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कोरोना वैक्सिन पर कोहराम

प्रथम ग्रासे मक्षिकापातः
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-01-06 09:36 UTC
नव कोरोना वायररस की चुनौती का सामना करने के लिए भारत सरकार ने जैसे ही दो वैक्सिनों को मंजूरी दी, देशभर में कोहराम मच गया है। विपक्षी नेताओं में सबसे पहले अखिलेश यादव ने घोषणा कर दी कि वे यह वैक्सिन नहीं लेंगे। इसके लिए उन्होंने विचित्र तर्क दिया और कहा कि यह बीजेपी का वैक्सिन है। उनके बाद कांग्रेस के कुछ नेताओं ने हैदराबाद की एक कंपनी द्वारा तैयार कोवैक्सिन को मंजूरी दिए जाने पर सवल खड़े कर दिए, क्योकि उसका तीसरा ट्रायल अभी भी समाप्त नहीं हुआ और उसके नतीजे आने अभी बाकी हैं। अनेक केन्द्रों पर तो उस वैक्सिन के ट्रायल के लिए पर्याप्त संख्या में वोलंटियर्स भी नहीं मिल पा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता ने टीकाकरण की शुरुआत करने की सरकार की घोषणा का स्वागत किया।

किसानों के आंदोलन ने सरकार को सांसत में डाल दिया है

महीनों तक डटे रहने के लिए उनके पास पर्याप्त तैयारी है
नंतू बनर्जी - 2021-01-05 10:02 UTC
पंजाब और हरियाणा के किसानों ने कानून बनाने वालों के खिलाफ अपने हितों की रक्षा के लिए अपनी जबर्दस्त संकल्पशक्ति दिखाई है। यदि देश के बाकी हिस्सों के किसानों ने पिछले साल 27 सितंबर को पारित तीन केंद्रीय कृषि विधानों की अस्वीकृति व्यक्त करने के लिए एक समान साहस और पहल नहीं दिखाई है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि वे पंजाब और हरियाणा के अपने समकक्षों की तरह एकजुट नहीं हैं और वे आर्थिक रूप से भी इतना मजबूत नहीं है कि लगभग शून्य तापमान में दिल्ली के दरवाजे पर इस तरह के लंबे-चौड़े आंदोलन को जारी रखा जा सके। पंजाब और हरियाणा के किसान समृद्ध हैं। ठंढ से लड़ने के लिए और दिल्ली से सटे राष्ट्रीय राजमार्ग घर की तरह पर खुद को यथोचित बनाने के लिए उनके पास सभी संसाधन हैं।

भारत में एक सही एंटी-ट्रस्ट कानून की आवश्यकता है

वर्तमान व्यवस्था एकाधिकारवाद को बढ़ावा देने वाली है
के रवीन्द्रन - 2021-01-04 10:10 UTC
पूर्ववर्ती एकाधिकार और प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार आयोग को लाइसेंस राज के अभिन्न अंग के रूप में उदारवादी राय के सभी वगों द्वारा निरूपित किया जाता था। हालांकि, एकाधिकार को रोकने के व्यक्त इरादे के बावजूद, जैसा कि इकाई के नाम लगता है, भारत के प्रमुख कॉर्पोरेट घराने उस व्यवस्था के तहत एकाधिकारवादी के रूप में फले-फूले। जाहिरा तौर पर, इसने केवल नए खिलाड़ियों को अपने पसंदीदा व्यवसाय में प्रवेश करने के लिए प्रतिबंधित किया, जबकि मौजूदा एकाधिकार के विस्तार को बाधित करने के बजाय किसी भी क्षेत्र में उसकी गतिविधि को विस्तार किया।

अब गठबंधन की राजनीति से भी छुटकारा पाना चाहती है भाजपा!

बिहार में वह नीतीश को हटाकर अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहेगी
अनिल जैन - 2021-01-02 08:38 UTC
हाल ही में ब्रिटेन की मशहूर पत्रिका ‘द इकॉनॉमिस्ट’ ने लिखा है कि भारत एक पार्टी वाला देश बनने की ओर बढ रहा है। भारतीय जनता पार्टी की पूरी राजनीति भी इसी बात की पुष्टि कर रही है। अभी तक कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विधायकों-सांसदों को तोड़ कर अपने पाले में ला रही भाजपा ने अब यही खेल अपने सहयोगी दलों के साथ भी खेलना शुरू कर दिया है। इस सिलसिले में अरुणाचल प्रदेश का राजनीतिक घटनाक्रम सबसे ताजा और बड़ी मिसाल है। वहां उसने अपने ही सबसे बडे और करीब दो दशक पुराने सहयोगी जनता दल (यू) के 7 में से 6 विधायकों को तोड़ कर अपने में शामिल कर लिया है।

आशाओं और आशंकाओं का नया साल

हमें कहां ले जाएगा 2021?
उपेन्द्र प्रसाद - 2021-01-01 10:06 UTC
दुनिया नये साल में प्रवेश कर चुकी है। 2020 एक ऐसा साल साबित हुआ है, जिसे कोई याद नहीं रखना चाहेगा। लेकिन क्या नया साल हमें पिछले साल के घोर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएगा? यह ऐसा सवाल है, जिसका जवाब हमारे पास नहीं है। कोरोना वायरस से बचाव के लिए हो रहे वैक्सिन के इजाद के बीच उस वायरस का एक नया स्ट्रेन आ जाना हमें वैक्सिन के निर्माण के उपलक्ष्य में उत्सव मनाने की इजाजत नहीं देता। एक नया स्ट्रेन आया है। इसका अध्ययन जारी है और वैज्ञानिक कह रहे हैं कि नवविकसित वैक्सिन इसके खिलाफ भी कारगर होगा, लेकिन डर कुछ और है और डर यह है कि कोरोना के कितने नये स्ट्रेन और आएंगे और क्या सबके उपचार के लिए वैक्सिन और दवाई जुटाने में हमारे वैज्ञानिक सफल हो पाएंगे?

रजनीकांत राजनैतिक परिदृश्य से बाहर

द्रविड़ प्रतिस्पर्धी आपस में करेंगे दो दो हाथ
एस सेतुरमन - 2020-12-31 09:46 UTC
मेगा स्टार रजनीकांत ने अंततः 2021 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में एक प्रमुख राजनीतिक भूमिका से स्वास्थ्य के आधार पर को बाहर रखने करने का फैसला किया है। वे अब न तो राजनैतिक पार्टी का गठन करेंगे और न ही चुनाव में किसी तरह की भूमिका निभाएंगे। कुछ सालों से वह लगातार इस संभावना को बल दे रहे थे कि वे भी राजनीति में अपना हाथ आजमाएंगे। लेकिन उनके स्पष्टीकरण के बाद उनके लाखों फिल्म प्रशंसकों की उम्मीदें अब समाप्त हो गई हैं।

स्पीकर का चुनाव अभी तक नहीं होना विधानसभा की अवमानना है

मध्यप्रदेश में तेज होते किसान आंदोलन के बीच चौहान ने कृषि कानूनों का बचाव किया
एल एस हरदेनिया - 2020-12-30 10:04 UTC
भोपालः मध्य प्रदेश में लोकतांत्रिक संस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। दुष्परिणाम इतना गंभीर है कि विधानसभा का अभी कोई स्पीकर नहीं हैं। विधानसभा अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पा रही है। विधानसभा का संचालन प्रोटेम अध्यक्ष करते हैं। संविधान के अनुसार, प्रो-टेम स्पीकर का एकमात्र काम नव-निर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाना है, लेकिन प्रो-टेम्प स्पीकर रामेश्वर शर्मा पूर्ण-अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं। वह फाइलों पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, आदेश जारी कर रहे हैं, यात्राएं कर रहे हैं।

तिस्ता जल बंटवारे का मामला चुनाव के बाद उठाया जाएगा

भारत और बांग्लादेश की अगले महीने होने वाली बैठक बेनतीजा रहेगी
आशीष विश्वास - 2020-12-29 11:24 UTC
इसकी कोई संभावना नहीं है कि नदी जल बंटवारे पर भारत और बांग्लादेश के बीच जनवरी 2021 की निर्धारित वार्ता बहुत प्रगति करेगी। इसका प्रमुख कारण पश्चिम बंगाल का चुनाव है। बांग्लादेश के लिए, यह अच्छी और बुरी खबर दोनों है।

किसान आंदोलन से मोदी को क्यों डरना चाहिए

सरकार जनता का सम्मान करे
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-12-28 09:47 UTC
किसान आंदोलन के एक महीना से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन इसे समाप्त कराने के प्रति सरकार गंभीर नहीं दिखती। सच कहा जाय, तो मोदी सरकार इसे गंभीरता से ही नहीं ले रही। वे इसे उतनी ही गंभीरता से ले रही है, जितनी गंभीरता से वह कांग्रेस व अन्य अपने विरोधी राजनैतिक दलों को लेती है। लेकिन नरेन्द्र मोदी को यह नहीं भूलना चाहिए कि किसानों का यह आंदोलन कोई राजनैतिक पार्टी का नहीं है, जिसने जनता के बीच अपना इकबाल खो दिया हो।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने पिछले 95 वर्षों में बड़ी भूमिका निभाई

वाम और लोकतांत्रिक ताकतों को एकताबद्ध करने की कोशिशें जारी रहेंगी
डी राजा - 2020-12-26 09:58 UTC
वर्ष 1925 में 26 दिसंबर को, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का औपचारिक रूप से कानपुर (उत्तर प्रदेश) में गठन हुआ था। तब से, 95 वर्षों की अवधि हमारे संघर्षों और बलिदानों का काल है। अब पार्टी अपने जीवन के 96 वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी षड्यंत्र के मामलों, राजद्रोह के आरोपों, गोलियों, जेलों और फांसी का सामना करने वाले स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे थी। ब्रिटिश और अन्य औपनिवेशिक शासकों के खिलाफ लड़ने वाले कम्युनिस्टों के रक्त पर भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई जीती गई।