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नेहरू की पुण्यतिथि पर विशेष

गांधीजी नेहरू और पटेल को बैलों की एक जोड़ी के रूप में देखते थे

तमाम मतभेदों के बावजूद दोनों में गजब का तालमेल था
एल एस हरदेनिया - 2020-05-26 07:49 UTC
"नेहरू और पटेल एक दूसरे के पूरक व्यक्ति थे। नेहरू का वैचारिक आधार फेबियन विचारधारा थी जिसके अनुसार संसदीय प्रजातंत्र मानवीय आकांक्षाओं की पूर्ति का सबसे अधिक शक्तिशाली साधन है। वहीं सरदार पटेल मानवीय मनोविज्ञान के अध्येता थे। उन्होंने उन आधारों को समझने का प्रयास किया था जिनसे ब्रिटिश साम्राज्य को सफलता मिली।"

प्रियंका की बस राजनीति से योगी सरकार पस्त

कांग्रेस महासचिव ने प्रदेश में कांग्रेस नेताओं और कार्यकत्र्ताओं का मनोबल बढ़ाया
प्रदीप कपूर - 2020-05-23 09:39 UTC
लखनऊः उत्तर प्रदेश में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए बसों की व्यवस्था के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार के बीच चल रही खींचतान ने राज्य में कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाया है।

मोदी का पैकेज आत्मनिर्भरता का पैकेज नहीं है

यह तो पूरे देश को बेच देने का ही पैकेज है
बिनॉय विस्वम - 2020-05-22 15:09 UTC
जब प्रधानमंत्री महामारी से लड़ने के लिए बहुप्रतीक्षित पैकेज के साथ सामने आए, तो संघ विचारधारा के कुछ उत्साही लोग मोहित हो गए। उनके लिए सबसे आकर्षक तत्व था ‘आत्मनिर्भर भारत’ का उद्घोष। वे यहां तक मानने लगे थे कि अब भारत यू-टर्न लेगा और आत्मनिर्भरता का रास्ता बनाएगा। विदेशी पूंजी पर अनुचित निर्भरता समाप्त हो जाएगी। उनमें से कुछ इस तरह के सपने देखने लगे थे! आत्मनिर्भर भारत के आसपास निर्मित प्रचार प्रसार निश्चित रूप से अल्पकालिक था। 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का सच इतना निर्मम था कि इसने मिट्टी के नीचे ‘आत्मनिर्भर भारत’ को गाड़ दिया।

क्यों विफल हो गया लाॅकडाउन?

नोटबंदी की गलतियों से मोदीजी को सबक लेनी चाहिए थी
उपेन्द्र प्रसाद - 2020-05-21 13:34 UTC
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित लाॅकडाउन विफल हो गया है और पूरा देश कोरोना की आग में जलने लगा है। उम्मीद की जा रही थी कि लाॅकडाउन कोरोना के चेन को तोड़ देगा और सिर्फ लोगों को घरों में बंद कर देने से ही इस महामारी का संकट टल जाएगा। लोग घरों में बंद भी हुए। देश की आर्थिक गतिविधियों पर लगभग विराम लग गया। करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। लाखों मजदूरों को खून के आंसू पीनी पड़ा। बेघर मजदूर अपने घरों की ओर पैदल जाने के क्रम में ऐसी त्रासदी का शिकार हुए, जो आजाद भारत के इतिहास में पहले बार हो रहा था। आजाद भारत क्या, देश के ज्ञात इतिहास में कभी ऐसी घटना नहीं घटी होगी कि लाखों लोग पैदल चल रहे थे और उनमें से कई अपनी जान गंवा रहे थे, तो कई पुलिस अत्याचार का सामना कर रहे थे।

तीसरे राहत पैकेज में वास्तव में राहत मिली है

यह भारतीय किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है
अंजन रॉय - 2020-05-20 10:21 UTC
पिछले सप्ताह के दौरान वित्त मंत्री द्वारा घोषित किए गए सभी सुधारों में से एक सुधार जिसका स्थायी प्रभाव होने की संभावना है वह होगा कृषि उत्पादों के विपणन के बारे में उनकी घोषणाएं। यह एपीएमसी और कृषि उत्पादों के विपणन को दृष्टिगोचर करता है। यह किसानों को उनके स्थानीय बिचैलियों और मध्यवर्गीय राजनेताओं से मुक्त कर रहा है।

कोरोना संकट से मध्यप्रदेश का बुरा हाल

राज्य से होकर गुजर रहे अन्य राज्यों के मजदूर अलग से दे रहे हैं सिर दर्द
एल एस हरदेनिया - 2020-05-19 10:27 UTC
भोपालः मध्य प्रदेश में देश भर से प्रवासी मजदूरों को अपने घरों में वापस जाने का खामियाजा भुगतना पड़ता है। यह अतिरिक्त समस्या राज्य की भौगोलिक स्थिति के कारण हो रही है। प्रवासी मजदूरों को महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और दक्षिणी राज्यों से और यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जाने के लिए मध्य प्रदेश से गुजरना पड़ता है।

केरल में कोरोना संक्रमितों में एकाएक इजाफा

विदेश से आने वालों के कारण हो रही यह वृद्धि
पी श्रीकुमारन - 2020-05-18 10:11 UTC
तिरुअनंतपुरमः सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा के नेताओं के चेहरों पर चिंता की लकीरें वापस आ गई हैं। उनकी चिंता का कारण विदेशों में फंसे भारतीयों की वापसी के मद्देनजर कोविद के संक्रमण मामलों में अचानक आई बढ़ोतरी है।

महामारी से आहत लोगों के साथ कर्ज के पैकेज का छल

लोकतंत्र के मंत्र के साथ अलोकतांत्रिक इरादों पर अमल करना सरकार का मूल मंत्र
अनिल जैन - 2020-05-16 10:06 UTC
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह मान लिया है और बता भी दिया है कि कोरोना महामारी का स्वास्थ्य सेवाओं के स्तर पर मुकाबला करने के लिए उनकी सरकार जितना कर सकती थी, वह कर चुकी है। अब इससे ज्यादा की अपेक्षा सरकार से न रखी जाए। आर्थिक पैकेज का एलान करने के लिए राष्ट्र से मुखातिब हुए प्रधानमंत्री का पूरा जोर ‘आत्मनिर्भरता’ पर रहा। यही वजह रही कि उनके पूरे भाषण में न तो ‘अस्पताल’ शब्द का जिक्र आया, न ‘इलाज’ शब्द का और न ही कोरोना वारियर्स अर्थात डॉक्टर, नर्स और अन्य लोगों का।

मोदी पैकेज जमीनी स्तर पर निरर्थक

दिवालिया हो चुके परिवारों को अभी और आत्मनिर्भर भारत का इंतजार करना होगा
ज्ञान पाठक - 2020-05-15 09:41 UTC
डर और असुरक्षा, निराशा और अनिश्चितता की भावना के साथ भारत धीरे-धीरे खुल रहा है। 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज मिला है, जो खाली है। जिन चीजों की हमें सबसे ज्यादा जरूरत है, वे पैकेज में नहीं हैं। यहां तक कि वर्तमान पैकेज का वास्तविक मूल्य केवल 13 लाख करोड़ रुपये है। इसकी कीमत को बड़ा दिखाने के लिए हमने पहले के पैकेजों को जोड़ दिया है जो पहले ही हमारे लोगों, हमारी अर्थव्यवस्था को विफल कर चुके हैं। लॉकडाउन के तीन चरण 17 मई 2020 को समाप्त हो जाएंगे। 18 मई से चौथा चरण शुरू हो जाएगा।

कोरोना वायरस ने ‘अन्य भारत’ के अस्तित्व को दिखाया

क्या मोदी का तोहफा वहां तक पहुंच पाएगा?
के रवीन्द्रन - 2020-05-14 09:37 UTC
कोविद -19 महामारी ने ‘अन्य भारत’ के अस्तित्व को प्रकट किया है, जो हमेशा अस्तित्व में रहा है, लेकिन अदृश्य बना रहा। ‘अन्य भारत’ में लाखों प्रवासी श्रमिक शामिल हैं, जो या तो उन शहरों या गांवों से संबंधित नहीं हैं, जहां से वे लंबे समय से उखड़े हुए थे। वे राजनेताओं, नीति नियोजकों और नौकरशाही के राडार पर नहीं दिखते हैं, ये सभी ज्यादातर अपने और अपने लोगों के वर्ग के साथ रहते हैं।