Loading...
 
Skip to main content

View Articles

चौहान के ऑडियो क्लिप ने कांग्रेस को एक बड़ा हथियार दिया

इसका इस्तेमाल विधानसभा के उपचुनावों में खूब होगा
एल एस हरदेनिया - 2020-06-13 10:18 UTC
भोपालः सीएम शिवराज सिंह चौहान की एक कथित ऑडियो क्लिप वायरल होने के एक दिन बाद, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा कि ‘‘भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने फैसला किया था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार गिरनी ही चाहिए’’ मुख्यमंत्री ने गुरुवार को ट्वीट किया कि यह एक महान काम है। पापियों को नष्ट करने का कार्य। मध्य प्रदेश में चौहान ने कांग्रेस को बहुत ही संवेदनशील प्रचार हथियार मुहैया कराया है। विधानसभा के 24 उपचुनावों में कांग्रेस प्रभावी रूप से इसका इस्तेमाल करेगी।

प्रवासी मजदूरों की दुर्गती की याद देश में लंबे समय तक बनी रहेगी

केन्द्र द्वारा उनके बारे में सोचे बिना लाॅकडाउन करना उनकी दुर्दशा का सबब बना
अंजन रॉय - 2020-06-12 08:46 UTC
जब तक वायरस के प्रसार से लड़ने के लिए राष्ट्रव्यापी तालाबंदी नहीं की गई, तब तक भारत ने प्रवासी श्रमिकों और अर्थव्यवस्था के इंजन को चलाने में उनकी भूमिका पर कोई ध्यान नहीं दिया। इन असहाय लोगों का संकट अर्थव्यवस्था के कामकाज में गहरी अंतर्दृष्टि देता है।

मंदिर खोले जाने पर विवाद

सबरीमाला जैसी गलती सरकार नहीं दुहराए
पी श्रीकुमारन - 2020-06-11 09:49 UTC
तिरुअनंतपुरमः केरल सरकार द्वारा राज्य में मंदिरों को खोलने के निर्णय ने एक विवाद को जन्म दिया है। वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार का कदम केंद्र के निर्देश के मद्देनजर आया है कि पूजा स्थल 8 जून से खोले जा सकते हैं।

वियतनाम ने कोरोना को कैसे हराया

वहां एक व्यक्ति भी कोरोना से नहीं मरा
एल एस हरदेनिया - 2020-06-10 08:50 UTC
वैसे तो कोरोना की महामारी से लगभग सारी दुनिया पीड़ित है और सभी देश अपने-अपने तरीके से इसका मुकाबला कर रहे हैं। परंतु जिस बहादुरी से और रणनीति बनाकर वियतनाम ने इसका मुकाबला किया है वह अद्भुत है। सच पूछा जाए तो वियतनाम बहादुरों का देश है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि वियतनाम ने अमरीका जैसे शक्तिशाली राष्ट्र के घुटने टिकवा दिए थे। उस दरम्यान वियतनाम को लगभग सारी दुनिया का समर्थन प्राप्त था। दुनिया के सभी लोकतंत्र समर्थक जनता ने वियतनाम का साथ दिया था। उस समय सारी दुनिया में एक नारा गूंजता था ‘मेरा नाम तेरा नाम, वियतनाम वियतनाम'।

शिवराज सिंह चौहान के चौंकाने वाले फैसले

राज्य सभा चुनाव का मामला अदालत में जाएगा
एल एस हरदेनिया - 2020-06-09 10:19 UTC
भोपालः शिवराज सिंह चौहान सरकार के दो फैसले चौंकाने वाले हैं। एक निर्णय उस समय के आईएएस अधिकारियों के स्थानान्तरण से संबंधित है जब राज्य को कोरोना संकट का सामना करना पड़ रहा है। जिन आईएएस अधिकारियों का तबादला किया गया है, उनमें कमिश्नर, इंदौर संभाग और भोपाल नगर निगम के आयुक्त भी शामिल हैं। इनमें कुछ जिलों के कलेक्टर भी शामिल हैं।

बिहार की दिलचस्प होती राजनीति

भाजपा नीतीश का साथ छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सकती
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-06-08 10:23 UTC
बिहार विधानसभा का वर्तमान कार्यकाल समाप्ति की ओर बढ़ रहा है और आगामी नवंबर में नई विधानसभा के चुनाव होने की संभावना है। हम इसे संभावना इसलिए कह रहे हैं कि उस चुनाव पर मौजूदा कोरोना संकट ने सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। कोरोना संकट बद से बदतर होता जा रहा है और कुछ कहा नहीं जा सकता कि अगले दो से तीन महीने में इसकी क्या स्थिति होगी। केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों के पास इस संकट से जूझने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, इसलिए उन्होंने लंबे समय तक देश को लाॅकडाउन की स्थिति में रखा, हालांकि उसके कारण लाखों करोड़ रूपये की आर्थिक क्षति हुई। क्षति के बावजूद कोरोना का चेन तोड़ने में हम सफल नहीं हो पाए हैं। अब लाॅकडाउन में भी बहुत ढील दी जा चुकी है, जिसके कारण कोरोना के मरीजों की संख्या और भी तेजी से बढ़ने की आशंका बनी हुई है।

धरती के थरथराने का तेज होता सिलसिला और हम

मौत से डरने का कोई मतलब नहीं
अनिल जैन - 2020-06-06 09:11 UTC
पिछले करीब दो महीने से भूकंप के झटकों ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के साथ ही हरियाणा और पंजाब के एक बडे हिस्से भी को भयाक्रांत कर रखा है। इस दौरान कुल 11 बार लोगों ने भूकंप के झटकों को महसूस किया है। हालांकि भूकंप के इन झटकों की वजह से जान-माल का कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन भूकंप महसूस होना ही एक बार में पूरे जीवन के कम्पन का महसूस होने जैसा होता है। फिर यह झटके तो कोढ में खाज की तरह रहे, क्योंकि इस समय लोग पहले से ही कोरोना महामारी के संकट से जूझते हुए अपने-अपने घरों में कैद हैं। जिस पैमाने से भूकंप को मापा जाता है, उस पैमाने पर भूकम्प के इन सभी झटकों की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.0 से 4.5 तक थी।

अमेरिका में लोगों का विद्रोह भारत के लिए सबक

ट्रम्प और मोदी लोगों को बहुत दिनों तक बेवकूफ नहीं बना सकते
बिनॉय विस्वम - 2020-06-05 10:17 UTC
अमेरिका में हो रहा सर्वव्यापी जन विद्रोह दुनिया भर में दमनकारी शासन के लिए एक आंख खोलने वाला होना चाहिए। यह दुनिया को ट्रम्पवाद के गहरे संकट के बारे में बताता है, जो भारत सहित कई देशों में आक्रामक पूंजीवाद का पर्याय बन गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके गुर्गे इसे एक साधारण कानून और व्यवस्था के मुद्दे के रूप में चित्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन यह गंभीर आर्थिक अर्थों के साथ सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल है। यही कारण है कि वे इसे कानून और व्यवस्था की समस्या कहना चाहते हैं। जॉर्ज फ्लॉयड की निर्मम हत्या हाल के दिनों में नस्लीय घृणा का सबसे कुरूप चेहरा दिखाती है।

मार्टिन लूथर किंग के सपने आज भी अधूरे

अश्वेतों के साथ अभी भी अमानवीय व्यववहार
एल. एस. हरदेनिया - 2020-06-04 08:56 UTC
वर्ष 1963 में अगस्त 29 को अमरीका की राजधानी वाशिंगटन में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था। प्रदर्शन का नेतृत्व मार्टिन लूथर किंग जूनियर कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की मांग थी ‘हमें सम्मान और काम चाहिए‘। इस प्रदर्शन में दो लाख लोग शामिल थे। प्रदर्शनकारियों में अश्वेत और श्वेत दोनों शामिल थे। अश्वेत 90 प्रतिशत और श्वेत 10 प्रतिशत थे।

ट्रम्प के अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग के दौर का दोहराव

बहुसंख्यक अमेरिकियों के लिए अमेरिका अब भी गोरे लोगों का मुल्क है
अनिल जैन - 2020-06-03 08:56 UTC
लगभग 12 वर्ष पूर्व जब बराक ओबामा पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे तो दुनिया भर में यह माना गया था कि यह मुल्क अपने इतिहास की खाई (नस्लभेद और रंगभेद) को पाट चुका है। लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि ओबामा के कार्यकाल में ही वहां नस्लवादी और रंगभेदी नफरत ने बार-बार फन उठाया और वह सिलसिला आज भी जारी है। एक गोरे पुलिस अधिकारी के हाथों एक निहत्थे काले नागरिक की हत्या के विरोध में पूरा अमेरिका गुस्से से उबल रहा है। देश भर में उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। जनाक्रोश की तेज लपटें राष्ट्रपति के निवास व्हाइट हाउस तक पहुंच चुकी हैं, लिहाजा राष्ट्रपति को सुरक्षा की दृष्टि से व्हाइट हाउस के नीचे बने बंकर में ले जाना पडा है।