। कुछ की तो शिनाख्त तक नहीं हो सकी है। देश की राजधानी दिल्ली की यह हिंसा पूरी दुनिया में भारत की बदनामी का कारण बन रही है और बुद्ध, महावीर और गांधी का यह देश एक हिंसक देश की छवि प्राप्त कर रहा है।

भारत का धर्मनिरपेक्ष स्वरूप खतरे में

दिल्ली के दंगे ने विपक्षी दलों की एकता को आवश्यक बनाया
विनय विश्वम - 2020-02-28 12:55
यह एक ऐसा क्षण है जब प्रत्येक भारतीय को अपनी आँखें खोलनी चाहिए और देश के भविष्य के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ सोचना चाहिए। लोगों के बीच धार्मिक सद्भाव और समझ को सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। पिछले रविवार से राष्ट्रीय राजधानी में होने वाली घटनाएं भारत के लिए एक बड़ा झटका है और उसके चेहरे पर काला धब्बा है। उन घटनाओं ने कई कीमती मानव जीवन को चुरा लिया है और सैकड़ों लोगों को गंभीर चोटें आई हैं। मकान, दुकानें और वाहन जल गए और करोड़ों रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई। कट्टरपंथी अपराधी सांप्रदायिक पागलपन से ग्रस्त थे और कानून को अपने हाथ में लेकर दिल्ली पर काबिज थे। चार दिनों के लिए, देश ने राजधानी में ऐसा कुछ नहीं देखा जिसे ‘सरकार’ कहा जा सके! वह तंत्र एक गहरी नींद ले रहा था जो एक सचेत और बेशर्म नींद थी!

‘मेक इन अमेरिका’ और ‘यूज इन इंडिया’

रक्षा सौदा ट्रंप की एक बड़ी व्यापार जीत
बरुन दास गुप्ता - 2020-02-27 12:47
भारत में अपने डेढ़ दिन के प्रवास के दौरान, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 3 बिलियन डॉलर के रक्षा अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने में नकदी-तंगी और मंदी की मार से ग्रस्त भारत को सफलतापूर्वक मना लिय मिलियन था। यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘‘मेक इन इंडिया’’ का नारा रक्षा क्षेत्र पर लागू नहीं है। यहाँ, नीति है ‘मेक इन यूएसए, भारत खरीदे और उपयोग करे।’

न्यायपालिका के पतन में अब क्या बाकी रह गया?

अनिल जैन - 2020-02-26 08:40
दिल्ली में हाल ही में आयोजित अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन इसी सम्मेलन को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें अत्यंत दूरदर्शी और बहुमुखी प्रतिभा का धनी बताया। उन्होंने कहा कि विश्वदृष्टि और वैश्विक सोच रखते हुए भी मोदी अपने स्थानीय हितों को नहीं भूलते। ‘न्यायपालिका और बदलती दुनिया’ विषय पर दुनिया के तमाम देशों के न्यायाधीशों के सम्मेलन में मूल विषय से हटकर जस्टिस मिश्रा के मुंह से निकली प्रधानमंत्री मोदी की यह तारीफ न सिर्फ अप्रासंगिक है, बल्कि अशोभनीय और अमर्यादित भी है।

दिल्ली का दंगा एक सुनियोजित साजिश

वह कौन है जो देश को बदनाम करना चाह रहा है
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-02-25 17:26
उधर गुजरात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के स्वागत में लगे हुए थे और ट्रंप भारत की बड़ाई करते हुए कह रहे थे कि यह बहुत ही सुरक्षित देश है और यहां के लोग बहुत ही शानदार होते हैं, ठीक उसी समय दिल्ली में दंगा भड़क रहा था। आगजनी हो रही थी। पत्थरबाजी ही नहीं गोलीबारी तक हो रही थी। और वह सब पुलिस के सामने ही हो रहा था। पुलिस आधे अधूरे मन से अपना फर्ज निभा रही थी। शायद वह अपना फर्ज निभा भी नहीं रही थी, बल्कि निभाने का नाटक कर रही थी। ऐसे विडियो देखे गए हैं, जिनमें पुलिस के पास के ही लोग पत्थरबाजी कर रहे थे और पुलिस खड़ी तमाशा देख रही थी।

मायावती का राजनैतिक अवसान

क्या चन्द्रशेखर रावण ले पाएंगे उनकी जगह?
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-02-24 10:54
दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे को लोग आम आदमी पार्टी की विजय, भारतीय जनता पार्टी की हार और कांग्रेस के सफाए के रूप में ही देखते हैं, लेकिन इस चुनाव को बसपा प्रमुख मायावती की राजनीति के अवसान के रूप में भी देखा जाना चाहिए। मायावती ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे और उनके सभी उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गईं। सिर्फ जमानतें ही नहीं जब्त हुईं, बल्कि अंधिकांश सीटों पर तो बसपा उम्मीदवारों को 1000 से भी कम वोट मिले।

दिल्ली में केजरीवाल की सफलता से ममता ने सबक ली

बंगाल सरकार ने केंद्र विरोधी हमले को नर्म किया
आशीष विश्वास - 2020-02-22 13:47
दिल्ली चुनावों में केजरीवाल की शानदार जीत के बाद, ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र के साथ अपने व्यवहार में एक सामरिक बदलाव किया है। अब से, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विरोध की अपनी नीति को तृणमूल कांग्रेस सावधानी से लागू करेगी और उसकी कोशिश टकराव से हटकर नर्म रुख अपनाने की होगी। विशेष रूप से केंद्र-राज्य संबंधों के मामले में इस पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।